99 साल की लीज पर है भारत ! फिर हो जाएंगे गुलाम ? | india is on 99 year lease will you be a slave again | Patrika News

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99 साल की लीज पर है भारत ! फिर हो जाएंगे गुलाम ? | india is on 99 year lease will you be a slave again | Patrika News

99 साल की लीज पर है भारत ! फिर हो जाएंगे गुलाम ? | india is on 99 year lease will you be a slave again | Patrika News

90 साल की लीज पर जवाब दें ?

आपको बता दें कि, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में आयोजित पहली पत्रकार वार्ता के दौरान सवाल करते हुए कहा कि, हमने सुना है और गूगल पर भी ये दस्तावेज हैं, कि भारत को अंग्रेजों ने 99 साल की लीज पर आजादी दी थी। अब 75 साल बीत चुके हैं। 24 साल शेष हैं। इसके बाद भारत पुनः गुलाम हो जाएगा। इसपर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और देश की न्यायपालिका को जवाब देना चाहिए।

देशभर की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाने वाला सवाल

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जिस सवाल पर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट से जवाब मांगा है, वो नया नहीं। पिछले कई दिनों से ये सवाल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन, ये सवाल इतना गर्माया क्यों। इस सवाल ने कहां से जन्म लिया है। इसकी हकीकत क्या है। आज पत्रिका आपको इसी सवाल का सच बताएगा।

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कहां से आया ये सवाल ?

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दरअसल, ये सवाल बीते दिनों सेबसे पहले एक टीवी डीबेट के दौरान भारतीय जनता पार्टी की युवा मोर्चा की कार्यकर्ता रुचि पाठक ने खड़ा किया था। उन्होंने टीवी डीबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता से बहस करते हुए दावा किया था कि, भारत पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं है और भारत की स्वतंत्रता 99 वर्षों के लिए लीज पर है। रुचि पाठक के अनुसार, 1947 में भारत को अंग्रेजों से पूरी तरह स्वतंत्रता नहीं मिली थी, ये कहते हुए कि, हमारी स्वतंत्रता अंग्रेजों से 99 साल की लीज डील है और नेहरू ने ब्रिटिश क्राउन से 99 साल की लीज पर भारत को आजादी दिलाई। रुचि पाठक जिस वीडियो में ये दावे करती दिखाई दी थीं, वो वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया।

सोशल मीडिया पर जारी चैनल के डिबेट में 6 मिनट का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में निजीकरण के मुद्दे पर बहस हो रही थी। इस दौरान यूथ कांग्रेस प्रवक्ता गौरव जैन ने बीजेपी युवा मोर्चा की प्रवक्ता रुचि पाठक से तंजिया लहजे में सवाल किया कि, नेहरू जी ने तो आजादी भी दिलाई थी तो क्या आप वो भी वापस कर देंगे? इसपर रुचि ने कहा कि, ‘वो भी आपने कॉन्ट्रैक्ट बेस पर ली है, पूरी लड़कर नहीं ली’। रुचि ने आगे कहा- वहीं मैं बता रही हूं कि, ये भी 99 साल की लीज पर ले पाए थे आप। अगर आपमें इतनी कुव्वत थी तो पूरी आजादी लेते, उस टाइम क्यों आपने लीज पर ले ली।

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ये हो सकता है दावे का मकसद

हालांकि, पड़ताल में सामने आया कि, इस दावे का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। ये दावा लंबे समय से चले आ रहा मात्र एक नैरेटिव है, जो लगातार ये साबित करने के लिए फैलाया जाता है कि, स्वतंत्रता सेनानियों के साथ साथ कांग्रेस ने देश के लिए उतना कुछ नहीं किया, जितना उन्हें करना चाहिए था। यूनाइटेड किंगडम (तब ब्रिटिश साम्राज्य) ने पार्लियामेंट की अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भारत की स्वतंत्रता के रिकॉर्ड से जुड़ी सारी जानकारी अपलोड की है। यहां कहीं भी उल्लेखित नहीं है कि, भारत को स्वतंत्रता सिर्फ 99 सालों के लिए दी थी। इतिहास के प्रोफेसर हसन इमाम ने भी इस दावे को गलत बताया।

भारत को 99 साल की लीज पर ब्रिटिश को दिया गया है?

बात करते हैं भारत को 99 साल की लीज पर देने की। असिस्‍टेंट प्रोफेसर महेश कुमार दीपक ने इसका जवाब देते हुए कहा कि, दावा पूरी तरह झूठा है। भारत और पाकिस्‍तान को आजादी देने के लिए अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 बनाया था। दोनों आजाद मुल्‍कों के स्‍वरूप के लिए 4 जुलाई 1947 को ‘भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम’ ब्रिटेन की संसद में पेश हुआ। 18 जुलाई 1947 को ये पास हुआ। इसी के आधार पर ब्रिटिश भारत को दो भागों में बांटा गया। हमने ये आधार भारत को आजादी देने के लिए ब्रिटिश पॉलियामेंट में पास किया गया था भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम से प्राप्त की है।

क्या कहता है भारत का संविधान ?

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कैबिनेट मिशन प्‍लान के तहत भारत के नए संविधान बनाने के लिए संविधान पीठ का निर्माण किया गया। इसका जिक्र भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के सेक्‍शन 8 में भी किया गया। इसके बाद तय किया गया कि, संविधान का नया ड्रॉफट पर गर्वनर जनरल की सहमति ले ली जाए, जो कि ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भारत में मौजूद हैं। लेकिन बाद में हिंदुस्‍तान की तरफ से तय किया गया कि संविधान को किसी भी अप्रूवल के लिए ब्रिटिश पॉलियामेंट या गर्वनर जनरल के सामने पेश नहीं किया जाएगा। यही नहीं, संविधान के अनुच्‍छेद 395 के तहत भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को खत्‍म करने की बात भी लिखी गई। अनुच्‍छेद 395 के अनुसार, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, भारत सरकार अधिनियम, 1953 तथा इनके अन्य पूरक अधिनियमों को, जिसमें प्रिवी कौंसिल क्षेत्राधिकार अधिनियम शामिल नहीं है, सभी रद्द होते हैं।

ये है सच

इससे ये साबित होता है कि, भारत किसी भी तरह के लीज पर नहीं बल्कि, स्वंतत्र रूप से अपने संविधान के देश की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के दिशा निर्देशों के आधार पर आजीवन चलने वाला देश है। ऐसे इस तरह के सवालों का देश से कोई नाता नहीं है, ये मात्र भ्रांतियां हैं, जिन्हें समय समय पर चर्चित कर देशवासियों को चिंतित करने का प्रयास किया जाता है।

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पत्रकार वार्ता में शंक्राचार्य ने उठाया था सवाल

आपको बता दें कि, ज्योतिष्पीठाधीश्वर और द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने ये सवाल नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान किया था। दरअसल, उन्होंने वार्ता के दौरान ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद अन्य कई देशों की तरह भारत में भी 1 दिन के राष्ट्रीय शोक घोषित करने पर सवाल किये थे। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, जिन्होंने हमें सैकड़ों साल गुलाम बनाकर रखा, आखिर कैसे हम उनके लिए राष्ट्रीय शोक मना सकते हैं। उन्होंने आगे केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि, हमारे यहां सन्यासियों के दिवंगत होने पर ये शौक क्यों नहीं मनाया जाता ? शंकराचार्य की माने तो महारानी के भेजे गए अंग्रेजों ने सवा 7 लाख बेकसूर भारतीयों को मारा था। उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक मनाना और राष्ट्रध्वज को झुकाना पूरे देश के लिए ठीक नहीं है।

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