95 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण कर खसरा को मिटाना संभव

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95 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण कर खसरा को मिटाना संभव

95 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण कर खसरा को मिटाना संभव

दरभंगा। मुंबईऔर पुणे ही नहीं महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा अभी खसरे के चपेट में…

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाThu, 08 Dec 2022 01:01 AM

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दरभंगा। मुंबईऔर पुणे ही नहीं महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा अभी खसरे के चपेट में है। इसके चपेट में आकर कई दर्जन मौत हो चुकी है। खसरा एक ऐसी बीमारी है जिसे 2024 दिसंबर तक दुनिया से मिटाने का प्रण लिया गया है। यह तभी संभव हो सकेगा जब 95 प्रतिशत बच्चों को एमआर का टीका दे दिया जा सके। डब्ल्यूएचओ के सब रीजनल टीम लीड डॉ. संदीप पाटिल ने बुधवार को डीएमसीएच के शिशु विभाग में आयोजित सेमिनार में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से सर्विलेंस की महत्ता और उपयोग के तरीके की विभिन्न रोग के रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत ने पोलियो को मिटा दिया है। परंतु पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान अभी भी इसके चपेट में हैं। इस वजह से भारत में समय-समय पर पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है। प्रसुता एवं नवजात शिशु में टिटेनस इलिमिनेशन के फेज में है अर्थात इनके केस काफी कम हो गए हैं। इसके लिए मां और शिशु को टीडी और पेंटावेलेंट वैक्सीन ससमय पड़ना अत्यधिक आवश्यक है। एक दर्जन से ज्यादा बीमारियों को टीका द्वारा बचाया जा सकता है। इन्हें वीपीडी या टीकाकरण से बचाने वाली बीमारियों का नाम दिया जाता है। इन बीमारियों को अच्छे से रोकने के लिए इनकी मॉनिटरिंग की जरूरत है। टीकाकरण की आवश्यकता एवं प्रभाव को मॉनिटर किया जाना अत्यधिक आवश्यक है। मॉनिटरिंग वह विधा है जिसके माध्यम से डाटा को कार्यवाही के लिए प्रयुक्त किया जाता है। विश्लेषण में समरूपता के लिए आवश्यक है। इन बीमारियों की विशेष लक्षणों के द्वारा पहचान आ जाए और उन्हें एक रिकॉर्ड के रूप में एक सिस्टम से इस्तेमाल किया जाए। सर्विलेंस के दौरान जिन बीमारियों को हमें पकड़ना है उनके साथ अनेक अन्य बीमारियों के लिए भी जाल बिछाया जाता है जो किसी भी तरह देखने में उन बड़ी बीमारियों की तरह लगती हैं। सर्विलेंस एक पुख्ता इंतजाम करता है कि किसी भी हालत में वे बीमारियां जाल में फंसे जिन्हें हमें मिटाना है। उन्होंने तीन तरह के सर्विलेंस पर विस्तृत चर्चा की। एक- एएफ़पी सर्विलेंस जो पोलियो के लिए, दूसरा फीवर एवं रैस सर्विलेंस मिजिल्स के लिए और तीसरा वीपीडी सर्विलेंस डिप्थीरिया, कुकुर खांसी एवं न्यू नेटल टेटनस की विवेचना के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ की टीम में दरभंगा के एसमोओ डॉ.अमित मोहिते, प्रशासनिक पदाधिकारी विशाल कुमार एवं फील्ड मोनीटर राजीव कुमार सिंह शामिल थे। इससे पूर्व सेमिनार का उद्घाटन दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सह शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के एन मिश्रा ने किया। शिशु विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. अशोक कुमार, डॉ. रिजवान हैदर एवं डॉ. मोहन केजरीवाल के अलावा डॉ. अमित कुमार, डॉ मणि शंकर, डॉ. हेमंत कुमार डॉ. अनीता कुमारी, डॉ. रश्मि झा आदि सेमिनार में मौजूद थे।सम नर में मौजूद थे। पीजी छात्र एवं इंटर्न ने सेमिनार से लाभ उठाया। चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ओमप्रकाश में ओरियंटेशन मीटिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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