9/11 Attack: कितना विनाशकारी था अल-कायदा का हमला? शायद ही कभी हो पाए इस ऐतिहासिक नुकसान की भरपाई

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9/11 Attack: कितना विनाशकारी था अल-कायदा का हमला? शायद ही कभी हो पाए इस ऐतिहासिक नुकसान की भरपाई

वॉशिंगटन
अमेरिका 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले को आज 20वीं बरसी के रूप में याद कर रहा है। इस हमले को अल-कायदा ने अंजाम दिया था और ओसामा बिन लादेन इसका मास्टरमाइंड था। हमले में न्यूयॉर्क की दो सबसे ऊंची इमारतों को निशाना बनाया गया और कमर्शियल फ्लाइट्स को मिसाइल की तरह इस्तेमाल किया गया। हमला इतना भयानक था कि आज तक इसके जख्म अमेरिकियों के यादों में ताजा हैं। आंकड़ों के मुताबिक इसमें लगभग 3000 लोगों की मौत हुई और असंख्य लोग घायल हुए। आज आंकड़ों के जरिए यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह हमला कितना भयावह था और इसकी वजह से कितना नुकसान हुआ जो कई सालों तक धन और जनहानि के रूप में जारी रहा।

हजारों अमेरिकी सैनिकों ने की आत्महत्या
The Bhutanese Newspaper के एडिटर Tenzing Lamsang ने ट्विटर पर एक आंकड़ा साझा किया। उन्होंने लिखा 9/11 में मरने वालों का आंकड़ा सिर्फ 2,977 नहीं था। इराक युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप तरीके से करीब 460,000 लोग मारे गए। अफगान युद्ध में 360,000 लोग प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष तरीके से मारे गए। 7000 अमेरिकी सैनिकों और 30,000 अमेरिकी Veterans ने 9/11 के बाद हुए युद्धों के चलते आत्महत्या कर ली। 22,000 आम नागरिकों की ड्रोन हमलों में मौत हो गई। अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ब्राउन यूनिवर्सिटी के एक प्रोजेक्ट का अनुमान है कि कई देशों में आतंक के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में करीब 800,000 लोग मारे गए हैं। अमेरिका ने इन युद्धों में 6.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए हैं। इस रकम का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 2020 में अमेरिका का बजट 4.79 ट्रिलियन था।

बिल्डिंग का मलबा बना अमेरिका के लिए मुसीबत
अमेरिका को 9/11 हमले में WTC की दो इमारतों के गिरने से 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था। हमले के बाद दोनों टावर ढह गए थे और बिल्डिंग का मलबा अमेरिका के लिए और बड़ी मुसीबत बन गया था। बिल्डिंग के ध्वस्त होने बाद उसके मलबे को फ्रेश किल्स नाम के लैंडफिल साइट पर ले जाया गया। कई दिनों तक मलबे में शवों की छानबीन की गई। लेकिन इस दौरान कई लोग इससे निकले जहरीले पदार्थों की चपेट में आकर विभिन्न बीमारियों का शिकार हो गए। इस बिल्डिंग के गिरने के बाद स्वयंसेवकों, दमकल, पुलिस और खोजी कुत्तों की एक टीम ने पहले दिन 21 जीवित लोगों को मलबे से बाहर निकाला, लेकिन इसके बाद कोई व्यक्ति जिंदा नहीं निकला। इसके अलावा मलबे में बिखरे हुए शवों के 21,900 टुकड़ों को इकट्ठा किया गया।

40 एकड़ में दफन किया गया मलबा
इस मलबे से पैदा हुई परेशानियां काबू से बाहर हो गईं। इससे निकली जहरीली गैसें वहां काम करने वालो लोगों के लिये हानिकारक बन गईं। मलबे से उपजी गैसों और दूषित पदार्थों ने गुर्दे, हृदय, यकृत संबंधी बीमारियों और स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा दिया, जिसका दंश कई साल तक लोगों ने झेला। बताया जाता है कि लगभग 1,600 लोग उस समय इस साइट से प्रभावित हुए थे। हमले के बाद लगभग 1.6 लाख मिलियन टन मलबा यहां लाया गया था। इस मबले से हजारों मानव अवशेष निकाले गए लेकिन केवल 300 लोगों की ही पहचान हो पाई। साल 2011 में यहां एक स्मारक बनाया गया। इमारत के मलबे को लैंडफिल साइट के 40 एकड़ भूभाग में दफन कर दिया गया।
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अमेरिका ने झोंक दिए अरबों डॉलर
हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपनी सेना उतार दी। धीरे-धीरे सैनिकों की बढ़ते-बढ़ते लाखों में पहुंच गई और 2011 में यहां 1,10,000 तक अमेरिकी सैनिक तैनात थे। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 से 2012 के बीच इस जंग पर सालाना खर्च 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। इसके बाद अमेरिका ने अपना पैसा तालिबान के खात्मे के बजाय अफगान सेना की ट्रेनिंग पर लगाया। पेंटागन के सीनियर अधिकारी ने अमेरिकी कांग्रेस को बताया था कि साल 2018 तक सालाना खर्च 45 अरब डॉलर तक आ गया था।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान के खिलाफ 978 अरब डॉलर खर्च
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान पर अक्टूबर 2011 से लेकर सितंबर 2019 तक 778 अरब डॉलर खर्च किए जा चुके थे। इसके अलावा अमेरिकी गृह विभाग ने अमेरिकी इंटरनैशनल डिवेलपमेंट एजेंसी और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर 44 अरब डॉलर पुनर्निर्माण प्रॉजेक्ट पर खर्च किए। यानी 2001 से 2019 के बीच कुल खर्च 822 अरब डॉलर था। ब्राउन यूनिवर्सिटी की साल 2019 की एक स्टडी के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान को मिलाकर तालिबान के खिलाफ जंग पर अमेरिका ने 978 अरब डॉलर खर्च कर दिए।



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