80 दिन, 7 चरण, भीषण गर्मी का सितम; सदी का सबसे लंबा लोकसभा चुनाव 2024 h3>
भीषण सियासी तथा आसमानी गर्मी वाला वर्तमान संसदीय चुनाव कुल 80 दिनों में चार जून को पूर्ण होगा। अंतिम चरण तक आते-आते यह आम लोगों के साथ-साथ नेताओं के लिए भी थकाऊ और बोझिल होने लगा है। हालांकि, लोकतंत्र का यह महापर्व पहली बार वोट करने वाले समेत तमाम मतदाताओं के लिए एक आवश्यक तथा अधिकारों के इस्तेमाल के लिए एक बेहतर तथा यादगार पल बनकर भी उभरा है।
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सात चरणों में लोकसभा चुनाव को लेकर 80 दिनों के बीच नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच, नामांकन पत्र की वापसी एवं मतदान सहित चुनाव प्रचार की प्रक्रियाएं पूरी की गयी। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई थी। अंतिम चरण का चुनाव प्रचार 30 मई को समाप्त हुआ और मतदान एक जून को होगा। सभी चरणों के मतगणना तथा चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ 4 जून को चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण होगी। कल यानी एक जून को आखिरी और सातवें चरण का मतदान है।
चुनाव की घोषणा के बाद से ही राज्य सरकार की पूरी मशीनरी चुनाव कार्य में लगी रही। प्रमुख विभागों में काम की गति मंथर हो गई। अधिकारियों एवं कर्मियों को चरणबद्ध प्रशिक्षण व अन्य कार्यों में लगा दिया गया। अर्धसैनिक बलों सहित पूरा पुलिस महकमा चुनाव से जुड़ी कार्रवाई में जुट गया। केंद्रीय बलों के आवासन आदि इंतजाम किए गए। कोषांगों का गठन कर चुनाव से जुड़े कार्यो को पूरा किया गया।
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इसके पूर्व 2019 में 73 दिनों में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हुई थी। इस वर्ष भी बिहार में सात चरणों में चुनाव हुआ था। 2019 में 11 मार्च को चुनाव की घोषणा हुई थी। चार सीटों पर 11 अप्रैल को, पांच-पांच सीटों पर 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल व 6 मई और 8-8 सीटों पर 12 मई तथा 19 मई को मतदान हुआ था। 23 मई को मतगणना हुई थी।
देश में सबसे लंबी चुनाव प्रक्रिया पहला लोकसभा चुनाव की रही थी। देश में पहली लोकसभा गठन के लिए 1 नवंबर, 1951 को पहली अधिसूचना जारी की गयी थी। 29 नवंबर तक विभिन्न तिथियों में अधिसूचना जारी की गयी। मतदान दो से 25 जनवरी 1952 के बीच 17 चरणों में हुआ था। अपवादस्वरूप पंजाब, बिलासपुर, कोचिन एवं त्रावणकोर में अक्टूबर 1951 तथा हिमाचल प्रदेश के लिए 10 सितंबर 1951 को ही अधिसूचना जारी कर दी गयी थी। पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण पहले ही चुनावी प्रक्रिया पूरी की गयी थी।
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2009 में 74 दिनों में चुनाव प्रक्रियाएं पूरी की गयी थी। बिहार में चार चरणों में चुनाव हुआ था। 2004 में 73 दिनों में चुनाव प्रक्रियाएं पूरी हुई थी। 29 फरवरी को चुनाव की घोषणा हुई थी। 13 मई को मतगणना के साथ प्रकियाएं पूरी की गयी थी। बिहार में तीन चरणों में चुनाव हुआ था। इसके पहले 2014 में 71 दिनों में चुनावी प्रक्रिया पूरी की गयी थी। चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई के बीच हुए थे। मतदान प्रकिया 7 अप्रैल से 12 मई तक हुआ। 16 मई को मतगणना के साथ ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गयी। बिहार में छह चरण में जबकि देश भर में 9 चरणों में संसदीय चुनाव हुआ था।
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चुनाव आयोग ने मतदान बढ़ाने और मतदाताओं की सुविधा के लिए कई नई पहल की। मतदाता सूची में संशोधन व नये नाम शामिल किये। पहले मतदान, फिर जलपान के संदेश दिया। छाया की व्यवस्था बूथों को चिन्हित कर शामियाना लगाया गया। बैठने व पेयजल के इंतजाम किये। आपात स्थिति से निबटने को मेडिकल किट की व्यवस्था। व्हील-चेयर एवं स्वयंसेवक बूथों पर दिव्यांगों, वरिष्ठ मतदाताओं, गर्भवती के लिए व्हील-चेयर एवं मतदाताओं के सहयोग के लिए स्वयंसेवकों की तैनाती की गयी। प्रत्येक मतदान केंद्र में मतदान सहायता डेस्क बनाया गया।
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निशुल्क वाहन मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए जिलें में दिव्यांग, 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं, गर्भवती को बूथ तक आने-जाने के लिए वाहन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। डोर-टू-डोर कैंपेन जीविका दीदी, आंगनबाड़ी कर्मी, चौकीदार, टोला सेवक, तालीमी मरकज, किसान सलाहकार, आशा दीदी, बीएलओ आदि ने रोज डोर-टू-डोर कैंपेन चला मतदान की अपील की। मोबाइल से मैसेज भेजे। घर बैठे मतदान आयोग ने बुजुर्ग एवं दिव्यांग मतदाताओं के लिए घर बैठे मतदान के इंतजाम किए। इसका लाभ भी बड़े पैमाने पर लोगों ने उठाए।
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भीषण सियासी तथा आसमानी गर्मी वाला वर्तमान संसदीय चुनाव कुल 80 दिनों में चार जून को पूर्ण होगा। अंतिम चरण तक आते-आते यह आम लोगों के साथ-साथ नेताओं के लिए भी थकाऊ और बोझिल होने लगा है। हालांकि, लोकतंत्र का यह महापर्व पहली बार वोट करने वाले समेत तमाम मतदाताओं के लिए एक आवश्यक तथा अधिकारों के इस्तेमाल के लिए एक बेहतर तथा यादगार पल बनकर भी उभरा है।
सात चरणों में लोकसभा चुनाव को लेकर 80 दिनों के बीच नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच, नामांकन पत्र की वापसी एवं मतदान सहित चुनाव प्रचार की प्रक्रियाएं पूरी की गयी। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई थी। अंतिम चरण का चुनाव प्रचार 30 मई को समाप्त हुआ और मतदान एक जून को होगा। सभी चरणों के मतगणना तथा चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ 4 जून को चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण होगी। कल यानी एक जून को आखिरी और सातवें चरण का मतदान है।
चुनाव की घोषणा के बाद से ही राज्य सरकार की पूरी मशीनरी चुनाव कार्य में लगी रही। प्रमुख विभागों में काम की गति मंथर हो गई। अधिकारियों एवं कर्मियों को चरणबद्ध प्रशिक्षण व अन्य कार्यों में लगा दिया गया। अर्धसैनिक बलों सहित पूरा पुलिस महकमा चुनाव से जुड़ी कार्रवाई में जुट गया। केंद्रीय बलों के आवासन आदि इंतजाम किए गए। कोषांगों का गठन कर चुनाव से जुड़े कार्यो को पूरा किया गया।
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इसके पूर्व 2019 में 73 दिनों में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हुई थी। इस वर्ष भी बिहार में सात चरणों में चुनाव हुआ था। 2019 में 11 मार्च को चुनाव की घोषणा हुई थी। चार सीटों पर 11 अप्रैल को, पांच-पांच सीटों पर 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल व 6 मई और 8-8 सीटों पर 12 मई तथा 19 मई को मतदान हुआ था। 23 मई को मतगणना हुई थी।
देश में सबसे लंबी चुनाव प्रक्रिया पहला लोकसभा चुनाव की रही थी। देश में पहली लोकसभा गठन के लिए 1 नवंबर, 1951 को पहली अधिसूचना जारी की गयी थी। 29 नवंबर तक विभिन्न तिथियों में अधिसूचना जारी की गयी। मतदान दो से 25 जनवरी 1952 के बीच 17 चरणों में हुआ था। अपवादस्वरूप पंजाब, बिलासपुर, कोचिन एवं त्रावणकोर में अक्टूबर 1951 तथा हिमाचल प्रदेश के लिए 10 सितंबर 1951 को ही अधिसूचना जारी कर दी गयी थी। पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण पहले ही चुनावी प्रक्रिया पूरी की गयी थी।
2009 में 74 दिनों में चुनाव प्रक्रियाएं पूरी की गयी थी। बिहार में चार चरणों में चुनाव हुआ था। 2004 में 73 दिनों में चुनाव प्रक्रियाएं पूरी हुई थी। 29 फरवरी को चुनाव की घोषणा हुई थी। 13 मई को मतगणना के साथ प्रकियाएं पूरी की गयी थी। बिहार में तीन चरणों में चुनाव हुआ था। इसके पहले 2014 में 71 दिनों में चुनावी प्रक्रिया पूरी की गयी थी। चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई के बीच हुए थे। मतदान प्रकिया 7 अप्रैल से 12 मई तक हुआ। 16 मई को मतगणना के साथ ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गयी। बिहार में छह चरण में जबकि देश भर में 9 चरणों में संसदीय चुनाव हुआ था।
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चुनाव आयोग ने मतदान बढ़ाने और मतदाताओं की सुविधा के लिए कई नई पहल की। मतदाता सूची में संशोधन व नये नाम शामिल किये। पहले मतदान, फिर जलपान के संदेश दिया। छाया की व्यवस्था बूथों को चिन्हित कर शामियाना लगाया गया। बैठने व पेयजल के इंतजाम किये। आपात स्थिति से निबटने को मेडिकल किट की व्यवस्था। व्हील-चेयर एवं स्वयंसेवक बूथों पर दिव्यांगों, वरिष्ठ मतदाताओं, गर्भवती के लिए व्हील-चेयर एवं मतदाताओं के सहयोग के लिए स्वयंसेवकों की तैनाती की गयी। प्रत्येक मतदान केंद्र में मतदान सहायता डेस्क बनाया गया।
निशुल्क वाहन मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए जिलें में दिव्यांग, 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं, गर्भवती को बूथ तक आने-जाने के लिए वाहन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। डोर-टू-डोर कैंपेन जीविका दीदी, आंगनबाड़ी कर्मी, चौकीदार, टोला सेवक, तालीमी मरकज, किसान सलाहकार, आशा दीदी, बीएलओ आदि ने रोज डोर-टू-डोर कैंपेन चला मतदान की अपील की। मोबाइल से मैसेज भेजे। घर बैठे मतदान आयोग ने बुजुर्ग एवं दिव्यांग मतदाताओं के लिए घर बैठे मतदान के इंतजाम किए। इसका लाभ भी बड़े पैमाने पर लोगों ने उठाए।