59 लाख लोगों ने दूसरी और 6 लाख ने पहली डोज का टीकाकरण नकारा, बार—बार बुलाने पर भी नहीं आए | corona vaccine | Patrika News
यह भी सामने आया है कि पहली डोज के बाद कई लोगों को कुछ दुष्प्रभावों की शिकायतें हैं, जिसका सरकार की ओर से उचित अध्ययन करवाकर शंका समाधान आज तक नहीं किया गया है। वहीं, कई लोग कोविड के कम हुए प्रभाव को देखते हुए इसे अनदेखा कर रहे हैं। गौरतलब है कि चिकित्सा विभाग के अनुसार राज्य में वयस्क आबादी 5.15 करोड़ है, जिनमें से 5.08 करोड़ ने पहली और इनमें से 4.50 करोड़ ने अब तक दूसरी डोज लगवाई है। अब तक राज्य में 98.8 प्रतिशत ने पहली और 88.4 प्रतिशत ने दूसरी डोज लगवाई है।
पहली डोज : जालोर और धौलपुर सबसे फिसडृडी राज्य में पहली डोज का सर्वाधिक 109.5 प्रतिशत वैक्सीन जयपुर प्रथम में हआ है। जब कि सबसे कम 86.9 प्रतिशत जालौर और 89.1 प्रतिशत धौलपुर जिले में हुआ है। जयपुर द्वितीय में 106.2 प्रतिशत वैक्सीनेशन अब तक हुआ है। जयपुर प्रथम व द्वितीय सहित 16 जिलों में शत प्रतिशत लोगों को पहली डोज लगाई जा चुकी है। यह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने वाले जिलों में जालौर और धौलपुर के अलावा बाड़मेर, भरतपुर, डूूगरपुर, बांसवाड़ा, टोंक, जैसलमेर, पाली, राजसमंद, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, सिरोही, चूरू, गंगानगर, भीलवाड़ा, झुंझुनूं शामिल है।
दूसरी डोज :: बूंदी और प्रतापगढ़ ही पार कर पाए शत प्रतिशत बूंदी और प्रतापगढ़ जिले ही दूसरी डोज का शत प्रतिशत लक्ष्य अब तक प्राप्त कर पाए हैं। सबसे कम जयपुर प्रथम 78.1 और जोधपुर में 80.5 प्रतिशत ने ही दूसरी डोज लगवाई है। जालोर, टोंक, बीकानेर, नागौर, सिरोही, चूरू, भीलवाड़ा, झुंझुनूं, अजमेर, बारां, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, अलवर और कोटा जिले ही इस डोज का 90 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण कर पाए हैं।
चिकित्सा विभाग के तर्क . बड़े शहरों में कोविड काल के दौरान पहली डोज लगवाने वाले हजारों लोग अपने मूल कार्य स्थल पर लौट चुके हैं..इसलिए इन शहरों में दूसरी डोज का प्रतिशत कम है
. कोविड के कम हो रहे प्रभाव को देखकर लोग लापरवाही बरत रहे हैं
पत्रिका ने बताई थी तस्वीर राजस्थान पत्रिका ने अप्रेल माह में प्रदेश व्यापी सर्वे करवाया था। जिसमें 14.1 प्रतिशत लोगों ने टीकाकरण के बाद दीर्घकालिक दुष्प्रभाव झेलने की बात कही थी। 57.7 प्रतिशत ने यह भी कहा था कि विशेषज्ञ चिकित्सक उनकी शंकाओं का समाधान नहीं कर पाए। सर्वे में 72.3 प्रतिशत ने कहा था कि सरकार को टीकाकरण के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का अध्ययन करवाकर उसके आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए।
… कोविड का प्रभाव कम होने के बाद दूसरी डोज लोग टीके कम लगवा रहे हैं। वैसे हम घर—घर तक दस्तक दे चुके हैं, जिसमें पहली डोज लगवाने वाले बेहद कम सामने आए हैं।
डॉ.रघुराज सिंह, परियोजना निदेशक, टीकाकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
यह भी सामने आया है कि पहली डोज के बाद कई लोगों को कुछ दुष्प्रभावों की शिकायतें हैं, जिसका सरकार की ओर से उचित अध्ययन करवाकर शंका समाधान आज तक नहीं किया गया है। वहीं, कई लोग कोविड के कम हुए प्रभाव को देखते हुए इसे अनदेखा कर रहे हैं। गौरतलब है कि चिकित्सा विभाग के अनुसार राज्य में वयस्क आबादी 5.15 करोड़ है, जिनमें से 5.08 करोड़ ने पहली और इनमें से 4.50 करोड़ ने अब तक दूसरी डोज लगवाई है। अब तक राज्य में 98.8 प्रतिशत ने पहली और 88.4 प्रतिशत ने दूसरी डोज लगवाई है।
पहली डोज : जालोर और धौलपुर सबसे फिसडृडी राज्य में पहली डोज का सर्वाधिक 109.5 प्रतिशत वैक्सीन जयपुर प्रथम में हआ है। जब कि सबसे कम 86.9 प्रतिशत जालौर और 89.1 प्रतिशत धौलपुर जिले में हुआ है। जयपुर द्वितीय में 106.2 प्रतिशत वैक्सीनेशन अब तक हुआ है। जयपुर प्रथम व द्वितीय सहित 16 जिलों में शत प्रतिशत लोगों को पहली डोज लगाई जा चुकी है। यह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने वाले जिलों में जालौर और धौलपुर के अलावा बाड़मेर, भरतपुर, डूूगरपुर, बांसवाड़ा, टोंक, जैसलमेर, पाली, राजसमंद, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, सिरोही, चूरू, गंगानगर, भीलवाड़ा, झुंझुनूं शामिल है।
दूसरी डोज :: बूंदी और प्रतापगढ़ ही पार कर पाए शत प्रतिशत बूंदी और प्रतापगढ़ जिले ही दूसरी डोज का शत प्रतिशत लक्ष्य अब तक प्राप्त कर पाए हैं। सबसे कम जयपुर प्रथम 78.1 और जोधपुर में 80.5 प्रतिशत ने ही दूसरी डोज लगवाई है। जालोर, टोंक, बीकानेर, नागौर, सिरोही, चूरू, भीलवाड़ा, झुंझुनूं, अजमेर, बारां, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, अलवर और कोटा जिले ही इस डोज का 90 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण कर पाए हैं।
चिकित्सा विभाग के तर्क . बड़े शहरों में कोविड काल के दौरान पहली डोज लगवाने वाले हजारों लोग अपने मूल कार्य स्थल पर लौट चुके हैं..इसलिए इन शहरों में दूसरी डोज का प्रतिशत कम है
. कोविड के कम हो रहे प्रभाव को देखकर लोग लापरवाही बरत रहे हैं
पत्रिका ने बताई थी तस्वीर राजस्थान पत्रिका ने अप्रेल माह में प्रदेश व्यापी सर्वे करवाया था। जिसमें 14.1 प्रतिशत लोगों ने टीकाकरण के बाद दीर्घकालिक दुष्प्रभाव झेलने की बात कही थी। 57.7 प्रतिशत ने यह भी कहा था कि विशेषज्ञ चिकित्सक उनकी शंकाओं का समाधान नहीं कर पाए। सर्वे में 72.3 प्रतिशत ने कहा था कि सरकार को टीकाकरण के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का अध्ययन करवाकर उसके आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए।
… कोविड का प्रभाव कम होने के बाद दूसरी डोज लोग टीके कम लगवा रहे हैं। वैसे हम घर—घर तक दस्तक दे चुके हैं, जिसमें पहली डोज लगवाने वाले बेहद कम सामने आए हैं।
डॉ.रघुराज सिंह, परियोजना निदेशक, टीकाकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग