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पैतृक जमीन का दाखिलखारिज कराना अब हुआ आसान
स्व घोषण पत्र के माध्यम से कर सकते हैं आवेदन

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सरपंच ही लोगों की बनाएंगे वंशावली

फोटो :

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16करायपरसुराय01 : करायपरसुराय में शिविर लगाकर नामांतरण एवं परिमार्जन करते हल्का कर्मचारी। (फाइल फोटो)

करायपरसुराय, निज संवाददाता/पवन कुमार।

अब पैतृक जमीन का म्यूटेशन कराना पहले से आसान हो गया है। वंशावली बनाने की प्रक्रिया में थोड़ी ढील दी गई है। ढील देने का मतलब यह नहीं कि जैसे-तैसे वंशावली तैयार कर म्यूटेशन करवा लिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति वंशावली की स्व घोषणा पत्र जारी कर पैतृक जमीन का दाखिल खारिज करा सकता है। स्व घोषणा पत्र जारी करने के बाद संबंधित हल्का के राजस्व कर्मचारी गांव जाकर उसकी जांच करेंगे और मामला सही आने पर म्यूटेशन करेंगे। तात्पर्य यह कि अब सरपंच पारिवारिक वंशावली देंगे।

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पहले कैसे बनती थी वंशावली :

वंशावली बनाने के लिए पहले प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट अथवा स्थानीय जनप्रतिनिधि की रिपोर्ट के आधार पर बनी वंशावली ही मान्य थी। जब से सरकार ने जमाबंदी के आधार पर ही जमीन की खरीद बिक्री अथवा रजिस्ट्री करने का आदेश जारी किया है, तबसे रजिस्ट्री ऑफिस में जमीन रजिस्ट्री प्रभावित हुई है। वहीं अब आने वाले समय में सर्वे को लेकर भी म्यूटेशन के लिए लोग परेशान हो रहे हैं। भूमि सुधार व राजस्व विभाग के आदेश पर सभी हल्का में शिविर लगाया जा रहा है। शिविर में कागजात के अभाव में लोग अब भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने राजस्व कर्मचारियों को कड़ी हिदायत दी है। कहा है कि हर हाल में शिविर लगाकर नामांतरण एवं परिमार्जन भी करें।

स्व घोषणा पत्र से ऐसे बनाएं अपनी वंशावली :

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वंशावली के लिए कोई भी जरूरतमंद अपनी तीन पुश्त का हवाला देते हुए सभी वारिसानों (उत्तराधिकारी या पूर्वज) का जिक्र करते हुए स्व घोषणा पत्र ग्राम पंचायत सचिव को सौंपेंगे। स्व घोषणा पत्र हस्तलिखित भी हो सकता है। इसे नोटरी से एफिडेविट करवाकर भी जमा किया जा सकता है। इस स्व घोषणा पत्र को स्थानीय अधिकृत हल्का कर्मचारी जांच करेंगे। सभी दावेदारों के हक की जांच कर उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसी आधार पर म्यूटेशन कर दिया जाएगा।

पहले कैसे होती थी रजिस्ट्री :

कुछ दिन पहले तक रजिस्ट्री ऑफिस में जमीन का निबंधन बिना किसी झमेले के हो जाता था। इजमाइल यानि संयुक्त प्रॉपर्टी के वारिस खुद रजिस्ट्री ऑफिस में दावा करते थे और जमीन बेच लेते थे। प्रत्येक घरों में जमीन विवाद काफी ज्यादा बढ़ गया था। तब सरकार ने हाल ही मे जिसके नाम जमाबंदी वही करेगा जमीन का रजिस्ट्री का फंडा लागू किया है। लोगों की जमीन का वारिसान के हिसाब से अलग-अलग नामांतरण नहीं हुआ है, तो वे चाह कर भी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसे में वे इसके तहत वंशवाली बनवाकर जमीन अपने नाम करवा सकते हैं।

साढ़े आठ लाख जमाबंदी कायम :

आठ लाख 44 हजार 773 जमाबंदी कायम हैं। यानि इतने रैयतों के नाम से विभिन्न मौजों में जमीन हैं। इनमें से लगभग 20 फीसद जमाबंदी अब भी बाबा व दादा या अन्य के नाम से चले आ रहे हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी के नाम से अब तक जमाबंदी कायम नहीं हो सकी है। जबकि, उनके वंशज पहले ही जमीन बेच चुके हैं। लेकिन, उनके नाम पर अब भी जमाबंदी कायम हैं। इस तरह के भी लगभग 10 फीसद मामले अंटके हुए हैं। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 1907 की भूसर्वे के रिकॉर्ड के अनुसार जिला में नौ लाख 77 हजार 688 खेसरा थे। जो अब कई भाग में बंट चुके हैं। विशेष भू सर्वेक्षण अधिकारी राहुल रंजन ने बताया कि खासकर नगरीय इकाइयों में तो खेतों व छोटे भूभागों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। जिला की नौ पंचायतों में नया स्तर से विशेष भूसर्वेक्षण का काम चल रहा है। इसके अनुसार पहले वाले खेतों की संख्या में 200 फीसद तक बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

कहते हैं बीडीओ :

पंचायत सचिव की रिपोर्ट पर बनायी गयी वंशावली ही मान्य होगी। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी पंचायत सचिवों को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं। अब रैयतों को अपनी जमीन का दाखिल खारिज कराने में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। इसके लिए पंचायतों में शिविर भी लगाया जा रहा है।

विशाल आनंद, बीडीओ, करायपरसुराय

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।

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