500 रुपये की ट्रेन टिकट लेकर दिल्ली आते हैं… केजरीवाल की बिहार से ‘रंजिश’ के दाग को कैसे मिटाएंगे नीतीश कुमार?

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500 रुपये की ट्रेन टिकट लेकर दिल्ली आते हैं… केजरीवाल की बिहार से ‘रंजिश’ के दाग को कैसे मिटाएंगे नीतीश कुमार?

500 रुपये की ट्रेन टिकट लेकर दिल्ली आते हैं… केजरीवाल की बिहार से ‘रंजिश’ के दाग को कैसे मिटाएंगे नीतीश कुमार?

पटना: विपक्षी एकता की मुहिम को लेकर लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और यह भरोसा भी दिलाया कि केंद्र की दमनकारी नीति से लड़ने में साथ रहेंगे। यह वही नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने वर्ष 2020 के विधान सभा में आप के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए चुनावी समर में भरपूर नुकसान के उद्देश्य से चुनाव लड़ा था। यह दीगर की आधी सीटों पर लड़ने का झांसा देने वाली जेडीयू महज कुछ सीटों पर चुनाव लड़ी और केवल एक सीट पर अपनी जमानत बचा सकी। लेकिन इस मुलाकात पर राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है। उसके मुताबिक यह तो मिलने का बहाना है। नीतीश कुमार मूल रूप से कांग्रेस का दूत बनकर उन राज्यों में जा रहे हैं, जहां कांग्रेस विरोध की सरकार है। मकसद यह है कि उन राज्यों में ड्राइविंग सीट पर क्षेत्रीय दल रहे पर कांग्रेस को सम्मानीय सीट मिले।

2020 के नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल

यह वह खास समय था जब नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल पर काफी तीखा हमला करते बिहार विरोधी बताया था। तब दिल्ली की एक जन सभा में पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार करते हुए कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल ने बिहारियों का अपमान किया। बिहार से 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आते हैं और इलाज पर पांच लाख खर्च कर लौट जाते हैं। बिहार में आयुष्मान योजना का लाभ मरीज उठा सकता है। पर दिल्ली सरकार ने आयुष्मान योजना को लागू ही नहीं किया। तब नीतीश कुमार ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर यह भी आरोप लगाया था कि दिल्ली में हमने बस चलाने की अनुमति मांगी थी, परंतु दिल्ली सरकार ने साफ मना कर दिया। अरविंद केजरीवाल शिक्षा का ढिंढोरा पिटते हैं। लेकिन हम लोगों ने काम किया। 22 हजार स्कूल खोलने का काम किया। यह एनडीए नीत की केंद्र सरकार है, जिसने दिल्ली के अनाध्रीकृत कॉलोनियों को भी अधिकृत कर सारी सुविधाओं का हकदार बनाया।

2023 नीतीश कुमार और केजरीवाल

समय बदला, जरूरतें बदली और अंदाज भी बदले। वह भी ऐसे कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की बोली भी पलट गई। बदली परिस्थिति में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले मामले में एक चुनी हुई सरकार को दी गई शक्तियां कैसे छीनी जा सकती है? यह संविधान के खिलाफ है। हम इस मुद्दे पर केजरीवाल के साथ खड़े हैं। केजरीवाल को हमारा जितना समर्थन चाहिए हम देंगे। संविधान के विरुद्ध काम हो रही मानसिकता के विरुद्ध। विपक्ष एकता की मुहिम में निकला हूं। मेरी तो इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा दल बीजेपी की सरकार को, संविधान विरोधी सरकार को, नफरत फैलाने वाली सरकार को अपदस्थ करने के लिए जुड़े।

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क्या कहती है बीजेपी?

बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री नितिन नवीन ने अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार की मुलाकात पर टिप्पणी करते कहा कि भ्रद्ताचारियों का मिलन हो रहा है। दरअसल, नीतीश कुमार देशभर के भ्रष्टाचारियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उसमें वह सफल नहीं होंगे। इनकी कोशिश यह है कि अपने-अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सारे भ्रष्टाचारियों का जुटान कर रहें हैं। उन्हें डर है कि साल 2024 में अगर नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बन गए तो जो आज बेल पर बाहर हैं, जेल में चले जाएंगे।
Bihar Politics: कांग्रेस के कहने पर केजरीवाल से मिले सीएम नीतीश? कर्नाटक टू दिल्ली वाया कोलकाता का प्लान जानिएदिल्ली के पूर्व डेप्युटी सीएम सिसोदिया समेत अनके करीबी लोग भ्रष्टाचार के मामले में आज जेल में बंद हैं। बेल की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बेल भी नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी बेल पर हैं। ऐसे लोगों का पर्दाफाश हो रहा है तो उन्हें बेचैनी हो रही है। जेल में बंद और बेल पर बाहर आए भ्रष्टाचारियों को एकजुट करने की कोशिश हो रही है।
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क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ

राजनीतिक विश्लेषक और वरीय पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि नीतीश कुमार कांग्रेस युक्त गठबंधन बनाने के वादे पर आज भी कायम हैं। इस वादे के बीच दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को कांग्रेस युक्त गठबंधन बनाने की दिशा में सपोर्ट मांगने की जरूरत है। इसके लिए एक फॉर्मूला लेकर दिल्ली गए और बाद में ममता बनर्जी और केसी राव के पास भी जायेंगे। इस फार्मूले में कांग्रेस को स्थान देने की बात है। ज्यादा सीटों पर क्षेत्रीय दल ही लड़ें। अभी तक अरविंद केजरीवाल की तरफ से कुछ संदेश नहीं आया है। अब इस मसले पर केजरीवाल, ममता और केसी राव को साथ ले आते हैं तो इसे नीतीश कुमार की बड़ी सफलता मानी जायेगी।

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