500 करोड़ की जमीन को लेकर रेलवे और जिला प्रशासन आमने सामने | Differences between railways and district administration over land wor | Patrika News

80
500 करोड़ की जमीन को लेकर रेलवे और जिला प्रशासन आमने सामने | Differences between railways and district administration over land wor | Patrika News

500 करोड़ की जमीन को लेकर रेलवे और जिला प्रशासन आमने सामने | Differences between railways and district administration over land wor | Patrika News

शहर में 500 करोड से ज्यादा कीमत की जमीन को लेकर रेलवे और जिला प्रशासन में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। रेलवे ने खंबे लगाकर अब इस जमीन पर अपना दावा ठोक दिया है। आपको बता दें कुछ दिन पहले ही जिला प्रशासन ने इस जमीन को अक बिल्ड़र के कब्जे से मुक्त कराया था। हालांकि जबलपुर कलेक्टर ने सफाई देते हुए कहा, यह जमीन मध्य प्रदेश शासन की है। अगर किसी को कोई शंका है, तो बैठकर समाधान किया जा सकता है।

दरअसल शहर में बर्न स्टैंडर्ड कंपनी की सिविल लाइन थाने के सामने स्थित 500 करोड़ से भी ज्यादा की बेशकीमती जमीन पर अपना दावा जताते हुए रेलवे ने अधिकार जमा लिया है। वहीं, प्रशासन 8.86 एकड़ जमीन को नजूल की बता रहा है। जिला प्रशासन पिछले महीने इस जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले में कार्रवाई कर चुका है। इससे पहले इस जमीन पर एक बिल्डर और बारातघर मालिक ने कब्जा कर लिया था.

रेलवे ने लिया नियंत्रण में
इस पूरे मामले में तूल तब देखने को मिला जब सोमबार को रेवले के इंजीनियरिंग विभाग ने जमीन के चारों तरफ खंबे लगाकर इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। वहीं पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल ने इस जमीन को फिर प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार व कलेक्टर को पत्र भी लिख दिया। साथ ही रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने रेलवे की जमीन पर कब्जा जमाये बैठे अतिक्रमणकारियों को जमीन को खाली करने की नसीहत भी दे डाली।

डीसीएम ने रेलवे की जमीन होने का किया दावा
जमीन पर हो रहे विवाद को लेकर रेलवे के डीसीएम देवेश सोनी ने कहा, रेलवे की गाइडलाइन के मुताबिक पूरे देश में बर्न स्टैंडर्ड के तहत जो जमीन खाली होती है, वो रेलवे की संपत्ति होती है। इसके तहत पूर्व में बर्न कंपनी की जमीन पर ही रेलवे कालोनी रेल सौरभ का निर्माण किया गया. इसके अलावा विभाग को कटनी और पांडी में 60 अकड़ जमीन प्राप्त हुई है।

अधिकारियों ने किया निरीक्षण
रेल अधिकारियों के मुताबिक एक बिल्डर ने भी इसी तरह रेलवे की जमीन पर दावा ठोंका था। लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया था। इसके बाद अब रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों जेपी सिंह, पीके श्रीवास्तव, एमके प्यासी, संजीव खरे और एसके श्रीवास्तव ने विवादित जमीन का निरीक्षण किया. आपको बता दें सिविल लाइन थाना स्थित विश्वविधालय रोड पर विवादित जमीन को अतिक्रमण मुक्त बनाने और इसे सुरक्षित करने के लिए पिलर लगाकर रेलवे सीमा का आकलन करने का आदेश दिया गया है।

भूमि मप्र शासन की है
हालांकि जबलपुर प्रशासन नें कलेक्टर डॉक्टर इलैयाराजा टी ने दावा किया, कि जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह जमीन मध्य प्रदेश शासन की है और इसके खसरे में भी मप्र शासन दर्ज है. जमीन पहले ही पट्टे पर दी गयी थी। उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया. साथ ही उन्होंने कहा, इस जमीन को लेकर अगर किसा प्रकार भ्रम है, तो उसे दूर कर उसका समाधान किया जायेगा।

ट्रक की हॉर्न पर हाईवे पर लोट लोटकर लड़कों ने किया नागिन डांस, देखें वीडियो…



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News