405 करोड़ की शराब (आरएमएल) से कम एक्साइज ड्यूटी वसूली, सरकार को बड़ा राजस्व घाटा | Excise duty recovery less than RML of 405 crores, big revenue loss | Patrika News

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405 करोड़ की शराब (आरएमएल) से कम एक्साइज ड्यूटी वसूली, सरकार को बड़ा राजस्व घाटा | Excise duty recovery less than RML of 405 crores, big revenue loss | Patrika News

प्रदेश में राजस्थान निर्मित शराब (आरएमएल) की अंग्रेजी शराब के समान तेजी होने के बावजूद आबकारी विभाग कम एक्साइज ड्यूटी की वसूली कर रहा है, इससे विभाग को अब तक 405 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा लग चुका है। वहीं यह शराब गंगानगर शुगर मिल के मुकाबले निजी डिस्टलरीज से तैयार कराकर फायजा पहुंचाया जा रहा है।

सुनील सिंह सिसोदिया जयपुर।
प्रदेश में शराब पर आबकारी शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) तय करने में बड़ा खेल चल रहा है। अंग्रेजी शराब के मुकाबले आरएमएल पर कम शुल्क वसूली से राज्य सरकार को सालाना करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। प्रदेश में प्रदेश में किसी भी मदिरा उत्पादन पर आबकारी शुल्क उसकी तेजी को देखकर तय किया जाता है। लेकिन समान तेजी वाली आईएमएफएल (अंग्रेजी शराब) और आरएमएल (राजस्थान निर्मित मदिरा) के आबकारी शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में समानता नहीं रखी गई। इससे राज्य सरकार गत वित्तीय वर्ष तक ही करीब 405 करोड़ रुपए से कम का राजस्व मिला है।
आरएमएल पर एक्साइज ड्यूटी 200 रुपए प्रति एलपीएल वसूली जा रही है, वहीं अंग्रेजी शराब पर एक्साइज ड्यूटी न्यूनतम स्तर पर 260 रुपए प्रति एलपीएल ली जा रही है। इस तरह आरएमएल की एक शराब पेटी पर सरकार को एक्साइज ड्यूटी 1350 रुपए मिल रही है, वहीं आईएमएफएल की एक पेटी पर 1755 रुपए मिल रहे हैं। इस अंतर को देखा जाए तो आरएमएल पर 405 रुपए प्रति पेटी के हिसाब से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है।

1 करोड़ से ज्यादा पेटी बिकी आरएमएल
राजस्थान में फरवरी 2022 तक करीब 1 करोड़ 1 लाख 79 हजार 296 से अधिक पेटी शराब बेची गई है। प्रति पेटी 405 रुपए कम मिले राजस्व को देखा जाए तो अब तक सरकार को करीब 412 करोड़ रुपए का कम राजस्व मिला है।

राज्य में एेसे मिली आरएमएल को एन्ट्री
आबकारी विभाग ने वर्ष 2019-20 की नीति में आरएमएल शराब बिक्री का प्रावधान किया था। प्रारम्भ में इसके उठाव का प्रतिशत देशी शराब का 5 फीसदी रखा गया था। लेकिन उत्पादन ही नहीं हो सका। वर्ष 2020-21 में आरएमएल का उठाव देशी की खपत का 30 फीसदी कर दिया गया। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में देशी और आरएमएल का उठाव समान रूप से 50-50 फीसदी कर दिया गया। लेकिन इसकी बिक्री नहीं हुई तो ठेकेदारों ने विरोध किया तो विभाग ने आरएमएल का उठाव 50 फीसदी से घटाकर 9 सितंबर 2021 को 35 फीसदी कर दिया। चालू वित्त वर्ष में 2022-23 में आरएमएल का उठाव देशी के मुकाबले बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया गया है।

एेसे तैयार होती है शराब
अंग्रेजी शराब की तरह ही आरएमएल ईएनए (एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल) से तैयार होती है। राजस्थान में इसे 10 डिस्टलरी और 5 बॉटलिंग प्लांट में तैयार किया जा रहा है। सर्वाधिक आरएमएल का करीब 70 फीसदी उत्पादन अकेले ग्लोबस एग्रो निक्स और विन्टेज डिस्टलरी के पास है। गंगानगर शुगर मिल से करीब 5 फीसदी ही उत्पादन कराया जा रहा है। जबकि शुगर मिल के पास पर्याप्त उत्पादन किए जाने के संसाधन उपलब्ध हैं।

देशी मदिरा के विकल्प के रूप में लाई गई थी आरएमएल
प्रदेश में आरएमएल शराब देशी शराब के विकल्प के रूप में लाई गई थी। इसकी तेजी अंग्रेजी शराब से कम और देशी से ज्यादा रखते हुए करीब 35 यूपी रखी जानी थी। जिससे कि भविष्य में देशी शराब का उत्पादन और बिक्री बंद की जा सके। लेकिन विभाग ने राज्य में अंग्रेजी शराब के रेगूलर ब्रांड की तेजी के समान ही आरएमएमल की 25 यूपी (अंडर प्रूफ) तेजी रख बेचना शुरू कर दिया।



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