40 साल में 125 बार सुनवाई,10 बार अंतरिम आदेश फिर भी नहीं मिला न्याय | pendency of court cases in bhopal | Patrika News

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40 साल में 125 बार सुनवाई,10 बार अंतरिम आदेश फिर भी नहीं मिला न्याय | pendency of court  cases in bhopal | Patrika News

40 साल में 125 बार सुनवाई,10 बार अंतरिम आदेश फिर भी नहीं मिला न्याय | pendency of court cases in bhopal | Patrika News

भोपालPublished: Dec 28, 2022 08:31:23 pm

न्याय में हो रहा विलंब, भोपाल में 1 लाख 28 हजार 939 मामले पेंडिंग, अंतरिम आदेशों को बार-बार चुनौती, पार्टियों के रूचि नहीं लेने और छोटे-छोटे प्रकरण पेश करने से बढ़ी संख्या

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भोपाल. राजधानी में कोर्ट केसेज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके साथ पेंडेंसी भी बढ़ रही है। अकेले भोपाल जिले में ही 1 लाख 28 हजार 939 केस पेंडिंग हैं। इनमें सबसे ज्यादा एक लाख से अधिक मामले क्रिमिनल केस से जुड़े हैं। सिविल केस लंबे समय से चल रहे हैं। दो केस तो सबसे ज्यादा पुराने हैं। इनमें से एक केस पिछले 40 साल से चल रहा है वहीं दूसरा 31 साल से चल रहा है। इस केस में अदालत में 125 बार सुनवाई हो चुकी है। पेंडेंसी के पीछे का सबसे बड़ा कारण अंतरिम आदेशों को बार-बार चुनौती दिया जाना है। इसके साथ ही नई पार्टी को रिकॉर्ड पर नहीं लिए जाने और अधिवक्ताओं के सुनवाई के दिन उपस्थिति नहीं हो पाने जैसे कारणों से भी न्याय विलंबित हो रहा है। इसके साथ छोटे-छोटे चालान जैसे प्रकरणों को अदालत में पेश किए जाने के कारण भी संख्या बढ़ी है।
नेशनल जुडीशियरी डाटा ग्रिड के आंकड़ों के अनुसार अभी सबसे ज्यादा क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं। यही नहीं महिलाओं से जुड़े लगभग 12 हजार और बुजुर्गोंं द्वारा लगाए गए लगभग 4 हजार केस भी लंबित हैं।
भोपाल कोर्ट में यह दो केस सबसे ज्यादा पुराने
भोपाल की जिला अदालत में सबसे पुराना केस वर्ष 1982 में लगाया गया स्वरूप नारायण बनाम भंवरी कुंवरी बाई है। यह जमीन विवाद संबंधी केस है जिसकी पिछले 40 साल में 125 बार सुनवाई हो चुकी है। 10 बार अंतरिम आदेश भी पारित हो चुके हैं लेकिन इन्हें बारंबार चुनौती दी गई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 4 जनवरी 2023 को तय है। दूसरा सबसे पुराना केस मोहम्म्द इकबाल बनाम नगर निगम भोपाल का है। यह भी जमीन संबंधी केस है जिसमें 80 बार तारीखें तय हो चुकी हैं। इसकी भी अगली सुनवाई जनवरी 2023 में तय है।
भोपाल में पेंडिंग कोर्ट केस
समय- सिविल- क्रिमिनल- कुल
1 साल तक- 13047- 43281-56328
1 से 3 साल- 5233- 29569-34802
3 से 5 साल- 2825- 20596- 23421
5 से 10 साल- 1572- 12141- 13713
10 से 20 साल- 234- 312- 546
20 से 30 साल- 15- 12- 27
30 साल से अधिक- 2- 0- 2
कुल- 22928- 105911- 128839
पिछले एक माह की स्थिति
प्रकार- पिछले माह में आए प्रकरण- इस माह में निराकृत
सिविल- 1074- 1315
क्रिमिनल- 7368- 7845
कुल- 8442- 9160
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महिलाओं से जुड़े मामले
सिविल- 5824
क्रिमिनल- 6996
कुल- 12820
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बुजुर्गों से जुड़े प्रकरण
सिविल- 2860
क्रिमिनल- 1133
कुल – 3993
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पेंडेंसी की बड़ी वजह
कारण- पेंडिंग प्रकरण
अंतरिम आदेशों को बार-बार चुनौती- 1418
नई पार्टियों को रिकॉर्ड पर नहीं ला पाना- 1104
अधिवक्ताओं की अनुपलब्धता- 1011
डिक्री के निष्पादन में प्रक्रिया की बाधाएं- 957
महत्वपूर्ण गवाहों की पेशी में कठिनाई- 741
सभी दस्तावेज जमा नहीं करना- 604
पार्टियों का रुचि नहीं लेना- 438
अपर कोर्ट का स्टे- 205
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अदालत में प्रकरणों की पेंडेंसी घटाने के लिए चार उपाय होने चाहिए। पहला कोर्ट से जारी वारंट पुलिस और अन्य अमले द्वारा जल्दी तामील कराए जाएं। दूसरा गवाहों की उपस्थिति समय से सुनिश्चित हो। तीसरे सरकार कोर्ट में जजों की नियुक्ति करे। उनकी कमी नहीं होनी चाहिए। चौथा पुलिस और प्रशासन छोटे-छोटे प्रकरण जैसे चालान आदि को अपने स्तर पर ही निराकृत कर ले।
डॉ.पीसी कोठारी, अध्यक्ष बार एसोसिएशन भोपाल

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