38 बनाम 5; बिहार में मोदी की सेना के सामने पस्त है राहुल की फौज का प्रचार; तेजस्वी भरोसे कांग्रेस

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38 बनाम 5; बिहार में मोदी की सेना के सामने पस्त है राहुल की फौज का प्रचार; तेजस्वी भरोसे कांग्रेस

38 बनाम 5; बिहार में मोदी की सेना के सामने पस्त है राहुल की फौज का प्रचार; तेजस्वी भरोसे कांग्रेस

बिहार में लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में पांच सीटों पर वोटिंग चल रही है लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की मात्र पांच रैलियां हुई हैं। वो भी कांग्रेस की सीट पर। इंडिया अलायंस में गठबंधन कर्म का जिम्मा राजद नेता तेजस्वी यादव के कंधे पर है। राहुल गांधी भागलपुर में एक रैली के बाद दोबारा नहीं आए। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दो बार दो-दो रैली करने आए और कांग्रेस की सीट किशनगंज, कटिहार, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में सभा के बाद लौट गए। जबकि एनडीए कैंप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ की बिहार में अब तक 38 सभा हो चुकी हैं। मोदी 21 मई को चुनाव में सातवीं बार बिहार आए। पीएम मोदी ने दो सभा के जरिए पूर्वी चंपारण और महाराजगंज में भाजपा जबकि सीवान और गोपालगंज में जेडीयू के लिए वोट मांगा। सीएम नीतीश कुमार, भाजपा के तमाम दूसरे नेताओं की रैलियां अलग हो रही हैं।

बिहार में महागठबंधन के तहत आरजेडी 23, कांग्रेस 9, वीआईपी 3, सीपीआई माले 3, सीपीआई 1 और सीपीएम 1 सीट लड़ रही है। दूसरी तरफ एनडीए में बीजेपी 17, जेडीयू 16, लोजपा-आर 5, रालोमो 1 और हम 1 सीट पर लड़ रही है। ये सच है कि कांग्रेस बिहार में भाजपा से आधी सीट लड़ रही है लेकिन बिहार में कांग्रेस के प्रचार से राष्ट्रीय नेता जिस तरह से दूर चल रहे हैं, वो राज्य में पार्टी की गंभीरता का एक नमूना है। छठे और सातवें चरण में कांग्रेस की 2-2 सीट हैं। महाराजगंज से प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह लड़ रहे हैं जबकि पटना साहिब से मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजित। चर्चा है कि अखिलेश अपने बेटे के लिए राहुल गांधी या प्रियंका गांधी को बुलाने की कोशिश में लगे हैं। रजाद, वीआईपी या लेफ्ट पार्टियों के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कोई रैली नहीं की है। तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी ही सबके उम्मीदवारों के लिए उड़ रहे हैं।

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पीएम मोदी ने अब तक बिहार में 12 रैलियां और पटना में भाजपा के लिए एक रोड शो किया है। पीएम मोदी की 12 रैलियों में 6 रैलियां भाजपा उम्मीदवारों के लिए जबकि बाकी 6 सहयोगी दलों के लिए किया। मोदी ने नीतीश की जेडीयू के लिए पूर्णिया, मुंगेर और सीवान, चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास के लिए जमुई और हाजीपुर, हम के जीतनराम मांझी के लिए गया में रैली की है। 25 मई को वो रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा के लिए भी काराकाट में रैली करेंगे जबकि भाजपा के लिए बक्सर और पाटलिपुत्र में सभा करेंगे। मोदी की रैलियां ऐसी जगह पर रखी जाती है जिससे दो-तीन सीट कवर हो सके। जैसे पीएम मोदी की आज की रैली गोरेयाकोठी में थी जो जिला सीवान है लेकिन लोकसभा महाराजगंज। मोदी ने वहां मंच पर महाराजगंज के भाजपा कैंडिडेट जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, गोपालगंज के जेडीयू कैंडिडेट आलोक कुमार सुमन और सीवान की जेडीयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी कुशवाहा की मौजूदगी में तीनों के लिए भी वोट मांगा।

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में अब तक 8 रैलियां की हैं। इन 8 सभाओं में कटिहार, झंझारपुर और सीतामढ़ी में शाह ने जेडीयू कैंडिडेट के लिए वोट मांगा। शाह ने बेतिया, मधुबनी, उजियारपुर, बेगूसराय और औरंगाबाद में भाजपा उम्मीदवारों के लिए सभा की। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की 7 सभाओं में 3 सभा पार्टी और 4 सहयोगियों के लिए आयोजित हुई। जेपी नड्डा ने भागलपुर, झंझारपुर, शिवहर में जेडीयू, खगड़िया में लोजपा और मुजफ्फरपुर, अररिया और मोतिहारी में भाजपा कैंडिडेट के लिए वोट मांगा।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की 5 सभाओं में मात्र सारण में एक सभा भाजपा के लिए हुई है जबकि 4 रैली उन्होंने सहयोगी दलों के लिए किया। राजनाथ ने जेडीयू के लिए सुपौल, भागलपुर और बांका जबकि लोजपा के लिए जमुई में सभा की। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब तक हुई 4 सभाएं भाजपा की ही सीट पर हुई हैं। योगी ने नवादा, औरंगाबाद, बेगूसराय और सारण में रैलियां की हैं। नितिन गडकरी ने एक रैली बेगूसराय में की है। सम्राट चौधरी, नित्यानंद राय जैसे नेता पहले से प्रचार में जुटे हैं।

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इन सबके मुकाबले देखें तो महागठबंधन कैंप में तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के अलावा कोई नजर नहीं आ रहा है। दीपांकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी, डी राजा भी अपने-अपने कैंडिडेट की सीट से आगे नहीं गए। सीट बंटवारे में आरजेडी की मनमानी और खास तौर पर पूर्णिया में पप्पू यादव को लालू-तेजस्वी द्वारा प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना, राहुल गांधी की बिहार से बेरुखी को लेकर गिनाए जा रहे कई कारणों में है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है। उस लिहाज से कुछ लोग इसे गठबंधन पर तेजस्वी यादव के एकछत्र नियंत्रण की कोशिश और उसमें कांग्रेस के समर्पण के तौर पर देख रहे हैं।

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जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह पिछले सप्ताह पहुंचे लेकिन इन दोनों की वोटरों के बीच कितनी अपील है, इस पर बहस हो सकती है। जब 17 सीट लड़ रही भाजपा 24 सीटों के चुनाव में ही बड़े नेताओं की 36 सभा करवा चुकी है तो राहुल या प्रियंका गांधी की बिहार से दूरियां सवाल खड़े कर रही है। लोजपा-रामविलास के नेता चिराग पासवान इस पर लगातार पूछ रहे हैं कि क्यों कांग्रेस के बड़े नेता नहीं आ रहे हैं। बची 16 सीटों में कांग्रेस को मिली पश्चिम चंपारण, महाराजगंज, सासाराम और पटना साहिब में छठे और सातवें चरण में वोट है। देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में राहुल गांधी का स्कोर एक रैली पर टिका रहता है या बढ़ता है और प्रियंका गांधी का खाता खुलता भी है या नहीं।

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