350 सिफारिशों की एंट्री, कोड वर्ड में ब्‍यौरा…जितिन प्रसाद के OSD रहे अनिल पांडेय की डायरी में छिपे तबादलों के राज

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350 सिफारिशों की एंट्री, कोड वर्ड में ब्‍यौरा…जितिन प्रसाद के OSD रहे अनिल पांडेय की डायरी में छिपे तबादलों के राज

350 सिफारिशों की एंट्री, कोड वर्ड में ब्‍यौरा…जितिन प्रसाद के OSD रहे अनिल पांडेय की डायरी में छिपे तबादलों के राज

लखनऊ: यूपी के लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद (UP Minister Jitin Prasad) के ओएसडी रहे अनिल कुमार पांडेय (Anil Kumar Pnadey) के पास मौजूद डायरी कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। दरअसल, इस डायरी में विभाग के तबादलों से भी जुड़े कई राज दर्ज है। इन तबादलों में गड़बड़ियों के कारण विभागाध्यक्ष, प्रमुख इंजिनियर समेत 5 का निलंबन हो चुका है। अनिल कुमार पांडेय को तीन दिन पहले तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के आरोप में हटा दिया गया था। वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर यहां आए थे। उन्हें मूल विभाग में वापस भेज दिया गया है और उनके खिलाफ विजिलेंस जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी सिफारिश की गई है।

अनिल केंद्र सरकार में वापस तो चले गए, लेकिन अब चर्चा उस डायरी की है, जिसमें वह मंत्री की तरफ से दिए गए निर्देश, मुलाकातों और चिट्ठियों का ब्योरा दर्ज किया करते थे। सूत्र बताते हैं कि विभाग में इंजिनियरों के तबादलों के लिए मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और संगठन के लोगों ने सिफारिशें की थीं। लैटर हेड पर की गई सिफारिशों के साथ उन्होंने संबंधित इंजिनियरों के प्रार्थनापत्र भी संलग्न किए थे। बताया जा रहा है कि इस तरह की सिफारिशी चिट्ठियों की संख्या 350 से ज्यादा थी। इन सभी सिफारिशों की डायरी में बाकायदा एंट्री है।

कोड वर्ड में है एंट्री
डायरी में कई ब्योरे कोड वर्ड में दर्ज हैं। जैसे किसी इंजिनियर के तबादले की सिफारिश की गई तो इंजिनियर का नाम, उसकी वर्तमान तैनाती और जहां उसका तबादला किया जाना है व सिफारिश करने वाला का नाम कोड वर्ड में लिखा है। इतना ही नहीं मंत्री से मिलने आने वाला कोई व्यक्ति अगर कोई पत्र देता था तो अनिल उसकी एंट्री भी इस डायरी में करते थे। पत्र के ब्योरे के साथ, व्यक्ति का नाम, पत्र देने का समय और तारीख तक दर्ज की गई है। इतना ही नहीं फोन पर आने वाली सिफारिशों को डायरी में नोट करने के साथ बाकायदा यह भी मेंशन है कि ये सिफारिशों फोन कॉल पर प्राप्त हुईं।

सिफारिशों से तैयार की गई थी सूची
पूर्व ओएसडी ने तबादले की सिफारिशों के लिए आई चिट्ठियों में से इंजिनियरों के नामों की एक सूची तैयार की गई थी। इस सूची में इंजिनियरों के नाम के साथ ‘माध्यम’ का भी नाम लिखा था। हालांकि बाद में एक से ज्यादा इंजिनियरों के तबादलों की सिफारिश करने वालों से उनकी प्राथमिकताएं जानी गईं और शॉर्टलिस्ट किया गया। सूत्र बताते हैं कि फाइनल सूची में करीब 40 नाम थे, जिन्हें मंत्री के कवरिंग लेटर के साथ मुख्यालय भेजा गया था। कवरिंग लेटर में नियमानुसार निर्णय लेने की बात लिखी थी। हालांकि महकमे में चर्चा है कि तबादले नियमानुसार ही किए जाते हैं इसे अलग से मेंशन करने के पीछे कोई संदेश तो नहीं छिपा है।

प्रमोशन के बाद ट्रांसफर पर थी दुविधा

सूत्र बताते हैं कि मंत्री प्रमोशन के साथ तबादले के पक्षधर नहीं थे। इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया था कि पहले प्रमोशन कर लिए जाएं, लेकिन प्रमोशन के बाद होने वाले ट्रांसफर को इस तबादला सीजन के बाद कंसीडर किया जाए। लेकिन बाद में विभागीय अधिकारियों के कहने पर यह प्रस्ताव बना कि प्रमोशन के साथ ही ट्रांसफर भी किया जाए। अफसरों का तर्क था कि अगर केवल प्रमोशन हुआ और पोस्टिंग वहीं रही तो इस पर सवाल उठ सकते हैं। ट्रांसफर सीजन समाप्त होने के बाद जब कभी भी नए तबादले का का प्रस्ताव आएगा तो उस पर सीएम की मंजूरी लेनी होगी।

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