300 करोड़ के जमीन घोटाले मे जांच पूरी: शासन से शिकायत के बाद बनी थी SIT, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज – Aligarh News

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300 करोड़ के जमीन घोटाले मे जांच पूरी:  शासन से शिकायत के बाद बनी थी SIT, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज – Aligarh News

300 करोड़ के जमीन घोटाले मे जांच पूरी: शासन से शिकायत के बाद बनी थी SIT, कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज – Aligarh News

कमिश्नर की अध्यक्षता वाली एसआईटी टीम ने मामले की जांच की है।

अलीगढ़ की राज्य कर्मचारी लोक सहकारी आवास समिति में हुए 300 करोड़ के लैंड घोटाले में SIT की जांच पूरी हो गई है। इस योजना में भू-माफियाओ को प्लाट देकर कब्जा कराने की शिकायत हुई थी। जिसके बाद शासन ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।

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शासन की ओर से एसआईटी का गठन किया गया था। मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली इस टीम में डीआईजी और एडीए वीसी को भी शामिल किया गया था। इन्होंने मामले की जांच की है और अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसमें कई अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है।

कई गुना सदस्य, मनमाने ढ़ंग से की रजिस्ट्री

सरकारी कर्मचारियों को आवास देने वाली इस समिति में पीसीएस स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया था। पीसीएस अधिकारी इसके अध्यक्ष और सचिव थे। इसमें 750 सदस्य बनाए जाने थे। जिसके बाद उन्हें प्लाट मिलने थे।

लेकिन जांच में चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि अधिकारियों ने कई गुना ज्यादा सदस्य बना दिए। जांच में 35 हजार से ज्यादा सदस्य बनाए जाने की बात सामने आई है। जिसके बाद मनमाने तरीके से रजिस्ट्री करके लोगों को प्लाट बांटे गए। इसमें कई भूमाफियाओं को भी प्लाट मिले हैं।

1986 में शुरू हुई थी 3 आवासीय योजना

अलीगढ़ में सरकारी राज्य कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए 1986 में उप्र राज्य कर्मचारी विकास लोक सहकारी आवास समिति का गठन किया गया था। इस समिति के संचालन के लिए पीसीएस स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को समिति का अध्यक्ष, सचिव और पदाधिकारी नियुक्त किया गया था।

योजना के तहत 3 आवासीय योजनाएं शुरू की गई थी, जिसमें धनीपुर आवास योजना, किशनपुर आवास योजना और असदपुर कयाम आवास योजना शामिल है। इस योजना के संचालन के लिए किसानों से जमीनें खरीदी गई थी और फिर इसमें प्लाटिंग करके सरकारी कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराए जाने थे। लेकिन यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और कर्मचारियों को योजना का लाभ नहीं मिल पाया।

किसानों से नीलामी में खरीदी थी जमीनें

समिति का गठन 1986 में किया गया था। जिसके बाद 1988 में किसानों से जमीनें खरीदी गई थी। इसमें असदपुर कयाम आवास योजना के लिए 200 बीघा, धनीपुर आवास योजना के तहत 78 बीघा और किशनपुर आवास योजना के लिए 27 बीघा जमीन किसानों से खरीदी गई थी।

नीलामी के माध्यम से इन जमीनों को खरीदा गया था, जिसके बाद विकास प्राधिकरण से नक्शा स्वीकृत कराकर इसमें प्लाटिंग की जानी थी और राज्य कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराए जाने थे। लेकिन अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इन योजनाओं का लाभ कर्मचारियों को मिलने के बजाय भू-माफियाओं को मिला और उन्होंने इन जमीनों पर कब्जा कर लिया।

एडीए के पास नहीं मिला था रिकॉर्ड

आवासीय योजना शुरू होने के बाद अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के जरिए इसका नक्शा स्वीकृत किया जाना था। जिसके बाद कर्मचारियों को जमीन मिलनी थी। लेकिन इन योजनाओं का कोई भी नक्शा एडीए से स्वीकृत नहीं कराया गया। वर्तमान में एडीए के पास इनका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।

कई पीसीएस अधिकारियों पर गिरेगी गाज

शासन से हुई शिकायत में बताया गया था कि करोड़ों की इन आवासीय योजनाओं पर आज भू-माफियाओं का कब्जा है। आवासीय योजना में कई पीसीएस अधिकारी और राजपत्रित अधिकारी ही पदाधिकारी रहे हैं। जिनकी मिली भगत से ही यह सारे कब्जे हुए हैं। वास्तविक लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं मिल सका है।

एसआईटी ने इस मामले की गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेजी है। लेकिन बताया जा रहा है कि इसमें कई अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। जिसके बाद उनके ऊपर गाज गिरनी तय है।

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