25 प्रतिशत अपात्राें काे राशन: 20 प्रतिशत पात्राें काे एक दाना भी नहीं | big reality of government food grains came out after the survey | Patrika News
सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन व नीति विश्लेषण संस्थान को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के मूल्यांकन का जिम्मा दिया है। संस्थान ने पहले चरण में भोपाल, ग्वालियर, सागर, जबलपुर में साइंटिफिक सर्वे किया। इसमें संस्थाओं तथा हितग्राहियों से चर्चा और विश्लेषण के बाद रिपोर्ट तैयार की गई।
कार्ड का इस्तेमाल नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, कई बार वे पात्रता के बाद भी वंचित कर दिए जाते हैं। यह भी पाया कि हितग्राहियों को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना की जानकारी होने के बाद भी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
ये है हकीकत
रिपोर्ट के अनुसार, गरीब हितग्राहियों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रता व आवेदन प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। ऐसे में योजना के तहत खाद्यान्न दिलाने के नाम पर हितग्राही परेशान हो रहे हैं।
जिलों को दिए सुधार के निर्देश
प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने सभी कलेक्टर को रिपोर्ट भेजते हुए कहा है, विश्लेषण का दूसरा चरण इंदौर, उज्जैन, मुरैना और खरगोन जिलों में होना है। उसके पहले ही सभी जिले में योजना में सुधार कर लें। अपात्रों के नाम हितग्राहियों की सूची से काटें।
सतना में बड़ी समस्या
सतना जिले में संस्थान ने फिलहाल सर्वे नहीं किया है। यहां राशन वितरण की स्थिति बेहद खराब है। हालात ऐसे हो गए कि मुख्यमंत्री को व्यवस्था में सुधार के लिए कहना पड़ा था। यहां वजह यह है कि यहां शत-प्रतिशत खाद्यान्न का वितरण नहीं होता है।
सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन व नीति विश्लेषण संस्थान को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के मूल्यांकन का जिम्मा दिया है। संस्थान ने पहले चरण में भोपाल, ग्वालियर, सागर, जबलपुर में साइंटिफिक सर्वे किया। इसमें संस्थाओं तथा हितग्राहियों से चर्चा और विश्लेषण के बाद रिपोर्ट तैयार की गई।
कार्ड का इस्तेमाल नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, कई बार वे पात्रता के बाद भी वंचित कर दिए जाते हैं। यह भी पाया कि हितग्राहियों को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना की जानकारी होने के बाद भी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
ये है हकीकत
रिपोर्ट के अनुसार, गरीब हितग्राहियों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रता व आवेदन प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। ऐसे में योजना के तहत खाद्यान्न दिलाने के नाम पर हितग्राही परेशान हो रहे हैं।
जिलों को दिए सुधार के निर्देश
प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने सभी कलेक्टर को रिपोर्ट भेजते हुए कहा है, विश्लेषण का दूसरा चरण इंदौर, उज्जैन, मुरैना और खरगोन जिलों में होना है। उसके पहले ही सभी जिले में योजना में सुधार कर लें। अपात्रों के नाम हितग्राहियों की सूची से काटें।
सतना में बड़ी समस्या
सतना जिले में संस्थान ने फिलहाल सर्वे नहीं किया है। यहां राशन वितरण की स्थिति बेहद खराब है। हालात ऐसे हो गए कि मुख्यमंत्री को व्यवस्था में सुधार के लिए कहना पड़ा था। यहां वजह यह है कि यहां शत-प्रतिशत खाद्यान्न का वितरण नहीं होता है।