2014 में जेल में गैंगवार के बाद आनन्दपाल और राजू ठेहट हो गए थे एक दूसरे के खून के प्यासे, 8 साल बाद ऐसे लिया बदला !

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2014 में जेल में गैंगवार के बाद आनन्दपाल और राजू ठेहट हो गए थे एक दूसरे के खून के प्यासे, 8 साल बाद ऐसे लिया बदला !

2014 में जेल में गैंगवार के बाद आनन्दपाल और राजू ठेहट हो गए थे एक दूसरे के खून के प्यासे, 8 साल बाद ऐसे लिया बदला !

जयपुर: राजस्थान में गैंगवार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। आए दिन अलग अलग जिलों में गैंगवार की घटनाएं देखी और सुनी जाती है। यह गैंगवार वर्चस्व की लड़ाई को लेकर होती है। शराब और मादक पदार्थों की तस्करी के साथ धन्नासेठों से वसूली को लेकर अलग अलग गैंग्स में टकराव होता रहा है। इसी टकराव के चलते एक गैंग के सदस्य दूसरी गैंग के जान के दुश्मन बन जाते हैं। वर्चस्व को लेकर एक दूसरे पर जानलेवा हमला करते हैं। कुख्यात गैंगस्टर जेल में बैठे बैठे ही गैंग्स का संचालन करते हैं और अपने गुर्गों के जरिए वसूली करते रहते हैं। आनन्दपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद भी उसकी गैंग के सदस्य सक्रिय हैं। साथ ही कुख्यात लॉरेंस विश्नोई, राजू ठेहट और हरियाणा के कई बदमाशों की गैंग्स भी राजस्थान में अपना जाल फैलाए हुए है।

8 साल पहले बीकानेर जेल में हुई थी गैंगवार की बड़ी घटना
वर्ष 2014 में बीकानेर की जेल में कई कुख्यात बदमाश कैद थे। पुलिस यह अंदाज नहीं लगा सकी कि जेल में भी गैंगवार हो सकता है। जुलाई 2014 में जेल में बंद कैदी जयप्रकाश और रामपाल कुख्यात गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह को मारने के लिए फायरिंग की थी। इसी दौरान आनन्दपाल का साथी बलवीर सिंह बानूड़ा बीच में कूद पड़ा। जयप्रकाश और रामपाल की ओर से की गई फायरिंग में बलवीर बानूड़ा को गोलियां लगी और उसकी जेल में ही मौत हो गई। उसी समय आनन्द पाल सिंह के साथियों ने जयप्रकाश और रामपाल पर ईंट और पत्थरों से हमला कर दिया। जेल के अंदर ही दोनों की पीट पीट कर हत्या कर दी। बीकानेर जेल में हुई इस गैंगवार में एक ही दिन में तीन बदमाशों की मौत हुई थी।

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राजू ठेहट ठिकाने लगाना चाहता था आनन्दपाल सिंह को
वर्चस्व की जंग के चलते राजू ठेहट और आनन्द पाल सिंह एक दूसरे के खून के प्यासे थे। राजू ठेहट ने ही आनन्द पाल सिंह को मारने के लिए बीकानेर जेल में हथियार पहुंचाए और हमला करवाया। हमले में आनन्दपाल का साथी बलवीर बानूड़ा मारा गया लेकिन आनन्दपाल सिंह जिन्दा बच गया था। बाद में आनन्दपाल सिंह पेशी से लौटते समय पुलिस पर हमला करके फरार हो गया था। चार साल तक पुलिस आनन्दपाल सिंह को तलाशती रही। आखिर जून 2017 में आनन्दपाल सिंह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। आनन्द पाल सिंह और राजू ठेहट के बीच दुश्मनी सालों से चल रही है। आनन्दपाल की मौत के बाद उसके गुर्गे लम्बे समय से बदला लेने की फिराक में थे। अब राजू ठेहट को भी गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई है।

रोहित गोदारा ने ट्वीट के सामने आई बदले की बात
राजू ठेहट की हत्या के बाद रोहित गोदारा नामक शख्स का एक ट्वीट भी सुर्खियों में हैं। इसमें फेसबुक पोस्ट में रोहित गोदारा ने कहा कि आनंदपाल सिंह और बलवीर बानूड़ा की मौत का बदला लिया है, बाकि दुश्मनों से भी जल्द ही मुलाकात होगी। रोहित गोदारा का नाम सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड से भी जुड़ा था। इस ट्वीट का ठेहट की हत्या से क्या कनेक्शन हैं। इसकी पड़ताल में पुलिस जुटी है। वहीं पुलिस ने ठेहट के हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उनसे भी पूछताछ में जुटी है।

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