2013 त्रासदी में तबाह केदारनाथ अब कितना सेफ: रास्ते चौड़े, मंदिर की सेफ्टी के लिए नदी किनारे वॉल; 80% रीडेवलपमेंट पूरा

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2013 त्रासदी में तबाह केदारनाथ अब कितना सेफ:  रास्ते चौड़े, मंदिर की सेफ्टी के लिए नदी किनारे वॉल; 80% रीडेवलपमेंट पूरा
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2013 त्रासदी में तबाह केदारनाथ अब कितना सेफ: रास्ते चौड़े, मंदिर की सेफ्टी के लिए नदी किनारे वॉल; 80% रीडेवलपमेंट पूरा

‘मैं बाढ़ वाले दिन रामबाड़ा में था। हर तरफ सिर्फ पानी और मलबा दिख रहा था। मेरी आंखों के सामने ऐसा सैलाब आया कि सब कुछ बहा ले गया। कुछ ही सेकेंड में होटल, दुकानें, लोग और जानवर सब बह गए। लगने लगा था कि अब कभी यहां लोग नहीं आएंगे लेकिन 13 साल बाद देखो.

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बुजुर्गों को पालकी में बैठाकर गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की यात्रा कराने वाले राकेश थापा खुश हैं कि सरकार ने पूरा सिस्टम ठीक कर दिया है। इससे उन्हें भी सुकून हो गया है। 2 मई से केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। 15 मई तक 3 लाख से ज्यादा लोग दर्शन कर चुके हैं। अनुमान है कि इस साल चारधाम यात्रा में 25 लाख लोग सिर्फ केदारनाथ दर्शन के लिए पहुंचेंगे।

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गढ़वाल कमिश्नर के मुताबिक, मंदिर तक पहुंचने का रास्ता चौड़ा किया जा रहा है। मंदिर के पीछे और मंदाकिनी-सरस्वती नदियों के किनारे 3 लेयर सेफ्टी वॉल बनाई गई है। इससे बाढ़ के हालात में मंदिर सेफ रहेगा।

इतने श्रद्धालुओं को उत्तराखंड सरकार और मंदिर समिति कैसे संभाल रही है? डेवलपमेंट किस स्टेज पर है? सुरक्षा के इंतजाम कैसे हैं? 2013 में पूरी तरह तबाह हो चुकी केदार घाटी अब पहले की तुलना में यात्रियों के लिए कितनी सेफ है? इनके जवाब जानने हम केदारनाथ धाम पहुंचे।

चारधाम यात्रा में केदारनाथ सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेंगे उत्तराखंड सरकार के ऑफिशियल आंकड़ों के मुताबिक, 2 मई को कपाट खुलने के बाद पहले दिन करीब 31 हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे। 15 मई तक करीब 3.34 लाख श्रद्धालु धाम पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, चारधाम यात्रा में सबसे ज्यादा फुटफॉल केदारनाथ में ही होता है।

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पिछले साल यात्रा में शामिल हुए 46 लाख लोगों में से 16 लाख यात्रियों ने अकेले केदारनाथ के दर्शन किए। ऐसे में जून से अगस्त के बीच अगर मौसम सही रहता है, तो इस बार 25 लाख से ज्यादा लोगों के केदारनाथ धाम पहुंचने का अनुमान है। धाम में 7 हजार लोगों के ठहरने का इंतजाम है।

गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे का मानना है कि केदारनाथ आपदा के बाद धाम में हुए रीडेवलपमेंट ने तीर्थ यात्रियों का भरोसा पहले से दोगुना कर दिया है।

मंदाकिनी-सरस्वती नदियों के किनारे 18 फीट ऊंची और 2 फीट चौड़ी कॉन्क्रीट की 3 लेयर सेफ्टी वॉल बनाई गई, इससे बाढ़ के हालात में मंदिर सेफ रहेगा।

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विनय शंकर पांडे बताते हैं कि रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का 80% काम पूरा हो चुका है। इसमें 21 करोड़ की लागत से 18 किमी का गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग, आपदा में तबाह हुए हिस्सों की मरम्मत और मंदाकिनी-सरस्वती नदियों के किनारे नए घाट बनाना शामिल है। तीर्थयात्रियों का लोड मैनेज करने के लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है।

विनय शंकर पांडे कहते हैं, ‘4,081 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस रोपवे को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप यानी PPP मॉडल के जरिए डेवलप कर रहे हैं। अभी ये प्रोजेक्ट टेंडर स्टेज पर है। प्रक्रिया पूरी होते ही कंस्ट्रक्शन शुरू हो जाएगा।’

21 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ रोप-वे परियोजना का शिलान्यास किया था। सोनप्रयाग से केदारनाथ जाने के लिए यात्रियों को 18 किमी पैदल चलना पड़ता है। इसमें करीब 8 से 9 घंटे लगते हैं। रोप-वे बन जाने के बाद केदारनाथ यात्रा बहुत आसान हो जाएगी। सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी सिर्फ 36 मिनट में पूरी हो सकेगी। करीब 1800 यात्री 1 घंटे में केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे।

उत्तराखंड के 2 लाख परिवारों की रोजी-रोटी केदारनाथ यात्रा पर टिकी उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित, टूर एंड ट्रैवल एजेंट, होटल बिजनेस, पिट्ठू और छोटे दुकानदारों को मिलाकर करीब 2 लाख परिवारों की रोजी-रोटी केदारनाथ यात्रा पर निर्भर हैं। आपदा के बाद और कोरोना काल में केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहे। उस दौरान यहां के छोटे दुकानदारों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी।

2022 से लगातार केदारनाथ आने वाले यात्रियों का आंकड़ा 15 लाख से ऊपर पहुंच रहा है। इस बार ये आंकड़ा बढ़ सकता है। केदारनाथ मंदिर में बीते 40 साल से पूजा-पाठ करा रहे राम प्रकाश पुरोहित का घर और दुकान 2013 में आई बाढ़ में बह गया था। सरकार से मिली राहत राशि से उन्होंने दोबारा दुकान शुरू की है।

राम प्रकाश कहते हैं, ‘2013 में आई बाढ़ में मेरे सामने ही 2-3 मिनट में सबकुछ बर्बाद हो गया। उस वक्त ये लग रहा था कि शायद अब हम कभी यहां दोबारा नहीं बस पाएंगे। सरकार ने यहां तेजी से रीडेवलपमेंट करवाया है। धाम तक जाने वाला आस्था पथ पूरा बन चुका है।‘

‘पहले गौरीकुंड से यात्रा छोटी थी, लेकिन यात्रियों को बहुत परेशानी होती थी। छोटे-छोटे रास्तों खच्चर और लोग साथ चलते थे। इसमें जानवरों से टक्कर लगकर गिरने का खतरा रहता है। कई बार खच्चर खुद फिसल कर गिर जाते थे। अब मंदिर तक जाने के लिए नया रास्ता बन गया है। ये पहले से 4 किमी लंबा जरूर है, लेकिन काफी चौड़ा है। इसमें खच्चर और यात्री आसानी से साथ-साथ चल सकते हैं।’

पिछले साल केदारनाथ यात्रा लोकल बिजनेस के लिहाज से भी काफी अच्छी रही। घोड़े-खच्चरों, हेलिकॉप्टर से यात्रा और पैदल यात्रियों की बढ़ी संख्या से लगभग 190 करोड़ का कारोबार हुआ। 2022 में केदारनाथ धाम में अकेले खच्चर और पालकी-पिट्ठू व्यवसायियों ने करीब 109 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया था। इस साल इससे ज्यादा कमाई का अनुमान है।

गौरीकुंड से केदारनाथ तक ट्रैक पर कई सुपर जोन, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा चार धामों में सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ की है। यहां हमेशा खतरा बना रहता है। 16-17 जून 2013 की त्रासदी के बाद भी यहां समय-समय पर रुकावटें आती रही हैं। पिछले साल 31 जुलाई को केदारनाथ रूट पर भारी बारिश के कारण यात्रा रोक दी गई थी। इसके तुरंत बाद 4 अगस्त को यहां भयानक लैंडस्लाइड हुई, इसमें 15 हजार यात्री फंस गए और 5 यात्रियों की मौत हो गई थी।

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इस बार केदारनाथ में क्या अरेंजमेंट हैं? इस पर गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे कहते हैं, ‘पिछले साल केदारनाथ में भारी बारिश के कारण जो रूट बह गए थे, उन्हें यात्रा शुरू होने से पहले सही कर दिया गया है।‘

किसी भी आपातकालीन स्थिति में केदारनाथ धाम और मुख्य यात्रा पड़ावों पर SDRF, NDRF, DDRF के अलावा पुलिस, होमगार्ड और PRD के जवान तैनात किए गए हैं। ये लोग हर वक्त यात्रियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं।

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‘हम लोगों ने पिछली यात्राओं से सबक लेते हुए यात्रा में कई होल्‍डिंग पॉइंट भी बनाए हैं। यात्रा के दौरान कई बार मौसम खराब होता है। कई बार लैंडस्लाइड भी होती है। इसे देखते हुए लिमिटेड यात्रियों के जत्थे धाम तक भेजे जाएंगे। जब एक जत्था दर्शन कर लौट आएगा, तब दूसरे को रवाना किया जाएगा। इससे न सिर्फ दर्शन आसान होंगे बल्कि केदारघाटी पर दबाव भी कम पडे़गा।’

गढ़वाल कमिश्नर के मुताबिक, केदारनाथ में गौरीकुंड से मंदिर तक सिक्योरिटी चेक पॉइंट्स बनाए गए हैं। जाम से बचने के लिए यात्रियों के जत्थे की तरह खच्चरों को एक साथ नहीं छोड़ा जाएगा।

25 लाख यात्रियों का केदारघाटी आने का अनुमान, मंदिर समिति तैयार पिछले साल 16 लाख लोग केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचे थे। सरकार का अनुमान है कि इस बार आंकड़ा 25 लाख तक जा सकता है। इतने बड़े क्राउड को मैनेज करने के लिए मंदिर समिति ने क्या तैयारी की हैं? इसे लेकर हमने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व चेयरमैन अजेंद्र अजय से बात की। ये समिति ही यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग करती है।

अजेंद्र अजय कहते हैं, ‘2013 की आपदा के बाद लोग केदारनाथ आने से घबराने लगे थे। दहशत ऐसी थी कि 2014 में महज 39 हजार यात्री धाम पहुंचे। इसके बाद 2017 तक केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या 5 लाख तक भी नहीं पहुंची।‘

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केदारनाथ धाम आने में लोगों का भरोसा बढ़े, इसके लिए खुद पीएम मोदी ने यहां आकर रात बिताई। वो आपदा से बाद से 6 बार यहां के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को देखने आ चुके हैं।

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‘केंद्र सरकार के केदारनाथ रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मदद से यहां चौड़े यात्रा मार्ग, अस्पताल और ठहरने की अच्छी व्यवस्था बनाई गई है। इसका असर अब पर्यटकों की बढ़ती संख्या में देखने को मिल रहा है।‘

दर्शन के लिए टोकन सिस्टम, मदद के लिए जगह-जगह इमरजेंसी बटन केदारनाथ मंदिर समिति के मुताबिक, इस बार यात्रियों को केदारनाथ के दर्शन के लिए लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। इसके लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है। यात्री टोकन में दिए गए समय के हिसाब से दर्शन कर रहे हैं। यात्रा रूट पर किसी भी यात्री की तबीयत बिगड़ने पर तुरंत इलाज मिल रहा है।

यात्रियों के तुरंत ट्रीटमेंट के लिए केदारनाथ, केदारनाथ बेस कैम्प, लिंचोली, छोटी लिंचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगल चट्टी, गौरीकुंड और सोनप्रयाग में मेडिकल सेंटर बनाए गए हैं। यहां 24 घंटे डॉक्टर और फार्मासिस्ट रहते हैं। जरूरी दवाइयां भी हर वक्त उपलब्ध रहती हैं। सभी मेडिकल सेंटरों पर ऑक्सीजन की सुविधा भी रहती।

रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक जगह-जगह इंट्रानेट बॉक्स लगाए हैं। पीले रंग के इस बॉक्स पर फोन का सिंबल बना है। यहां दिए गए इमरजेंसी बटन को दबाने पर यात्री अपनी समस्या सीधे कंट्रोल रूम को बता सकते हैं।

केदारघाटी में अचानक मौसम बदल जाता है। ऐसे में टैकिंग करते समय कोई भी घटना होने पर यात्री इंट्रानेट नेटवर्क की मदद से अपनी परेशानी बता सकेंगे और उन्हें तुरंत मदद मुहैया कराई जाएगी।

गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक जगह-जगह यात्रियों की मदद के लिए ऐसे इंट्रानेट बॉक्स लगाए हैं।

CM बोले- केदारनाथ आने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षित यात्रा हमारी जिम्मेदारी चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले 28 अप्रैल को उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों के साथ बैठक की थी। अब भी CM लगातार इंतजामों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि चारधाम यात्रा बिना किसी बाधा के चल रही है। राज्य सरकार चारधाम यात्रा के आसान, सेफ और व्यवस्थित संचालन के लिए प्रतिबद्ध है। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है।

CM ने अधिकारियों से कहा कि सभी सचिवों को समय-समय पर चारधाम यात्रा जायजा लेने के लिए भेजा जाए, ताकि इंतजामों का सही आकलन हो सके। साथ ही यात्रा की रियल टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, ‘2013 में आई त्रासदी के बाद PM मोदी ने खुद केदारनाथ धाम के पुर्ननिर्माण को ड्रीम प्रोजेक्ट के तरह लिया। हर साल बड़ी संख्या में लोग धाम पहुंच रहे हैं। इस बार भी बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए सबसे ज्यादा यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।‘

पर्यावरण वैज्ञानिक क्या कह रहे… केदारघाटी में अब तक स्केप रूट नहीं, यात्रियों का लोड कम करना जरूरी केदारनाथ यात्रा पहले से कितनी सेफ है। इसे लेकर हमने उत्तराखंड के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. रवि चोपड़ा से बात की। रवि 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं।

रवि कहते हैं, ‘2013 की बाढ़ के बाद जो सबक लेना चाहिए था, उसे उत्तराखंड की सरकारों और रीडेवलपमेंट में लगे इंजीनियरों से नहीं लिया। आज केदारनाथ धाम के रीडेवलपमेंट के बाद मंदिर तक जाना भले आसान हो गया हो, लेकिन आपदा की हालात से निपटने के लिए अब तक कोई कोई स्केप रूट (बचकर जाने का रास्ता) नहीं बनाया गया।’

‘हर तीर्थ पर यात्रियों के लिए आपात निकासी जैसी प्लानिंग होनी चाहिए। राज्य सरकार और प्रशासन इस विषय में पूरी तरह लापरवाह रहा है।’

‘2018 में केदारनाथ पर लंबी स्टडी के बाद हमारी कमेटी ने केदारघाटी में लोड कम करने के लिए कई सुझाव दिए थे। इसमें धाम में 5 हजार यात्रियों की डेली लिमिट की सिफारिश भी थी, लेकिन अब भी चारधाम यात्रा में बेहिसाब रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं।

सही ये होता कि केदारनाथ में आने वाले यात्रियों की संख्या सीमित रखी जाती। आधिकारिक तौर पर मौजूदा समय में केदारनाथ धाम में रोजाना 15 हजार लोगों को जाने की परमिशन है।’

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चारधाम यात्रा कैसे पहुंचें, कहां रुकें, खर्च से लेकर गाइडलाइन तक

चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से 6 नवंबर तक चलेगी। अब तक 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। रजिस्ट्रेशन अब भी जारी है। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के पहले एक महीने तक VIP दर्शन पर रोक लगा दी है। अगर आप भी चारधाम यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो यह स्टोरी आपके लिए ही है। चारधाम कैसे पहुंचें, कहां रुकें, खर्च कितना होगा, तैयारी क्या करें, हर वो जानकारी जो आपके काम की है। पढ़िए पूरी खबर…

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