1966 से दशहरा रैली कर रही श‍िवसेना… दलीलों से हाईकोर्ट में शिंदे पर भारी पड़ा उद्धव खेमा, और मिल गया शिवाजी पार्क

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1966 से दशहरा रैली कर रही श‍िवसेना… दलीलों से हाईकोर्ट में शिंदे पर भारी पड़ा उद्धव खेमा, और मिल गया शिवाजी पार्क

1966 से दशहरा रैली कर रही श‍िवसेना… दलीलों से हाईकोर्ट में शिंदे पर भारी पड़ा उद्धव खेमा, और मिल गया शिवाजी पार्क

मुंबई: बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को मध्य मुंबई में स्थित शिवाजी पार्क में पांच अक्टूबर को वार्षिक दशहरा रैली के आयोजन की अनुमति शुक्रवार को दे दी। जस्‍टिस आर. डी. धनुका और जस्‍टिस कमल खाटा की बेंच ने ठाकरे नीत शिवसेना गुट और उसके सचिव अनिल देसाई की ओर से बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (BMC) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को अनुमति दे दी। दरअसल बीएमसी ने शिवसेना को शिवाजी पार्क में वार्षिक दशहरा रैली करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा क‍ि बीएमसी का आदेश स्पष्ट रूप से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना को दो से छह अक्टूबर तक शिवाजी पार्क का उपयोग करने की अनुमति दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने को कहा है। इससे पहले बीएमसी ने 21 सितंबर को कहा था कि वह ठाकरे नीत पार्टी का आवेदन इसलिए खारिज कर रही है क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के विद्रोही धड़े के विधायक सदा सारवंकर ने भी ऐसी ही अर्जी दी है और अगर एक धड़े को अनुमति दी जाती है तो इससे स्थानीय पुलिस के लिए कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी। बीएमसी के आदेश के ख‍िलाफ श‍िवसेना बॉम्‍बे हाईकोर्ट पहुंची। आइए जानते हैं क‍ि ठाकरे गुट की श‍िवसेना ने ऐसी क्‍या दलील दी, ज‍िसके चलते कोर्ट का फैसला उनके हक में चला गया।

1966 से शिवाजी पार्क में दशहरा रैली कर रही श‍िवसेना
उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से एसपी चिनॉय ने बहस करते हुए हाई कोर्ट में कहा कि शिवसेना साल 1966 से शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन करती आई है। सिर्फ कोरोना काल के दौरान यह दशहरा रैली नहीं आयोजित हो पाई थी। अब कोरोना के बाद सभी त्यौहार मनाए जा रहे हैं। ऐसे में इस वर्ष हमको दशहरा रैली का आयोजन करना है जिसके लिए हमने अर्जी की है। इस मामले में बीएमसी ने इजाजत देने से इनकार कर दिया है। हालांकि, दशहरा रैली शिवसेना की कई दशक पुरानी परंपरा है जिसे कायम रखना हमारी जिम्मेदारी है।

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हर बार श‍िवसेना को ही म‍िली इजाजत

चिनॉय ने कहा कि हैरत वाली बात यह है कि अचानक एक और दूसरी अर्जी दशहरा रैली के लिए बीएमसी के पास आई है, जो गलत है। पिछले 50 सालों से हम उसी जगह पर दशहरा रैली का आयोजन करते रहे हैं। हर बार हमें इजाजत दी जाती थी।

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सदा सरवणकर ठाकरे गुट की शिवसेना में नहीं

च‍िनॉय ने कहा क‍ि अब अचानक राजनीति के चलते सदा सरवणकर जो फिलहाल एकनाथ शिंदे गुट में चले गए हैं, उन्होंने अर्जी दायर की है। वह एक सिंगल व्यक्ति हैं कोई पूरी शिवसेना नहीं, उनका कैसे यह अधिकार बनता है कि वह शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के आयोजन के लिए आवेदन करें। दरअसल इसके पहले शिवसेना की तरफ से यह सदा सरवणकर शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए आवेदन करते थे। लेकिन अब वह ठाकरे गुट की शिवसेना में नहीं है। ऐसे में उनका कोई अधिकार नहीं बनता।

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पहले श‍िवसेना ने दी थी अर्जी

च‍िनॉय ने कहा क‍ि हमने 22 अगस्त को मैदान के लिए अर्जी दी थी जबकि सदा सरवणकर की तरफ से 30 तारीख को अर्जी दी गई है। वहीं पुलिस की मानें तो इस तरफ पुलिस मौजूदा हालात में लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन का हवाला दे रही है। क्या पिछले 50 सालों से मुंबई शहर में पुलिस नहीं थी?

सदा सरवणकर की याच‍िका पर उठाए सवाल
2016 से पहले दशहरा रैली को लेकर सिर्फ ध्वनि प्रदूषण की शिकायत होती थी। उसके बाद से वह भी शिकायत नहीं रही। चिनॉय ने कहा कि सदा सरवणकर हमारी मांग का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद इजाजत मांग रहे हैं। इनकी याचिका में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना असली है। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में चल रहा है। उन्होंने कहा कि है बात बिल्कुल साफ है कि शिवसेना एक है तो उसके दो दावेदार कैसे हो सकते हैं। सदा सरवणकर एक व्यक्ति हैं। इस लिहाज से इनकी याचिका सही नहीं है।

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शिंदे गुट ने क्या दी दलील?

एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर के वकील जनक द्वारकादास ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरी बात को ठीक से समझा जाए। जो लोग यह कह रहे हैं कि सदा सरवणकर की याचिका में कोई तथ्य नहीं है, वह बात पूरी तरह से गलत है। सभी जानते हैं कि दशहरा रैली हर साल शिवसेना की तरफ से आयोजित की जाती है। जहां सभी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया जाता है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क न मिला हो। मेरा सवाल यह है कि याचिकाकर्ता क्या असली शिवसेना है? शिवसेना किसकी है इसको लेकर अदालत में अभी तक सुनवाई चल रही है। सरकार बदल गई है अब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं हैं। इलेक्शन कमिशन में भी अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि शिवसेना किसकी है?

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