19 हजार करोड़ का ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट: पहाड़ों के बीच 250 वर्ग किमी में इकट्ठा होगा पानी, 1.23 लाख हेक्टेयर में सिंचाई – Madhya Pradesh News h3>
मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र सीमा पर ताप्ती नदी के बेसिन में जल्दी ही अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज प्रोजेक्ट शुरू होने जो रहा है। दावा किया जा रहा कि ये प्रोजेक्ट देश का पहला ग्राउंड वाटर रिचार्ज प्रोजेक्ट है जो एमपी के लोगों की जिंदगी को और बेहतर बनाएगा। इस प
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मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच बहुप्रतीक्षित तापी मेगा रिचार्ज परियोजना को लेकर राज्य सरकार ने 10 मई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री भोपाल आकर इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ताप्ती नदी के बेसिन में स्थित दो पहाड़ों (एमपी के बुरहानपुर और महाराष्ट्र के जलगांव जिले की चोपड़ा तहसील) के बीच 250 वर्ग किलोमीटर में जमीन के अंदर पानी जमा किया जाएगा।
6 सवालों में समझिए इस प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को किस तरह से फायदा मिलेगा..
एक दूसरे को एमओयू सौंपते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस।
सवाल1: क्या है ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना?
जवाब: ताप्ती नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुलताई शहर में स्थित सतपुड़ा पहाड़ श्रृंखला से होता है। नदी पश्चिम दिशा में बहकर अरब सागर में मिलती है। जनवरी 1958 में केन्द्र सरकार ने ताप्ती नदी में जल की उपलब्धता के अध्ययन के लिये श्री एम.एस. थिरूमल अयंगर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सतपुड़ा में बजाड़ा जोन ताप्ती नदी के समकक्ष है। दो चट्टानों के बीच ये एक 250 वर्ग किमी का जोन है। अत्यधिक डूब क्षेत्र होने के कारण यहां बांध बनाने की बजाय इस जोन में पानी का संग्रहण कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
बजाड़ा जोन( नीले रंग में) ऐसा क्षेत्र हैं जहां पानी प्राकृतिक रूप से इकट्ठा होता है।
सवाल2: नदी पर डैम क्यों नहीं बनाया?
जवाब: दरअसल, ताप्ती नदी मप्र, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर गुजरती है। इसका सबसे ज्यादा 79 फीसदी जलग्रहण क्षेत्र महाराष्ट्र में आता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच 1986 में भी ताप्ती नदी के पानी को बांटने के लिए बांध बनाने की योजना थी। मगर, इस योजना के कारण 73 गांवों के डूबने का डर था। इस वजह से तत्कालीन एमपी सरकार ने बांध बनाने से मना कर दिया था।
पानी के पारंपरिक भंडारण के लिए 66 टीएमसी क्षमता का जल भराव बांध प्रस्तावित किया गया था, जिससे 17 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित हो रही थी। इसमें वन भूमि और बाघ अभ्यारण की भूमि भी शामिल थी। इसके अलावा 73 गांव की लगभग 14 हजार आबादी भी प्रभावित हो रही थी।
सवाल3: मप्र और महाराष्ट्र के कितने जिलों को फायदा
जवाब: मध्यप्रदेश के दो जिले खंडवा और बुरहानपुर की चार तहसीलों खालवा, नेपानगर, खकनार और बुरहानपुर में 1 लाख 23 हजार 82 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं महाराष्ट्र के चार जिले अमरावती, अकोला, बुलढाणा और जलगांव की बारह तहसीलों में 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
साथ ही महाराष्ट्र के उत्तरी क्षेत्र और मध्य प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। तापी मेगा रिचार्ज परियोजना में 31.13 TMC पानी का इस्तेमाल होगा। इसमें से 11.76 TMC मध्य प्रदेश और 19.36 TMC महाराष्ट्र को आवंटित किया जाएगा।
सवाल 4: एमपी की कितनी जमीन का अधिग्रहण होगा?
जवाब: परियोजना के तहत करीब 480 किलोमीटर की नहरों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित हैं। जिसमें मध्यप्रदेश में करीब 210 किलोमीटर लंबाई की नहरों का निर्माण किया जाएगा। परियोजना के निर्माण से मध्यप्रदेश की 3 हजार 362 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होगी। वहीं महाराष्ट्र की 4 हजार 756 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होगी।
एमपी की बात करें तो इसमें 1 हजार 599 हेक्टेयर प्राइवेट, 255 हेक्टेयर सरकारी और 1 हजार 508 वन भूमि है। जिसका भू अर्जन किया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि परियोजना से कोई भी क्षेत्र डूब में नहीं आएगा न ही किसी अभयारण्य को नुकसान पहुंचेगा, इसलिए पुनर्वास की आवश्यकता नहीं है।
सवाल 5: कितने चरणों में काम पूरा होगा?
जवाब: प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किए जाने का लक्ष्य है। पहले चरण खंडवा जिले की खालवा तहसील के पास बांध बनाया जाएगा। इस बांध के निर्माण के बाद नहरों का निर्माण किया जाएगा। सबसे ज्यादा काम पहले चरण में ही पूरा होगा। दूसरे चरण में नहरों से सिंचाई की सुविधा शुरू की जाएगी। वहीं महाराष्ट्र भी अपने-अपने जिलों में इसी तरह से नहरों का निर्माण करेगा।
सवाल 6: परियोजना पर मप्र कितना पैसा खर्च करेगा? जवाब: प्रोजेक्ट की लागत करीब 19,244 करोड़ रुपए आने का अनुमान है। मध्यप्रदेश प्रोजेक्ट पर 38 फीसदी यानी 7 हजार 313 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र 62 फीसदी यानी 11 हजार 931 करोड़ रुपए खर्च करेगा।
फडणवीस बोले- दोनों राज्यों को मिलेगा बड़ा फायदा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ताप्ती बेसिन परियोजना पर एमपी-महाराष्ट्र समझौते के दौरान कहा कि 25 साल बाद दोनों राज्यों की बोर्ड बैठक हुई है, पिछली बैठक साल 2000 में हुई थी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद ही राज्यों के बीच जल समझौते दोबारा शुरू हुए हैं, जिससे न सिर्फ परियोजनाएं आगे बढ़ीं, बल्कि जल संकट से निपटने के प्रयास भी तेज हुए।
फडणवीस ने कहा कि ताप्ती बेसिन परियोजना से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्यों को बड़ा फायदा मिलेगा। अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से इस परियोजना के लिए ‘केंद्रित योजना’ की तर्ज पर विशेष सहयोग का आग्रह करेंगे।
सीएम डॉ. यादव बोले- ताप्ती प्रोजेक्ट बनेगा निमाड़ की जीवन रेखा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ताप्ती बेसिन परियोजना के साथ ही दोनों राज्यों के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। यहां 247 नदियां बहती हैं और अब गोदावरी और ताप्ती से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम किया जाएगा।
सीएम यादव ने भरोसा जताया कि जैसे केंद्र सरकार ने केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं में मदद की, उसी तरह इस परियोजना को भी केंद्र से सहयोग मिलेगा।