15 दिनों के लिए जेल से बाहर निकले बाहुबली आनंद मोहन, MLA बेटे ने कहा- खुशी के आंसू थम नहीं रहे

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15 दिनों के लिए जेल से बाहर निकले बाहुबली आनंद मोहन, MLA  बेटे ने कहा-  खुशी के आंसू थम नहीं रहे

15 दिनों के लिए जेल से बाहर निकले बाहुबली आनंद मोहन, MLA बेटे ने कहा- खुशी के आंसू थम नहीं रहे

बिहार के चर्चित और पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन 15 दिनों के पैरोल पर जेल से बाहर आ गए हैं। आनंद मोहन सहरसा जेल में डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। अपने परिवार में एक शादी समारोह के लिए उन्हें 15 दिनों का पैरोल दिया गया है। आनंद मोहन के बाहर निकलने से उनके परिवार और समर्थकों में खुशी की लहर है। सहरसा जेल पर उन्हें बाहर समर्थकों की भारी भीड़ जुटी। उनसे मिलने के बाद आनंद मोहन अपने घर के लिए प्रस्थान कर  गए। 

पूर्व सांसद लवली आनंद और आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने जानकारी दी। दोपहर लगभग 12:00 बजे आनंद मोहन सहरसा जेल से बाहर आए। सुबह से ही उनके स्वागत के लिए जेल पर समर्थकों और चाहने वालों की भीड़ लगी थी।

बाहुबली आनंद मोहन को  उनकी बेटी के शादी समारोह के लिए 15 दिनों का लाभ दिया गया है।  7 नवंबर को आनंद मोहन की अधिवक्ता बेटी सुरभि आनंद की रिंग सेरेमनी है। इसमें शामिल होने के लिए कोई बाहर निकले हैं। जानकारी के मुताबिक सेरेमनी में बड़े-बड़े लोगों को बुलाया गया है। 15 दिन के पैरोल के दौरान पूर्व सांसद की सुरक्षा कड़ी रहेगी।।

पूर्व सांसद के विधायक बेटे चेतन आनंद ने ट्विटर पर अपने पिता की रिहाई की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि 12:00 बजे उनकी रिहाई हुई।

इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गईं। ट्विटर पर उन्होंने भावुक संदेश भी दिया। चेतन आनंद ने लिखा कि आज खुशी के आंसू थम नहीं रहे।  अब इंतजार उस दिन का है जवाब पूरी तरीके से बाहर आ जाएंगे।

इससे पहले भी आनंद मोहन जेल से बाहर आने को लेकर चर्चा में थे। अगस्त महीने में उन्हें सहरसा जेल से पटना हाई कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। लेकिन, आनंद मोहन अचानक अपने घर पहुंच गए। इतना ही नहीं खगरिया के सर्किट हाउस में उन्हें रुकवाया गया।  इनकी तस्वीरें वायरल होने के बाद उनके सुरक्षा में लगे 6 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई । इसे देखते हुए इस बार पूर्व सांसद पर कडापारा रखा जा रहा है।

बाहुबली सांसद आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्ण भैया की हत्या का आरोप है। वर्ष 1994 में मुजफ्फरपुर के खबरा गांव  के पास NH 28 पर भीड़ ने पीट-पीटकर डीएमजी कृष्णय्या की हत्या कर दी थी। मुजफ्फरपुर के नेता और विधायक का चुनाव लड़ रहे छोटन शुक्ला की 1994 में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।  इसके विरोध में काफी हंगामा हुआ। छोटन शुक्ला की शव यात्रा में काफी भीड़ थी जिसमें आनंद मोहन भी शामिल थे । उसी भीड़ ने डीएम की हत्या कर दी थी। डीएम की हत्या में आनंद मोहन को आरोपी बनाया गया था जिनमें मुजफ्फरपुर की अदालत ने 2007 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन 2008 में पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसके खिलाफ आनंद मोहन सुप्रीम कोर्ट गए। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट पटना के फैसले को बरकरार रखा तब से आनंद मोहन जेल में में हैं।

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