12 हजार शव खोजे, मगरमच्छ भी पकड़ता है… मां-पत्नी और 4 बेटियों की जिम्मेदारी, फिर भी नहीं डरता ये गोताखोर
नवोदित/कुरुक्षेत्र: हरियाणा के गोताखार परगट सिंह जान हथेली पर रखकर पिछले 22 सालों में 12 हजारों लोगों के शव नहरों से बाहर निकाल चुके हैं। परगट सिंह पंजाब, हरियाणा, राजस्थानी दिल्ली की नदियों और नहरों में कूदकर लोगों की जान बचाते हैं। गोताखोर परगट सिंह खुद कहते हैं कि वो 12000 से ज्यादा लोगों की लाशें नहर से निकाल चुके हैं। इसमें कई ऐसे मामले भी हैं जो पुलिस के लिए गंभीर थे और वो उन नहर के पास जाने से भी कतराती थी। मगर गोताखोर परगट सिंह एक डुबकी में ही उस शख्स की डेड बॉडी को नहर से बाहर निकाल देते थे। कई लोगों को तो ट्रंक-अटैची में बंद करके उसकी लाश को लहरों में भी फेंक दिया जाता था। जब बेरहमी से कत्ल की हुई डेडबॉडी नहर से निकालते थे तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते थे।
क्या हैं नहरों में कूद कर लाशें निकालने की कहानी
गोताखोर प्रगट सिंह ने बताया की उनके द्वारा लाशे निकालने का सिलसिला बचपन से ही शुरु हो गया था। जब वह बचपन में अपने दादा के साथ नहरों पर जाकर गाय भैंस चराया करते थे। वह अपने दादा से नहरों में तैरना सीख गए थे। जिसके चलते वह एक अच्छे तैराक बन गए थे। एक बार नहर में महिला की लाश बहते हुए रही थी।र जब गोताखोर परगट सिंह ने तो उन्होंने नहर में छलांग लगा दी और उस महिला की लाश को नहर से बाहर लेकर आ गए। गोताखोर परागट सिंह नहरों से लाशे निकालने की सेवा करते आ रहे हैं। उसी दिन से गोताखोर परगट सिंह ने ठान लिया था की अब वह नहरों से लाश निकालने की सेवा ही करेंगे।
3000 से ज्यादा लोगों की बचा चुके हैं जान
गोताखोर परगट सिंह ने अपनी टीम के साथ मिल कर अब तक 3000 से भी ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं। परगट सिंह का कहना है कि लोगों की सेवा करने में मजा आता है। अगर उनकी वजह से किसी की जान बच जाए तो क्या ही बात है।
मगरमच्छ भी पकड़ते हैं परगट सिंह
परगट सिंह मगरमच्छों का रेस्क्यू भी करते हैं। अगर किसी इलाके में मगरमच्छ आ जाए तो लोग परगट सिंह को फोन करते हैं। परगट सिंह अभी तक एक दर्जन से भी ज्यादा मगरमच्छों को विभिन्न नहरों से पकड़ कर वन्य प्राणी विभाग को सौंप चुके हैं। इतना ही नहीं परगट सिंह ने नहरों के जरिए रिहायशी इलाकों में आने वाले 4 क्विंटल तक के मगरमच्छ को पकड़ कर संबंधित विभाग को सौंप चुके है।
आज भी नौकरी के लिए भटक रहे परगट सिंह
जनता की सेवा करने वाले गोताखोर परगट सिंह की आंखों में आज आंसू है। उनका कहना है कि देश के तमाम मंत्री और संत्री इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। तमाम डीसी, एसपी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। मगर आज तक किसी ने भी उनकी नौकरी के बारे में नहीं सोचा।
4 बेटियों के पिता
परगट सिंह की 4 बेटिया हैं। गोताखोर परगट सिंह की बेटी ने बताया कि जब उनके पापा नहरों पर जाते है तो पूरा परिवार एक भय के साए में होता है की आखिर कब पापा घर वापिस आएंगे। हम बहुत डर जाते हैं। पापा ना दिन देखते हैं, ना आंधी-तूफान और नहरों में लाख निकालने चले जाते हैं। गोताखोर परगट सिंह की बेटी ने कहा की हम मिलकर पापा से लड़ते भी है की वो हम सब को छोड़ कर ना जाया करें।
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क्या हैं नहरों में कूद कर लाशें निकालने की कहानी
गोताखोर प्रगट सिंह ने बताया की उनके द्वारा लाशे निकालने का सिलसिला बचपन से ही शुरु हो गया था। जब वह बचपन में अपने दादा के साथ नहरों पर जाकर गाय भैंस चराया करते थे। वह अपने दादा से नहरों में तैरना सीख गए थे। जिसके चलते वह एक अच्छे तैराक बन गए थे। एक बार नहर में महिला की लाश बहते हुए रही थी।र जब गोताखोर परगट सिंह ने तो उन्होंने नहर में छलांग लगा दी और उस महिला की लाश को नहर से बाहर लेकर आ गए। गोताखोर परागट सिंह नहरों से लाशे निकालने की सेवा करते आ रहे हैं। उसी दिन से गोताखोर परगट सिंह ने ठान लिया था की अब वह नहरों से लाश निकालने की सेवा ही करेंगे।
3000 से ज्यादा लोगों की बचा चुके हैं जान
गोताखोर परगट सिंह ने अपनी टीम के साथ मिल कर अब तक 3000 से भी ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं। परगट सिंह का कहना है कि लोगों की सेवा करने में मजा आता है। अगर उनकी वजह से किसी की जान बच जाए तो क्या ही बात है।
मगरमच्छ भी पकड़ते हैं परगट सिंह
परगट सिंह मगरमच्छों का रेस्क्यू भी करते हैं। अगर किसी इलाके में मगरमच्छ आ जाए तो लोग परगट सिंह को फोन करते हैं। परगट सिंह अभी तक एक दर्जन से भी ज्यादा मगरमच्छों को विभिन्न नहरों से पकड़ कर वन्य प्राणी विभाग को सौंप चुके हैं। इतना ही नहीं परगट सिंह ने नहरों के जरिए रिहायशी इलाकों में आने वाले 4 क्विंटल तक के मगरमच्छ को पकड़ कर संबंधित विभाग को सौंप चुके है।
आज भी नौकरी के लिए भटक रहे परगट सिंह
जनता की सेवा करने वाले गोताखोर परगट सिंह की आंखों में आज आंसू है। उनका कहना है कि देश के तमाम मंत्री और संत्री इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। तमाम डीसी, एसपी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। मगर आज तक किसी ने भी उनकी नौकरी के बारे में नहीं सोचा।
4 बेटियों के पिता
परगट सिंह की 4 बेटिया हैं। गोताखोर परगट सिंह की बेटी ने बताया कि जब उनके पापा नहरों पर जाते है तो पूरा परिवार एक भय के साए में होता है की आखिर कब पापा घर वापिस आएंगे। हम बहुत डर जाते हैं। पापा ना दिन देखते हैं, ना आंधी-तूफान और नहरों में लाख निकालने चले जाते हैं। गोताखोर परगट सिंह की बेटी ने कहा की हम मिलकर पापा से लड़ते भी है की वो हम सब को छोड़ कर ना जाया करें।