12 साल से जल संरक्षण पर काम कर रही प्रियदर्शिनी: बोली- स्रोतों के दुरुपयोग से हो सकती है गंभीर समस्या; तालाब-कुआं, पोखर में पानी संरक्षित किया जाए – Patna News h3>
चापाकल चलाते हुए जल संरक्षण का संदेश देती हुई प्रियदर्शिनी।
देश में बढ़ते जल संकट को लेकर जल संरक्षण विशेषज्ञ प्रियदर्शनी ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। दिल्ली से पटना पहुंची बिहार की बेटी ममतामयी ने कहा कि जल स्रोतों के दुरुपयोग से आने वाले समय में पीने के पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। पृथ्वी का 70%
.
गुरुवार को ममतामयी प्रियदर्शनी पटना में थीं। उन्होंने कहा कि पहले लोग जल संरक्षण के लिए कुआं खुदवाते थे और नहरें बनाते थे। लेकिन आज इन जल स्रोतों की उपेक्षा की जा रही है। कुएं का पानी प्रदूषित हो चुका है। नहरें या तो गाद से भर गई हैं या फिर पूरी तरह सूख गई हैं। कई जगहों पर तो नहरों पर अतिक्रमण कर मकान और सड़कें बना दी गई हैं।
विशेषज्ञ के अनुसार, देश की कई नदियां लापरवाही और प्रदूषण के कारण या तो विलुप्त हो गई हैं या फिर प्रदूषित हो चुकी हैं। गर्मी के मौसम में देश के कई राज्यों में पानी की किल्लत की समस्या गंभीर रूप धारण कर रही है। यह स्थिति इतनी चिंताजनक है कि कुछ राज्यों में जल को लेकर विधानसभा चुनाव तक लड़े जा रहे हैं। जल संरक्षण के प्रति जागरूकता और ठोस कदम उठाए जाने की तत्काल आवश्यकता है, नहीं तो आने वाले समय में पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।
ममतामयी प्रियदर्शनी बीते 12 साल से शोध कर रही हैं।
सरकारी योजनाओं के साथ अपनी जिम्मेदारियों को न भूलें
उन्होंने बताया कि हम अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर सरकार की योजनाओं पर टकटकी लगाए रहते हैं। तेजी से जंगलों की कटाई से भी देश में पानी की कमी प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने अपनी एक किताब “जल मां” के माध्यम से जल को बचाने के कई उपाय बताएं हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल फिलहाल दिल्ली विधानसभा का चुनाव यमुना नदी के जल को लेकर लड़ा गया था।
बताया कि भारतवर्ष में कावेरी जल विवाद भी एक उदाहरण है। उनका यह मानना है कि आधुनिकता के इस दौर में लोग अपनी पुरानी परंपराओं को भूलकर जल के स्रोतों को खत्म करते जा रहे हैं। जल हमें विरासत में मिला है। जल से जुड़ी हुई कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं हैं। प्रत्येक वर्ष छठ पूजा के अवसर पर नदी या जलाशय में लोग भगवान सूर्य की आराधना करते हैं। मृत्यु के बाद अपने अस्थि कलश को भी लोग जल में परवाह करते हैं।
महाकुंभ में स्नान वर्तमान का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। उनसे जल संरक्षण पर शोध का कारण पूछने पर बताया कि जब वह मुंगेर में अपने मकान में रहती थी, उस वक्त उन्हें हॉज का पानी पीने को मजबूर होना पड़ता था। तब हॉज का पानी एक सप्ताह तक उसमें रखा जाता था, जो गंदगी युक्त होता था। उस वक्त उन्हें पानी के महत्व को समझने का मौका मिला। उसके बाद उन्होंने पानी के संरक्षण के लिए शोध शुरू किया। अपने 12 वर्षों के शोध के दौरान उन्होंने यह पाया कि लोगों को जल को संरक्षित करने के लिए जागृत करने का काम करेंगे।
हैंडपंप का पानी पीतीं ममतामयी प्रियदर्शनी।
दूषित पानी पीने से होती कई बीमारियां
लोगों के बीच जाकर आज प्रियदर्शी इस बात को बताती हैं कि अगर उन्होंने अभी से ही जल को संरक्षित नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों को बूंद-बूंद जल के लिए तरसना पड़ सकता है। अपने दिल्ली प्रवास की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली में ही उन्हें पता चला कि अच्छा पानी पीने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। गरीब लोगों को अच्छा पानी पीने का हक नहीं। उन्होंने बताया कि 80% बीमारी मानव शरीर में प्रदूषण जल से ही होती है। बताया कि लिवर, हेपेटाइटिस, आर्सेनिक जैसी बीमारियां प्रदूषण जल से ही पनपती है।
जल को संरक्षित करने के बताए उपाय
जल को संरक्षित करने के उपाय पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बारिश के जल को हम किसी तरह संरक्षित करें। प्राकृतिक से प्राप्त जल तालाब, कुआं, पोखर की हम समय-समय पर साफ सफाई करते रहें। घर में नल से प्राप्त पानी को हम व्यर्थ बर्बाद न करें, वृक्षारोपण करें। उन्होंने यह भी बताया कि बहुत सारे पेड़ पौधे जो हमारे जल को कीटनाशक मुक्त बनाता है, उसे भी घरेलू उपचार में हम इस्तेमाल कर सकते हैं।
जल संरक्षण विशेषज्ञ ममतामयी ने दिया जल संरक्षण का मैसेज।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जामुन की लकड़ी को पानी में रात भर रखकर सुबह उसका सेवन करने से पानी में उपस्थित कीटाणु मर जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने तालाब, कुआं के पास जामुन और सहजन पेड़ के लगाने का भी सुझाव दिया है, इससे जल शुद्ध होता है। उन्होंने बताया कि तांबे के बर्तन में रात भर पानी को रखकर सुबह पीने से उसमें बैक्टीरिया मर जाती है। इसके अलावा चांदी के बर्तन में भी पानी रखकर पिया जा सकता है, यह एंटी बैक्टीरियल होता है।