मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ देशभर में 10 ट्रेड यूनियन कल करेंगे हड़ताल

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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ देशभर में 10 ट्रेड यूनियन कल करेंगे हड़ताल

मोदी सरकार के विनिवेश, निजीकरण और श्रम सुधार नीतियों के खिलाफ 10 केंद्रीय व्यापार संघ बुधवार को देशव्यापी मामूली हड़ताल करेंगे. इसी के साथ लेफ्ट और कांग्रेस समर्थित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने कल यानी 8 जनवरी को देशभर में हड़ताल का ऐलान किया है. यह फैसला सोमवार को अखिल भारतीय सम्मेलन में लिया गया. जिसमें ट्रेड यूनियन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का विरोध करती नजर आ रही है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी की आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ बीएमएस ने बंद के इस आह्वान का समर्थन नहीं किया है.

सीपीएम से जुड़े CITU ने दावा किया है कि इस देशव्यापी हड़ताल में लगभग 25 करोड़ कर्मचारी हिस्सा लेने वाले है. इसमें INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वतंत्र महासंघों और संघों के कार्यकर्ता इस हड़ताल का हिस्सा बनेगें, इसी के साथ इस हड़ताल में हिस्सा लेने के लिए इनके यूनियन नेता भी शिरकत करेगें. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पिछले हफ्ते एक बैठक की, जिसमें केंद्रीय व्यापार संधों को अपनी हड़ताल बंद करने के लिए मनाने में विफल रहें है.

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CITU के महासचिव तपन सेन इंडिया टुडे टीवी से बातचीत करते हुए कहा कि एफडीआई की आड़ में सरकार पब्लिक सेक्टर की खुली लूट को इजाजत दे रही है, साथ ही 4 साल से अधिक का समय हो गया, लेकिन जुलाी 2015 के बाद कोई भी भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया आखिरी बार अगस्त 2015 में मंत्रियों के समूह के साथ 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई थी. तब से उस संबंध में कुछ भी आगे नहीं बढ़ा.

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CITU के महासचिव तपन सेन ने इसी के साथ यह भी कहा कि श्रमिक विरोधी नीतियों के लिए विपक्षी पार्टियां जिम्मेदार हैं, जिन्होंने संसद में मोदी सरकार की श्रम नीतियों को मौन स्वीकृति दी. श्रमिकों के राष्ट्रीय खुले जन सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि मोदी-2 सरकार आम लोगों, खास तौर पर श्रमजीवियों के अधिकारों और आजीविका पर आक्रामक हमले कर रही है.