हार का VIP लड्डू: कुढ़नी में मुकेश सहनी ने बताए हारने के कारण, कहा- ऐसे बंटा निषाद समाज; भूमिहार ने नहीं दिया वोट!
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बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी केदार गुप्ता की जीत हुई तो पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गुलाल, पटाखे और लड्डू बांटकर जश्न मनाया। लेकिन विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने अपने प्रत्याशी की हार के बावजूद लड्डू बांट रहे हैं। कल रविवार को भी पार्टी की ओर से लड्डू का वितरण जारी रहेगा। संभव है सोमवार को भी कुछ लोगों को हार का vipलड्डू खाने का मौका मिले।
चुनाव जीतने के बाद लड्डू बांटने का मतलब तो आसानी से समझ में आता है। लेकिन, हार जाने के बाद लड्डू बांटने का मकसद आम समझदारी से बाहर की बात है। इस सवाल पर मुकेश सहनी ने कहा कुढ़नी में उनकी पार्टी को 10 हजार वोट मिले। यह बड़ी बात है. चुनाव से पहले उन्होंने अपने समर्थकों को घी के लड्डू खिलाने का वादा किया था। इसी वादे पर लड्डू बांट रहे हैं। मुकेश सहनी ने कहा कि 1 दिन में सभी समर्थकों को लड्डू खिलाना संभव नहीं है। इसलिए रविवार को भी लड्डू वितरण जारी रहेगा।
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मीडिया से बातचीत में मुकेश सहनी ने कहा की निषाद समाज का वोट बीजेपी को नहीं मिला। कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में निषाद समाज का 15 हज़ार वोट है। इसमें से 10 हज़ार वोट उनकी पार्टी को मिले। चुनाव में सहनी समाज के अन्य प्रत्याशियों को साज़िश कर खड़ा कराया गया जिससे 5 हज़ार वोट बट गए। उन्होंने कहा कि वे किसी पार्टी को हराने वहीं बल्कि खुद जीतने के लिए काम करते हैं।
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अपने समर्थकों को लड्डू खिलाते हुए मुकेश सहनी ने एक बार भी भूमिहार समाज का नाम नहीं लिया। चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने माछ-भात समीकरण का नारा दिया था। बार-बार यह कहते थकते नहीं थे कि भूमिहार का चावल और निषादों की मछली से कुढ़नी का चुनाव परिणाम तय होगा। लेकिन नतीजे आने के बाद उनकी जुबान पर एक बार भी भूमिहार शब्द नहीं आया। पार्टी प्रत्याशी नीलाभ को मिले सभी 9988 वोटों को मुकेश सहनी ने निषाद वोट करार दिया।
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अपने बयान में मुकेश सहनी ने कहा कि 1990 के बाद बिहार में 3 नेता अपने संघर्ष के बल पर आगे बढ़े। आरजेडी के लालू यादव, लोजपा के रामविलास पासवान और जदयू के नीतीश में अपने बल पर वोट ट्रांसफर कराने की ताकत है। वीआईपी चीफ ने यह दावा किया कि इसके बाद चौथा नाम सन ऑफ मल्लाह का होगा।
मुकेश सहनी ने कहा कि वह राजनीति करने के लिए मैदान में नहीं है बल्कि परिवर्तन करने और हक अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए आए हैं। सत्ता चाहिए मगर इसे संघर्ष की बदौलत हासिल करेंगे। किसी का गुलाम बनके सत्ता नहीं चाहिए।
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चुनाव जीतने के बाद लड्डू बांटने का मतलब तो आसानी से समझ में आता है। लेकिन, हार जाने के बाद लड्डू बांटने का मकसद आम समझदारी से बाहर की बात है। इस सवाल पर मुकेश सहनी ने कहा कुढ़नी में उनकी पार्टी को 10 हजार वोट मिले। यह बड़ी बात है. चुनाव से पहले उन्होंने अपने समर्थकों को घी के लड्डू खिलाने का वादा किया था। इसी वादे पर लड्डू बांट रहे हैं। मुकेश सहनी ने कहा कि 1 दिन में सभी समर्थकों को लड्डू खिलाना संभव नहीं है। इसलिए रविवार को भी लड्डू वितरण जारी रहेगा।
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अपने समर्थकों को लड्डू खिलाते हुए मुकेश सहनी ने एक बार भी भूमिहार समाज का नाम नहीं लिया। चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने माछ-भात समीकरण का नारा दिया था। बार-बार यह कहते थकते नहीं थे कि भूमिहार का चावल और निषादों की मछली से कुढ़नी का चुनाव परिणाम तय होगा। लेकिन नतीजे आने के बाद उनकी जुबान पर एक बार भी भूमिहार शब्द नहीं आया। पार्टी प्रत्याशी नीलाभ को मिले सभी 9988 वोटों को मुकेश सहनी ने निषाद वोट करार दिया।
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अपने बयान में मुकेश सहनी ने कहा कि 1990 के बाद बिहार में 3 नेता अपने संघर्ष के बल पर आगे बढ़े। आरजेडी के लालू यादव, लोजपा के रामविलास पासवान और जदयू के नीतीश में अपने बल पर वोट ट्रांसफर कराने की ताकत है। वीआईपी चीफ ने यह दावा किया कि इसके बाद चौथा नाम सन ऑफ मल्लाह का होगा।
मुकेश सहनी ने कहा कि वह राजनीति करने के लिए मैदान में नहीं है बल्कि परिवर्तन करने और हक अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए आए हैं। सत्ता चाहिए मगर इसे संघर्ष की बदौलत हासिल करेंगे। किसी का गुलाम बनके सत्ता नहीं चाहिए।