हर साल बसे दो नए गांव, 1892 अभी आबाद | 1892 settled village in Satna | Patrika News

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हर साल बसे दो नए गांव, 1892 अभी आबाद | 1892 settled village in Satna | Patrika News


हर साल बसे दो नए गांव, 1892 अभी आबाद | 1892 settled village in Satna | Patrika News

जनगणना निदेशालय द्वारा इन दिनों जनगणना के ग्रामवार आंकड़ों का डिजिटलाइजेशन का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत जनगणना 2011 के गांवों को पूर्ववर्ती जनगणना वर्षों के गांवों से लिंक किया जा रहा है। भारत के महारजिस्ट्रार ने इस काम के लिए समय सीमा तय की है। इस दौरान पाया गया कि जिले में 154 ऐसे गांव हैं जो जनगणना 2011 में विद्यमान हैं, लेकिन जनगणना 1951 में नहीं थे। इस कारण 2011 की जनगणना में मिले इन 154 गांवों को जनगणना 1951 के गांवों से लिंक नहीं किया जा सका है। सामान्य भाषा में समझें तो 1951 के बाद सतना जिले में 154 नए गांव बने हैं।

आंकड़ों के अनुसार 1951 के बाद जिले में जो नए गांव बने हैं उनमें रघुराजनगर तहसील में 26, मझगवां में 27, बिरसिंहपुर में 45, नागौद में 19, उचेहरा में 25, रामपुर बाघेलान में 6, कोटर में 2, अमरपाटन में 2, रामनगर में 2 गांव 1951 के बाद बसाए गए हैं।

यह है आज की स्थिति
जिले में आज की स्थिति में 1892 आबाद गांव हैं। इस हिसाब से देखें तो 1951 में सतना जिले के गांवों की संख्या 1738 रही है। उल्लेखनीय है कि 1892 आबाद गांवों की संख्या पहले 1964 थी। इसमें से 72 गांव बकिया बराज और बाणसागर डैम के जलभराव के कारण डूब में आ गए हैं।

अभी वैक्सीनेशन को बना रहे आधार
जिलास्तर पर जनगणना का काम देख रहे अधिकारियों ने बताया कि अभी जनगणना का काम स्थगित ही है। इस दौरान अभी कोविड वैक्सीनेशन के डेटा के आधार पर बेस डेटा तैयार किया जा रहा है। सीमाओं के सत्यापन का कार्य दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है अर्थात सीमाओं को दिसंबर 2022 में लॉक किया जाएगा। चूंकि सीमाएं लॉक होने के बाद जनगणना का काम किया जाता है, लिहाजा स्पष्ट है कि जनगणना वर्ष 2021 की जनगणना का कार्य 2022 के बाद ही शुरू होगा।





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