हर खेत बिजली : नालंदा के 2325 किसानों को नहीं मिला कनेक्शन

76

हर खेत बिजली : नालंदा के 2325 किसानों को नहीं मिला कनेक्शन

हर खेत बिजली : नालंदा के 2325 किसानों को नहीं मिला कनेक्शन

ढाई साल पहले आवेदन करने वाले 902 किसान भी बिजली के इंतजार में

कनेक्शन लेने के लिए धरतीपुत्र लगा रहे कार्यालयों के चक्कर

फोटो

बिजली : कवर्ड वायर लगाने के लिए पोल गाड़ते मजदूर।

बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि।

हर खेत बिजली योजना से जिले में खेती-बाड़ी के लिए 21 कृषि फीडर बनाये गये हैं। लेकिन, 2325 किसानों को कनेक्शन नहीं दिया है। हद तो यह कि ढाई साल पहले प्रखंडों लगाये गये विशेष कैंपों में आवेदन करने वाले करीब 902 धरतीपुत्र भी बिजली की राह देख रहे हैं। बिन बिजली खेतों की सिंचाई प्रभावित हो रही है। बिजली के लिए किसान कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। हाकिम आश्वासन देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं।

हद तो यह कि काम पूरा करने के लिए कार्य एजेंसी को तय की गयी समय सीमा भी खत्म हो चुकी है। फिर भी लक्ष्य कोसों दूर है। अब दो माह (जुलाई तक) की और मोहलत दी गयी है। लेकिन, काम की जो रफ्तार है, उससे कनेक्शन से वंचित सभी किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचना संभव कम ही दिख रहा है। हर खेत तक बिजली पहुंचाने के लिए सभी प्रखंडों लगे कैंपों में जिले के 4360 किसानों ने आवेदन दिया था। पहले फेज में करीब 2408 किसानों को ही कनेक्शन दिया गया है। दूसरे फेज में वंचित रह गये 1995 और ऑनलाइन आवेदन करने वाले 2686 धरती पुत्रों को कनेक्शन देने के लिए पिछले साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना शुरू की गयी है। 18 माह (मई तक) में कार्य एजेंसी को कुल 4638 किसानों को कनेक्शन दे देना था। विडंबना यह कि अबतक कैंप के 1050 तो ऑनलाइन वाले 1263 आवेदकों को ही कनेक्शन मिल पाया है।

मॉनिटरिंग के लिए अलग एजेंसी फिर लक्ष्य दूर:

पॉलीकैप एजेंसी को काम करने की जवाबदेही दी गयी है। जबकि, काम की मॉनिटरिंग के लिए अलग से मेधज एजेंसी को बहाल किया गया है। बावजूद, खेतों तक बिजली पहुंचाने और किसानों को कनेक्शन देने का लक्ष्य अबतक आधा भी पूरा नहीं हो सका है। कार्य एजेंसी के पास सिर्फ दो माह शेष हैं। इस बीज मानसून का आगमन होने वाला है। बारिश होगी तो खेतों में जलभराव हो जाएगा। ऐसे में तार-पोल गाड़ने का काम भी ठप पड़ जाएगा।

…तो बारिश पर निर्भरता होती कम :

जिले की 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। यहां की नदियां बरसाती हैं। अच्छी बारिश होने पर ही नदियों से खेतों की सिंचाई हो पाती है। अगर मानसून दगा दे गया तो किसान हाथ पर हाथ धरे रह जाते हैं। फसलें मारी जाती हैं। हर खेत तक बिजली पहुंच जाती और किसानों को कनेक्शन मिल जाता तो बारिश पर निर्भरता घट जाती।

खेती वाला फीडर ऐसे करता है काम :

खेती के लिए नालंदा के सभी प्रखंडों को मिलाकर 21 कृषि फीडर बनाये गये हैं। इन फीडरों से सीधे खेती के लिए बिछे तार से होकर ट्रांसफॉर्मर तक बिजली जाती है। ट्रांसफॉर्मरों से किसानों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली दी जाती है। वोल्टेज की समस्या न रहने से आसानी से पटवन होता है।

कहते हैं अधिकारी :

जिले में 21 कृषि फीडर काम कर रहे हैं। कार्य एजेंसी को जुलाई तक हर हाल में कनेक्शन से वंचित किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचा देने का आदेश दिया गया। लगातार इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। अभी हर दिन 90 से 100 किसानों को कनेक्शन दिया जा रहा है।

सुशील कुमार, अधीक्षण अभियंता, नालंदा सर्किल

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News