हरियाणा डीजीपी की सैलरी से 25000 रुपए काटे जाएं…हाई कोर्ट, हलफनामा दायर न करने की मिली सजा

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हरियाणा डीजीपी की सैलरी से 25000 रुपए काटे जाएं…हाई कोर्ट, हलफनामा दायर न करने की मिली सजा

हरियाणा डीजीपी की सैलरी से 25000 रुपए काटे जाएं…हाई कोर्ट, हलफनामा दायर न करने की मिली सजा

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आदेश की अनदेखी करने पर हरियाणा डीजीपी के वेतन काटने का आदेश दिया है। दरअसल पूरा मामला एक कांस्टेबल की भर्ती को लेकर है। जिसमें तारीखें तो पड़ती गईं लेकिन डीजीपी लगातार अनदेखी करते रहे और हलफनामा दायर करने में देरी की। हाई कोर्ट ने डीजीपी को दिसंबर, 2017 में निर्देश दिया था। जिसका पालन न किए जाने पर कोर्ट ने डीजीपी की सैलरी से 25 हजार रुपए काटे जाने की बात कही है। हाई कोर्ट ने डीजीपी को 6 दिसंबर, 2017 के आदेश पर हलफनामा जमा करने का एक और मौका दिया है। साथ ही मामले को 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।

पीजीआई चंडीगढ़ को जमा कराएं राशि

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ‘जरूरतमंद काम करने के लिए और समय का अनुरोध किया जाता है। हलफनामा दाखिल करने में देरी गलत है। न्याय के हित में हरियाणा डीजीपी के वेतन से 25,000 रुपये काटा जाए। इस राशि को गरीब रोगी कल्याण के तहत पीजीआई चंडीगढ़ में जमा कराया जाए।

आंखों की रोशनी से जुड़ा मामला

जस्टिस दीपक सिब्बल ने यह आदेश हरियाणा के अंबाला जिले के मूल निवासी अजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अजय कुमार का सिपाही के पद पर भर्ती का मामला आंखों की रोशनी के चलते मेडिकल आधार पर खारिज कर दिया गया था। हालांकि, अजय कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों के एक बोर्ड का गठन भी किया था। डॉक्टरों के बोर्ड ने कहा अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता की दोनों आंखों की रोशनी 6/6 है।

रंग पहचानने की दिक्कत आई सामने

सिपाही पद पर आवेदन करने वाले अजय कुमार लाल रंग की पहचान सभी आकार के छेदों के साथ करने में सक्षम थे। लेकिन हरे रंग की पहचान 13 मिमी, 6 मिमी और 3 मिमी के छेदों के आकार के साथ करने में सक्षम थे। बोर्ड ने अपनी सिफारिश में कहा था कि अजय कुमार की आंखो की रोशनी में रंग पहचानने की क्षमता को लेकर दिक्कत है। जो उन्हें गैर-तकनीकी सेवाओं में रोजगार के लिए तो योग्य बनाती है, लेकिन तकनीकी सेवाओं के लिए नहीं।

हाई कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2017 को डीजीपी हरियाणा को निर्देश दिया था कि वे सिपाही के अपात्र होने को लेकर आवेदन दायर करें। साथ ही यह साफ करें कि कैसे याचिकाकर्ता राज्य पुलिस में एक कांस्टेबल के रूप में रोजगार के लिए अपात्र होगा। कोर्ट ने तब हलफनामा दाखिल करने की अगली तारीख 21 फरवरी, 2018 तय की थी। इसके बाद जब मामला 30 नवंबर को सुनवाई के लिए आया। तो राज्य सरकार के वकील ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि हलफनामा हरियाणा डीजीपी के जरिए दायर किया जाना है। डीजीपी की ओर से हो रही लगातार देरी से नाराज होकर हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया है।

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