हरियाणा की इस खाप पंचायत ने लड़ी ऐसी जंग, जिसे आज भी लोग करते हैं याद

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हरियाणा की इस खाप पंचायत ने लड़ी ऐसी जंग, जिसे आज भी लोग करते हैं याद

हरियाणा की इस खाप पंचायत ने लड़ी ऐसी जंग, जिसे आज भी लोग करते हैं याद

रोहतक: हरियाणा के रोहतक जिले में एक कस्बा है महम। यहां की खाप का नाम है महम चौबीसी। इस महम चौबीसी के चबूतरे ने हरियाणा की राजनीति को भी आईना दिखाया है। 34 साल पहले थ्रोबैक में चलते हैं। दिल्ली की गद्दी पर विश्वनाथ प्रताप सिंह काबिज थे और उपप्रधानमंत्री बने थे हरियाणा के चौधरी देवीलाल। चौधरी साहब को हरियाणा सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। जिम्मेदारी सौंपी अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को। चौटाला को छह महीने के अंदर उसी महम सीट से विधायक बनना था, जो उनके पिता देवीलाल को सांसद बनने के बाद खाली करनी पड़ी थी। इसके बाद महम उपचुनाव का ऐलान हुआ। इस उपचुनाव में महम चौबीसी खाप ने आनंद सिंह दांगी को अपना आशीर्वाद दे दिया। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।


‘महम चौबीसी के चबूतरे पर अंग्रेजों ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी थी। मान्यता यह है कि यहां हुआ फैसला अगर नहीं पूरा किया जाता है तो क्रांतिकारियों की आत्माएं सोने नहीं देती हैं। महम चौबीसी के चबूतरे पर दीया जलाकर ही कोई भी नेता नामांकन दाखिल करने जाता है। यहां से लिया गया निर्णय सभी खापों को स्वीकार होता है।’ नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से यह कहने वाले कोई और नहीं वही आनंद सिंह दांगी हैं, जिनके सिर पर 1990 के महम उपचुनाव में महम चौबीसी खाप ने हाथ रखा था।

दांगी को अपना पांचवां बेटा मानते थे देवीलाल
27 फरवरी 1990 को महम विधानसभा उपचुनाव की वोटिंग हो रही थी। रोहतक के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र दांगी ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया, ‘आनंद सिंह दांगी देवीलाल के करीबी हुआ करते थे। देवीलाल इनको अपना पांचवां बेटा कहते थे। जब हरियाणा में देवीलाल की सरकार आई तो वह सबऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन रहे और पीडब्ल्यूडी का महकमा भी उनके पास रहा था। इसी दौरान ओम प्रकाश चौटाला से दांगी की अनबन हो गई। एसएसएसबी में नौकरियों के लिए चौटाला ने दांगी को अपनी लिस्ट दे दी। दांगी ने इसके आधार पर भर्ती से इनकार कर दिया। इस पर दोनों के बीच खींचतान शुरू हुई।’

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और महम चौबीसी खड़ी हुई दांगी के साथ
चौटाला से विरोध के बाद दांगी ने सेलेक्शन बोर्ड से इस्तीफा दिया। आनंद सिंह दांगी और देवीलाल परिवार आमने-सामने हो गए। दांगी पर मुकदमे ठोक दिए गए। वहां से माहौल खराब हुआ। दो-तीन बार फायरिंग हुई। जब अरेस्ट करने के लिए पुलिस आई तो सैकड़ों गोलियां चली थीं। उधर महम चौबीसी अड़ गई कि दांगी को जबरन नहीं पकड़ सकते हैं। महम चौबीसी का मानना था कि सरकार गुंडागर्दी कर रही है और विरोध की आवाज को दबाया जा रहा है। उस वक्त महम चौबीसी की पंचायत आनंद सिंह दांगी के साथ खड़ी हो गई।

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देवीलाल बोले- महम चौबीसी पंचायत को नहीं मानता हूं
महम उपचुनाव के दो सबसे बड़े किरदार थे- महम चौबीसी खाप और आनंद सिंह दांगी। महम उपचुनाव की गिनती देश के सबसे खून-खराबे वाले चुनावों में होती है। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन ने आनंद सिंह दांगी से एक्सक्लूसिव बातचीत की। दांगी ने महम उपचुनाव को याद करते हुए बताया, ‘महम से पहला चुनाव मैंने ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में लड़ा। देवीलाल सांसद बनकर उपप्रधानमंत्री बने। महम सीट से चौधरी देवीलाल साहब तीन बार जीते। हर बार महम चौबीसी पंचायत ने फैसला किया फिर लड़े। जब उनके उपप्रधानमंत्री बनने पर सीट खाली हुई तो पंचायत ने मेरा नाम तय किया। चौधरी देवीलाल के पास महम चौबीसी के तकरीबन ढाई सौ लोग गए। खाप के फैसले के बारे में उन्हें बताया। लेकिन उनकी चौधरी साहब ने एक नहीं
सुनी। बोले कि मैं आकर पता करूंगा। पंचायत ने कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने तीन बार आपको जिताया। अब उसी पंचायत का फैसला है कि दांगी लड़ें। इस पर देवीलाल ने कहा कि मैं इसे पंचायत नहीं मानता हूं। देवीलाल के इस रवैए के बाद महम चौबीसी से जुड़ा समाज अड़ गया।’

‘अभय चौटाला को पुलिस वर्दी पहनाकर निकाला था’
महम में हालात तेजी से बदल रहे थे, जिसका अंदाजा चौधरी देवीलाल को नहीं था। पहली बार देवीलाल को तब एहसास हुआ, जब कैंपेन के लिए उनका हेलिकॉप्टर महम की धरती पर उतरने नहीं दिया गया। आनंद दांगी नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को आगे बताते हैं, ‘चीफ मिनिस्टर थे ओमप्रकाश चौटाला। वह चुनाव लड़ रहे थे। महम के लोगों ने जबरदस्त तरीके से हमारा साथ दिया। ओम प्रकाश चौटाला को अंदाजा हो गया था कि वह हार जाएंगे। ऐसे में बूथ कैप्चरिंग, धांधली और पुलिस फोर्स को मिलाकर 27 फरवरी को वोटिंग के दिन दंगा-फसाद कराया। चुनाव आयोग ने विपरीत रिपोर्ट मिलने के बाद इस उपचुनाव को रद्द कर दिया। इसके बाद दोबारा चुनाव हुआ। इस बार अमीर सिंह निर्दलीय कैंडिडेट थे। उनका नामांकन ओम प्रकाश चौटाला ने ही पर्दे के पीछे से करवाया था। जब महम के लोगों का मुझे जबरदस्त समर्थन दिखा तो पता चल गया कि चौटाला हार जाएंगे। बैंसी में राजकीय हाईस्कूल के पास अभय सिंह चौटाला को पब्लिक ने घेर लिया था। इसके बाद किसी तरह पुलिसवाले की यूनिफॉर्म पहनाकर निकाला था।’

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‘अमीर सिंह की हत्या, मेरे खिलाफ हुई फर्जी एफआईआर’
इसी दौरान एक नई घटना हो गई। आनंद सिंह दांगी के मुताबिक, ‘निर्दलीय अमीर सिंह को ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला अपने साथ लेकर गए। उस वक्त के एसपी करतार सिंह तोमर भी उन्हीं के साथ थे। अगले दिन सुबह महम से 12 किलोमीटर दूर हिसार रोड पर एक पब्लिक मीटिंग रखी गई। रात में ही अमीर सिंह की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। घटना का खुलासा सुबह हुआ। सीएम ओम प्रकाश चौटाला ने कहा कि अमीर सिंह की हत्या हो गई है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हत्या की एफआईआर मेरे खिलाफ दर्ज करा दी गई। इसके बाद पूरी पुलिस फोर्स मेरे घर पहुंच गई और फायरिंग होने लगी। इस दौरान दो लड़कियों समेत तीन लोगों की गोली लगने से मौत हो गई। लोगों से पता चला कि मेरे खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज हो गई है।’

महम में खूनखराबे के बीच राजीव गांधी का आया संदेश
महम के उपचुनाव में किस कदर खून से होली खेली गई, इससे उस समय के अखबार और पत्रिकाओं की सुर्खियां रंगी हुई थीं। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में दांगी कहते हैं, ‘मुझसे कहा गया कि मृतकों के दाह संस्कार में आप मत जाना वहां। दाह संस्कार के बाद पुलिसवाले मुझे गिरफ्तार करने के लिए पहुंच गए। जब मैंने छत की बालकनी से पूछा कि क्या बात है तो सीधे मेरे ऊपर पुलिस की ओर से फायर कर दिया गया। मैंने किसी तरह दो-तीन मंजिल फांदते हुए अपनी जान बचाई। डेढ़ घंटे तक महम में घरों पर फायरिंग होती रही। इस दौरान कई मौतें हुईं। तभी मेरे पास राजीव गांधी की तरफ से संदेश आया कि मुझसे आकर मिलिए।’

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महम चौबीसी जीती और हार गए चौटाला
महम चौबीसी के आगे ओम प्रकाश चौटाला की एक नहीं चली। उन्हें सीएम की कुर्सी तो छोड़नी ही पड़ी और बाद में जब हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए तो महम चौबीसी का आशीर्वाद पाने वाले आनंद सिंह दांगी ही विधायक बने। यह एक सीएम की हार थी। आनंद सिंह दांगी ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया, ‘ चौधरी बीरेंद्र सिंह उस वक्त हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष थे। अमीर सिंह मर्डर के बाद राजीव गांधी महम आए। राजीव जी के दौरे के बाद एसएस अहलूवालिया महम में मिले खाली कारतूसों की माला पहनकर संसद गए। अगले दिन संसद नहीं चल सकी। महम कांड की वजह से ही उसी दिन चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। इसके एक हफ्ते बाद फिर चौटाला ने सीएम की शपथ ली लेकिन फिर इस्तीफा देना पड़ा। विधानसभा भंग होने के बाद 20 मई 1991 को हरियाणा का विधानसभा चुनाव हुआ। उस चुनाव में मैं कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में महम सीट से लड़ा। चौटाला ने अपनी जनता पार्टी से सूबे सिंह को लड़ाया। इस चुनाव में करीब साढ़े 26 हजार वोटों से जीत मेरी हुई।’

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