स्वामी प्रसाद मौर्य को अब दिखाया गया काला झंडा, रामचरितमानस पर टिप्पणी पर भड़के BJP कार्यकर्ता

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स्वामी प्रसाद मौर्य को अब दिखाया गया काला झंडा, रामचरितमानस पर टिप्पणी पर भड़के BJP कार्यकर्ता

स्वामी प्रसाद मौर्य को अब दिखाया गया काला झंडा, रामचरितमानस पर टिप्पणी पर भड़के BJP कार्यकर्ता


वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्वामी प्रसाद मौर्य को काला कपड़ा दिखाने का मामला सामने आया है। श्रीरामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी से नाराज भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने रविवार को वाराणसी के टेंगरा मोड़ पर नारेबाजी की। समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले के सामने काला कपड़ा दिखा कर अपना विरोध जताया। रामनगर पुलिस ने बताया कि स्वामी मौर्य रविवार को वाराणसी से सोनभद्र जाने के लिए निकले थे। उनका काफिला टेंगरा मोड़ पर पहुंचा ही था कि भाजपा कार्यकर्ता ‘जय श्री राम’ और ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष करते हुए सामने आ गए। काला कपड़ा दिखा कर विरोध प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने सपा नेता के कार पर काला कपड़ा भी फेंका। इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान भाग लेने के क्रम में काला झंडा दिखाया गया था।

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को रोक कर स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले को तत्काल सोनभद्र के लिए रवाना किया गया। इस मामले में किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। विरोध प्रदर्शन करने वाले भाजपा कार्यकर्ता दीपक ने कहा कि स्वामी प्रसाद को श्रीरामचरितमानस पर अपने विवादित बयान के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए और यदि वे माफी नहीं मांगते हैं तो आगे भी उनका विरोध किया जाएगा और उन्हें काशी नहीं आने दिया जाएगा।

इससे पहले सपा नेता मौर्य ने कहा था कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर श्रीरामचरितमानस की किन्ही पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है। रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों (दोहों) में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह उनकी (महिलाओं) भावनाओं को आहत करने वाली बात है जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं। अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर वाद-विवाद करना किसी धर्म का अपमान है, तो धार्मिक नेताओं को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती। क्या यह वर्ग हिंदू नहीं है? उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के आपत्तिजनक हिस्सों को प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए, जिनसे जाति वर्ग और वर्ण के आधार पर समाज के एक हिस्से का अपमान होता है। स्वामी मौर्य के इसी बयान पर भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं।

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