स्वामी प्रसाद मौर्य के सुर बदले, अखिलेश BJP- RSS पर हमलावर… क्या ‘मानस’ पर मचे संग्राम से ध्यान हटाने की तैयारी
मुलाकात के बाद बैकफुट पर दिखे स्वामी प्रसाद मौर्य
समाजवादी पार्टी से विधान पार्षद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। पिछले दिनों रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर चर्चा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने रुख पर कायम हैं। इसको लेकर सपा के भीतर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य पर कार्रवाई की तैयारी की बात भी आने लगी थी। इसी बीच स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव की मुलाकात ने राजनीतिक पारा अचानक गरमा दिया। मुलाकात के बाद बाहर निकले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बैठक में हुई चर्चा को लेकर कोई बड़ा बयान तो नहीं दिया, लेकिन उनके रुख ने कई चीजें साफ कर दी। पिछले दिनों लगातार स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार रामचरितमानस, इसकी चौपाइयों और साधु-संतों पर विवादित बयान दे रहे थे। मीडिया के सामने अपने पक्ष को सही साबित करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, शनिवार को पार्टी अध्यक्ष के साथ मुलाकात के बाद वे अपने पूर्व में दिए गए बयान को दोहराते भी नजर नहीं आए।
स्वामी प्रसाद मौर्य से मीडिया ने जब उनसे रामचरितमानस पर दिए गए उनके बयान पर सवाल किया तो वे जवाब देने से बचते दिखे। उन्होंने मामले को पलटते हुए कहा कि यूपी में अति पिछड़े और दलितों के हकमारी की कोशिश की जा रही है। इसकी लड़ाई पूरे प्रदेश में लड़ी जाएगी। वे यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को सही प्रकार से नहीं दिए जाने के मसले पर भाजपा सरकार को घेरने में जुट गए। उन्होंने कहा कि जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आरक्षण व्यवस्था को सही प्रकार से लागू करने की लड़ाई लड़ी जाएगी। मौर्य ने जातिगत जनगणना की मांग को उठाते हुए समाजवादी पार्टी के आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दिए जाने के मसले को उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी जातिगत जनगणना और ओबीसी दलित आरक्षण को करारे तरीके से लागू कराने के विषय पर बात करेगी। सरकार के समक्ष यह मांग रखी जाएगी। अखिलेश यादव से हमारी इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा हुई है।
‘हर मुद्दे पर हुई है चर्चा’
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के साथ मुलाकात के दौरान रामचरितमानस पर दिए गए उनके विवादित बयान के मसले पर चर्चा की भी बात कही। उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों पर बातचीत हुई है। हमने अपना पक्ष रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य पर तत्काल समाजवादी पार्टी कोई बड़ा कदम नहीं उठाने जा रही है। स्वामी मौर्य का भी रुख बदला हुआ दिख रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनके रुख में नरमी आई है। पिछले दिनों उनके बयानों के बाद लगातार समाजवादी पार्टी के भीतर से ही स्वामी प्रसाद मौर्य पर कार्रवाई की बात उठने लगी थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य भी आईं। संघमित्रा मौर्य भाजपा से सांसद हैं ।हालांकि, भाजपा स्वामी प्रसाद मौर्य पर लगातार आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है।
सीएम योगी पर बोलने से बचे मौर्य
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रामचरितमानस और सनातन धर्म पर उठ रहे सवालों के बीच एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सनातन ही हिंदुस्तान का मुख्य धर्म है। स्वामी प्रसाद मौर्य से जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने इसका जवाब देंगे। उन्होंने इस मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। हालांकि, अभी तक वे रामचरितमानस और बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री समेत कई अहम मुद्दों को लगातार उठा रहे थे। अपना आक्रामक रवैया अख्तियार किया हुआ था। उन्हें लगातार घेर रहे थे। अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद अब उनके रुख में बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। इसे पार्टी अध्यक्ष की ओर से उनके बयानों पर कड़ा रुख अपनाए जाने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात पर भी दिया बयान
अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात से संबंधित सवाल पर कहा कि हमारी उनसे बातचीत हुई है। हमने उन्हें आरक्षण के मसले पर काम करने को कहा है। उनसे इस संबंध में समर्थन मांगा है। ओबीसी आरक्षण को सरकार खत्म करने की कोशिश कर रही है। यूपी नगर निकाय चुनाव में यह साफ हुआ है। हम लोग मिलकर आरक्षण के मसले को जोरदार तरीके से उठाएंगे। जिले से राष्ट्रीय स्तर तक इस मसले को उठाया जाएगा। गरीबों की हकमारी की कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी। साथ ही, उन्होंने रामचरितमानस पर दिए गए स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर अलग ही रुख अपना लिया। हिंदूवादी संगठनों के विरोध की बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग मंदिरों को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के लोग हमें शूद्र समझते हैं। इसलिए, मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है। अखिलेश यादव के इस बयान को रामचरितमानस विवाद पर उठी विरोध की लहर को शांत करने और मुद्दे को राजनीतिक रूप दिए जाने के तौर पर देखा जा रहा है।