स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 : पटना की रैंकिंग में 6 स्थान का सुधार; सर्टिफिकेशन में क्यों पिछड़ा पटना?

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 : पटना की रैंकिंग में 6 स्थान का सुधार;  सर्टिफिकेशन में क्यों पिछड़ा पटना?

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 : पटना की रैंकिंग में 6 स्थान का सुधार; सर्टिफिकेशन में क्यों पिछड़ा पटना?

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 का परिणाम शनिवार की शाम जारी हो गया। इस बार पटना छह पायदान ऊपर चढ़कर 38वें स्थान पर पहुंच गया। इससे पहले पटना का स्थान 44वां था। इस बार 10 लाख से अधिक की आबादी वाले कुल 45 शहरों में पटना को 38 वां स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं राज्य के सभी नगर निकायों में पटना को पहला स्थान मिला है। पड़ोसी राज्य झारखंड की राजधानी रांची समेत दक्षिण भारत के चेन्नई, बेंगलुरु, मदुरई कोयंबटूर जैसे शहर पटना से पीछे हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इंदौर लगातार छठी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। दूसरे स्थान सूरत और तीसरे स्थान पर नवी मुंबई रहा है।

 

स्वच्छता सर्वे में पिछले दो वर्षों से पटना नगर निगम की रैंकिंग में सुधार हो रहा है। पिछले छह महीने से नगर निगम स्वच्छता को लेकर नया नजरिया अपनाया, जिसके कारण इस बार पटना पिछले बार से छह रैंक ऊपर उठा है।

स्वच्छता वोटिंग में 68 फीसदी अंक पटना नगर निगम ने सिटीजन वॉयस श्रेणी में 68 फीसदी अंक प्राप्त किया है। तीनों श्रेणी में सबसे अधिक सिटीजन व्यॉस में 1536 अंक मिले हैं। निगम द्वारा सभी वार्डों से कचरा उठाव किया जा रहा है। इस श्रेणी में पटना को 1200 अंक मिले हैं।

छह रैंक की ऐसे हुई बढ़ोतरी

पटना नगर निगम ने स्वच्छता कार्यों में आम जनता की सहभागिता बढ़ाने के मकसद से स्वच्छ पटना शहर अपना, स्वच्छता मतदान, हमारा शहर मांगे हमारा साथ की थीम पर विभिन्न पहल यथा- ब्रांड एम्बेसडर प्रोग्राम, वन ड्रीम पटना क्लीन, वेस्ट टू वंडर, स्वच्छाग्रही, पटना की ब्यूटी हम सबकी ड्यूटी, शौचालयों की कलर कोडिंग, विभिन्न प्रकार के कॉन्टेस्ट, आदि कार्यक्रम लॉन्च किए। इनसे शहर की स्वच्छता के प्रयासों में बड़ी सहायता मिली।

 क्यों पिछड़ा पटना

● पटना नगर निगम क्षेत्र में नहीं है ड्रेनेज सिस्टम

● घर-घर से गीला और सूखा कचरा नहीं होता अलग

● सूखे कचरे को रिसाइकिल करने का नहीं है बड़ा प्लांट

● वायु प्रदूषण को लेकर नगर निगम में पास नहीं है कोई कार्य योजना

● गीले कचरा का नहीं होता वैज्ञानिक तरीके से निपटारा

● नगर निगम के पास हैं सीमित संसाधन, विभाग पर है निर्भरता

 

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