स्पेशल ‘सियासी खीर’ पकाने में व्यस्त हैं उपेंद्र कुशवाहा, बहुत जल्द करेंगे बड़ा राजनीतिक धमाका !

17
स्पेशल ‘सियासी खीर’ पकाने में व्यस्त हैं उपेंद्र कुशवाहा, बहुत जल्द करेंगे बड़ा राजनीतिक धमाका !

स्पेशल ‘सियासी खीर’ पकाने में व्यस्त हैं उपेंद्र कुशवाहा, बहुत जल्द करेंगे बड़ा राजनीतिक धमाका !


ओमप्रकाश अश्क, पटना : अब तक के अनुभव यही बताते हैं कि फिलवक्त जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के लिए बीजेपी का साथ ही शुभ साबित हुआ है। उसके पहले उन्होंने कई दलों से रिश्ता तो बनाया, लेकिन हर बार उन्हें झुनझुना ही हाथ लगा। बदकिस्मती ऐसी कि बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद सामने दिख रही मंत्री की कुर्सी भी उनसे दूर छिटकती रही है। एक अदद मंत्री की कुर्सी के लिए उनकी खीर पालिटिक्स भी कल्पना से आगे आकार नहीं ले सकी थी। लवकुश का जज्बाती नुस्खा भी उनके किसी काम नहीं आया। अब उन्हें फिर बीजेपी के साथ की राजनीति रास आने लगी है।

फैसले से चौंकाते हैं उपेंद्र !

बीजेपी से 2018 में अलग होने के बाद राजद के साथ नजदीकियां बढ़ाने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी ‘खीर’ पालिटिक्स के कंस्पेट से सबको चौंकाया था। उन्होंने कहा था कि कुशवाहा का चावल और यादवों का दूध मिल जाए तो सुस्वादु ‘खीर’ बन सकता है। बाद में आरजेडी के साथ खीर पकाने की उनकी अवधारणा पर पानी फिर गया तो उन्होंने अपनी पार्टी आरएलएसपी का जेडीयू में विलय दिया था। बदकिस्मती के शिकार कुशवाहा को जेडीयू से भी अब घिन्न आने लगी है। महागठबंधन के साथ जेडीयू के जाने से वे असहज हैं। अब फिर उनके एनडीए में आने के संकेत मिल रहे हैं। बिहार में खीर बनाने का सपना उनका अधूरा रह गया। वे अब नई सियासी खिचड़ी पकाने के काम में जुटे दिख रहे हैं।

Bihar Politics: उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा? पढ़ लीजिए उनका अतीत-वर्तमान और संभावित भविष्य!

कुशवाहा के लिए शुभ एनडीए

एनडीए सरकार में मंत्री रहते जब 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरने का वक्त करीब था तो उपेंद्र कुशवाहा की सीटों की संख्या को लेकर बीजेपी से अनबन हो गयी थी। बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए मंत्री रहते ही उन्होंने खीर वाला बयान दिया था। उपेंद्र कुशवाहा ने कहगा था कि यदुवंशियों का दूध, कुशवंशियों का चावल, दलित-पिछड़ों का पंचमेवा और सवर्णों का तुलसी दल मिल जाये तो बड़ी अच्छी और स्वादिष्ट खीर बन सकती है। कुशवाहा के इस बयान को अपने ट्वीट से आगे बढ़ाया था बिहार विधानसभा में तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने। उन्होंने कहा कि इस खीर में पौष्टिकता भी होगी। बिहार में दो ध्रुवीय चुनाव की दिशा में इसे शुरुआती कदम के रूप में देखा गया था।

navbharat times -बिहार: बयानवीरों ने महागठबंधन में बोए संशय के बीज, बिना मेहनत बीजेपी की राह आसान… समझिए कैसे

कुशवाहा ने जब किया ट्वीट

उपेंद्र कुशवाहा के बयान और तेजस्वी के ट्वीट को नयी तरह की खीर पकाने की राजनीति बतौर देखा गया था। इसका सीधा मतलब था राजद, रालोसपा और हम का एक मंच पर जुटान। अलग वजहों से, पर कुशवाहा की कल्पना को इस बार आयाम मिल तो गया, लेकिन उनके मंत्री पद की महत्वाकांक्षा अधूरी ही रह गयी। इसलिए अभी वे जिस जेडीयू में हैं, उसके साथ वे सभी दल हैं, जिनको लेकर कुशवाहा ने कभी सुस्वादु खीर पकाने की योजना बनायी थी। यानी आरजेडी, हम और जेडीयू अब एक कुशवाहा अपनी खीर पालिटिक्स की बात भूल गये हैं।

navbharat times -Bihar Politics: ‘डील’ के कारण डोल रहे कुशवाहा, उपेंद्र की अंदर वाली बात से परेशान हैं सीएम नीतीश?

आने-जाने में माहिर कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में रहते हुए भी समय-समय पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे। कभी शिक्षा के सवाल पर तो कभी दूसरी नीतियों को लेकर वे अक्सर एनडीए की सरकार पर सवाल उठाते रहे। इसलिए अभी वे नीतीश कुमार की अगुआई वाली महागठबंधन की सरकार के खिलाफ कुछ बोलें तो किसी को अचरज नहीं होना चाहिए। जेडीयू के साथ आने से पहले नीतीश कुमार से उनकी अदावत भी जगजाहिर है। एनडीए में रहते जब उपेंद्र कुशवाहा ने खीर वाला बयान दिया था, अगले ही दिन उन्होंने पलटी मार दी और सफाई दी कि हमने किसी दल विशेष के बारे में कोई बात नहीं कही। उनके बयान का आशय सामाजिक समरसता से था, जिसमें यादव, कुशवाहा, दलित-पिछड़े और अगड़ों को साथ लाने की बात थी। उनकी पार्टी रालोसपा (अब जेडीयू में विलीन) की यह पूरी कवायद एनडीए को मजबूती प्रदान करने के लिए है। एनडीए मजबूत होगा, तभी नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। लेकिन उनके बयान पर तब राजद ने जितनी आत्मीयता दिखाई थी, उससे ही साफ हो गया था कि खीर बनाने से पहले बिहार में सियासत की खिचड़ी पक रही है।

navbharat times -Nitish स्टाइल में JDU को झटका देंगे Upendra Kushwaha? कभी खुद की पार्टी थी अब मोदी के पाले में फेंकी गेंद

अकेले चलने की नीति में फेल

कुशवाहा की यह कवायद आखिरकार कामयाब नहीं हुई थी और अलग होकर उन्हें चुनाव लड़ना पड़ा था। चुनाव में अकेले चल कर उनकी जो दुर्गति हुई, उससे एक बात तो साफ ही हो गयी थी कि नरेंद्र मोदी के नाम पर ही उन्हें कामयाबी मिल सकती है और मंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा भी पूरी हो सकती है। कुशवाहा मंत्री बनने की बेचैनी से ही जेडीयू के शरणागत हुए थे। लेकिन उनके इंतजार की घड़िया अनंत होती जा रही थीं। अंत में नीतीश कुमार ने यह कह कर इस पर विराम ही लगा दिया कि जेडीयू से उनके मंत्रिमंडल में अब और कोई मंत्री नहीं बनेगा। यही वजह है कि उपेंद्र कुशवाहा के तेवर अब बदल गये हैं और वे अपनी ही पार्टी में बगावती तेवर अपनाये हुए हैं।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News