‘स्टडी करवाइए, दिल्ली में एलजी का पद होना चाहिए या नहीं’, प्रिंसिपलों की नियुक्ति के विवाद पर भड़के मनीष सिसोदिया

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‘स्टडी करवाइए, दिल्ली में एलजी का पद होना चाहिए या नहीं’, प्रिंसिपलों की नियुक्ति के विवाद पर भड़के मनीष सिसोदिया

‘स्टडी करवाइए, दिल्ली में एलजी का पद होना चाहिए या नहीं’, प्रिंसिपलों की नियुक्ति के विवाद पर भड़के मनीष सिसोदिया


नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल (एलजी) को 370 प्रिंसिपलों की नियुक्ति के लिए फाइल भेजी और एलजी ने इसमें से 244 पदों की नियुक्ति रोक दी। उन्होंने दावा किया, ‘एलजी ने हास्यास्पद व असंवेदनशील बात कही है कि ‘स्टडी करवाओ कि स्कूलों में प्रिंसिपल की जरूरत है या नहीं।’ सिसोदिया ने एलजी वीके सक्सेना के कथित बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘हर स्कूल में प्रिंसिपल होना चाहिए, क्या इसकी स्टडी की जरूरत है? अगर स्टडी ही करनी है तो ये स्टडी करवाइए कि दिल्ली में उपराज्यपाल का पद होना चाहिए या नहीं।’

मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी ने ‘असंवैधानिक’ तरीके से सर्विसेज डिपार्टमेंट पर ‘कब्जा’ नहीं किया होता तो हर स्कूल में प्रिंसिपल होता। दिल्ली सरकार के पास सर्विस डिपार्टमेंट होता तो प्रिंसिपल नियुक्ति की फाइल 8 साल से नहीं घूमती और 1 महीने में ही सारी भर्तियां हो जातीं। एलजी-केंद्र को सर्विस डिपार्टमेंट पर कब्जा करने की जिद है, लेकिन उन्हें प्रिंसिपल की नियुक्ति करवाने की चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘एलजी साहब सिर्फ दादागीरी दिखाना चाहते हैं कि सर्विस डिपार्टमेंट उनके पास है तो वो प्रिंसिपलों की नियुक्ति नहीं होने देंगे।’

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘एलजी साहब ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने दिल्ली सरकर के सरकारी स्कूलों में 126 प्रिंसिपलों की नियुक्ति का रास्ता साफ किया है, साथ ही उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार इसे रोककर बैठी थी।’ सिसोदिया ने कहा, ‘उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से जारी किया गया बयान सिर्फ और सिर्फ झूठ का पुलिंदा है और बेहद दुखद व हास्यास्पद है। ये लोग तथ्यों को छुपाते हैं, झूठ बोलते हैं और पूरे सिस्टम का मजाक बना रखा है।’

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और एलजी को दिल्ली के 18 लाख बच्चों की कोई चिंता नहीं है, उनकी ये प्राथमिकता नहीं है कि वह स्कूलों में प्रिंसिपल की भर्ती करवा दें। उनकी सिर्फ यह जिद है कि दिल्ली के केंद्र और उनका कब्जा होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 2015 में जब दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनी, तब सर्विस डिपार्टमेंट अरविंद केजरीवाल के पास था। उस समय मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री द्वारा फैसला लिया जाता था। उस दौरान दिल्ली सरकार ने 5 सालों से अटकी प्रिंसिपलों की भर्तियां करवाईं। साथ ही सरकार ने प्रिंसिपलों के 370 पोस्टों पर नियुक्ति का प्रस्ताव यूपीएसई को भेजा। लगभग उसी आसपास केंद्र सरकार ने संविधान को दरकिनार करते हुए सर्विस डिपार्टमेंट पर कब्जा किया।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री का कहना है कि यूपीएसई ने जब इस प्रस्ताव पर कुछ सवाल किए तो केंद्र सरकार और एलजी ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग को बिना जानकारी दिए यूपीएसई को ऐसे जबाव भेजे, जिससे यूपीएसई संतुष्ट न हो सका। इसका नतीजा है कि 370 प्रिसिपलों की नियुक्ति का रास्ता साफ न हो सका।

उन्होंने कहा, ‘जब स्थिति बिगड़ती चली गई तो मैंने अपने अधिकारियों के साथ मिलकर यूपीएसई से बात की और इसका नतीजा रहा कि दिल्ली सरकार के प्रयासों के कारण दिल्ली सरकार के स्कूलों में नए सिरे से 363 प्रिंसिपल के बहाली का रास्ता साफ हो सका।’

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