सौम्या गुर्जर की मेयर कुर्सी पर ‘संकट’ बरकरार, नोटिस का 7 दिन में देना होगा जवाब, पढ़ें पूरा मामला

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सौम्या गुर्जर की मेयर कुर्सी पर ‘संकट’ बरकरार, नोटिस का 7 दिन में देना होगा जवाब, पढ़ें पूरा मामला

सौम्या गुर्जर की मेयर कुर्सी पर ‘संकट’ बरकरार, नोटिस का 7 दिन में देना होगा जवाब, पढ़ें पूरा मामला

जयपुर: राज्य सरकार को ठेंगा दिखाते हुए महापौर की कुर्सी पर काबिज हुई सौम्या गुर्जर को स्वायत्त शासन विभाग ने थोड़ी राहत दी है। पिछले दिनों 10 नवम्बर को सरकार ने सौम्या गुर्जर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 7 दिन में जवाब मांगा था। सौम्या ने 16 नवम्बर को पत्र लिखकर राज्य सरकार से 30 दिन का और समय मांगा। 18 नवम्बर को स्वायत्त शासन विभाग ने सौम्या गुर्जर को 30 का समय देने के बजाय 7 दिन की मौहलत दी है। विभाग ने सौम्या को लिखा कि 25 नवम्बर से पहले जवाब प्रस्तुत करें।

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सौम्या को मिला अपना पक्ष रखने का अवसर
जून 2021 में नगर निगम ग्रेटर के तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट के मामले में सौम्या को पुलिस जांच में दोषी माना गया था। बाद में हुई न्यायिक जांच में भी उन्हें दोषी माना गया। इसके बाद 27 सितंबर 2022 को राज्य सरकार ने सौम्या को पार्षद और महापौर पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए। सौम्या ने सरकार के इस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी कि राज्य सरकार ने उनका पक्ष सुने बिना ही बर्खास्त कर दिया। 10 नवम्बर को हाईकोर्ट ने सौम्या की याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि सौम्या को उनका पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। 27 सितंबर को जारी बर्खास्तगी के आदेश को भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर ही सरकार ने सौम्या को सुनवाई का अवसर देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया।

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सौम्या की कुर्सी पर संकट बरकरार
हाईकोर्ट की शरण लेकर सौम्या गुर्जर भले ही महापौर की कुर्सी पर फिर से काबिज हो गई हो लेकिन उनकी कुर्सी पर खतरा अभी भी बरकरार है। चूंकि पुलिस जांच और न्यायिक जांच में सौम्या दोषी करार दी जा चुकी है। खुद को निर्देष साबित करने वाला साक्ष्य सौम्या के पास होता तो शायद वह पहले ही पुलिस या न्यायिक जांच अधिकारी को प्रस्तुत कर देती। पूर्व निगम आयुक्त के साथ हुए दुर्व्यवहार और मारपीट प्रकरण में बचने का रास्ता सौम्या के पास नहीं है। अब वे कानूनी पेचीदगियों के जरिए महापौर की कुर्सी पर बने रहने की कोशिश करेंगी। हो सकता है उन्हें कुछ दिन और कुर्सी पर बने रहने का अवसर मिल जाए लेकिन अंत में राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त निर्णय लेगी तो उन्हें मानना पड़ेगा।
(रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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