सेबी ने आईपीओ राशि के इस्तेमाल के नियम कड़े किये, म्यूचुअल फंड निवेशकों के हित में उठाये कदम

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सेबी ने आईपीओ राशि के इस्तेमाल के नियम कड़े किये, म्यूचुअल फंड निवेशकों के हित में उठाये कदम

मुंबई, 28 दिसंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को कंपनियों के लिये आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये जुटायी गयी राशि के उपयोग को लेकर नियमों को कड़ा करने का निर्णय किया। साथ ही केवल दबाव वाली संपत्ति में निवेश को लेकर विशेष परिस्थिति कोष पेश करने का फैसला किया।

इसके अलावा निपटान प्रक्रिया के लिये नियमों में संशोधान के साथ म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये भी कदम उठाने की घोषणा की।

सेबी निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) नियमन में संशोधन को मंजूरी दी गई। साथ ही वैसे व्यक्ति को प्रबंध निदेशक या पूर्णकालिक निदेशक या प्रबंधक समेत अन्य पदों पर नियुक्ति या दोबारा नियुक्ति के लिये प्रावधान पेश किया जिसे पूर्व में शेयरधारकों ने आम बैठक में खारिज कर दिया था।

संशोधित नियम के अमल में आने के साथ ऐसी नियुक्तियां या दोबारा नियुक्तियां शेयरधारकों की पूर्व मंजूरी के जरिये ही की जा सकती हैं।

बड़ी संख्या में आ रहे आईपीओ के बीच नियामक ने आईपीओ से जुटाई गई राशि के इस्तेमाल के नियमों को सख्त करने का फैसला किया है। इसमें आईपीओ से प्राप्त राशि का इस्तेमाल भविष्य में किसी अधिग्रहण ‘लक्ष्य’ के लिए करने की सीमा तय की गई है। इसके अलावा सामान्य कंपनी कामकाज के लिए आरक्षित कोष की भी निगरानी की जाएगी।

सेबी ने कहा कि आईपीओ के तहत शेयरधारकों द्वारा बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये शेयरों की बिक्री के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं। इसके अलावा एंकर निवेशकों के लिए ‘लॉक-इन’ की अवधि को भी बढ़ाकर 90 दिन किया जाएगा।

इसके साथ ही नियामक ने गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) के लिए आवंटन के तौर-तरीकों में भी संशोधन का फैसला किया है।

नियामक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब नई पीढ़ी की कई प्रौद्योगिकी कंपनियां आईपीओ लाने के लिए दस्तावेज जमा कर रही हैं।

सेबी के चेयरपर्सन अजय त्यागी ने कहा कि नियामक का इरादा किसी भी तरीके से आईपीओ में मूल्य नियंत्रण का नहीं है।

उन्होंने बोर्ड की बैठक के बाद संवाददाताओं कहा, ‘‘मूल्य खोज बाजार का काम है। वैश्विक स्तर पर यह इसी तरह से होता है।’’

अन्य उपायों में सेबी ने कहा कि दबाव वाली संपत्ति में निवेश करने को लेकर विशेष परिस्थिति कोष (एसएसएफ) पेश किया जाएगा। यह कोष केवल दबाव वाली संपत्ति में ही निवेश करेगा। इसमें कम-से-कम 100 करोड़ रुपये की पूंजी होगी।

निदेशक मंडल की बैठक के बाद सेबी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि एसएएफ केवल दबाव वाली संपत्तियों में निवेश करेगा। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के तहत अधिग्रहण के लिये फंसे कर्ज या दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत मंजूरी समाधान योजना शामिल है।

सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये भी कदम उठाया। इसके म्यूचुअल फंड के बहुसंख्यक न्यासी किसी योजना को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिये यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है।

म्यूचुअल फंड नियमन में संशोधन के तहत सेबी कोष के लिये वित्त वर्ष 2023-24 से भारतीय लेखा मानकों (इंडिया एएस) का अनुकरण करने को अनिवार्य बनाएगा।

एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में सेबी ने कहा है कि इकाइयों को कारण बताओ नोटिस या पूरक नोटिस मिलने की तारीख से निपटान आवेदन देने की अवधि 60 दिन होगी। इसका मकसद निपटान प्रक्रिया से संबंधित नियमों को युक्तिसंगत बनाना है।

नियामक ने कहा, ‘‘कारण बताओ नोटिस या पूरक नोटिस, जो भी बाद में हो, उसके मिलने की तारीख से निपटान आवेदन जमा करने की अवधि को युक्तिसंगत बनाकर 60 दिन किया गया है।’’

केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) पंजीकरण एजेंसियों (केआरए) की भूमिका को बढ़ाने के लिए, नियामक ने उनके ‘सिस्टम’ पर अपलोड किए गए केवाईसी रिकॉर्ड के पंजीकृत मध्यस्थ (आरआई) द्वारा स्वतंत्र सत्यापन को लेकर उनकी जिम्मेदारी तय करने का फैसला किया है।

बाजार नियामक ने कंपनियों के लिए शेयरों के तरजीही आवंटन के जरिये धन जुटाने को सुगम बनाने के मकसद से मूल्य नियमों और लॉक-इन अवधि में ढील देने का भी फैसला किया है।

आईपीओ के निर्गम ढांचे में बदलाव के बारे में सिरिल अमरचंद मंगलदास के भागीदार और कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख यश अशर ने कहा कि इन संशोधनों का दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।

उन्होंने कहा कि ये संशोधन मुख्य रूप से इस साल आये कई आईपीओ की प्रतिक्रिया स्वरूप है।

अशर के अनुसार ये बदलाव संबंधित कंपनियों की घरेलू शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने की योजना पर प्रभाव डाल सकते हैं।

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