सेकंड हैंड कार से शानदार ऑडी तक, टीवी ऐक्टर्स के ऐसे रहे पहली कार के एक्सपीरियंस

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सेकंड हैंड कार से शानदार ऑडी तक, टीवी ऐक्टर्स के ऐसे रहे पहली कार के एक्सपीरियंस

कार का शौक हर किसी को होता है। चाहे वह आम इंसान हो या कोई खास। क्योंकि हर किसी की ख्वाहिश होती है कि कोई एक बेहतर कार घर की पार्किंग एरिया में जरूर खड़ी हो। और व्यक्ति जब अपनी कमाई से पहली कोई चीज खरीदता है, तो उसका मजा तो सबसे अलग होता ही है। या फिर वह किसी अपने को गिफ्ट करे तो उसकी खुशी सबसे ज्यादा होती है। आज आपको कुछ ऐसे ही शख्सियत से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी लाइफ में कुछ ऐसा ही काम किया है। और उसका अनुभव शेयर किया है। जिसे सुनकर आपको भी एक प्रेरणा मिलेगी।

जब अदा खान ने अपनी मां के साथ की पहली ड्राइव


ऐक्ट्रेस बताती हैं, ‘मेरी पहली कार थी सेंट्रो, जो मैंने सालों पहले खरीदी थी। मुझे याद है अपनी पहली कार खरीद कर मैं बहुत ज्यादा खुश थी। मुझे उस कार से बहुत लगाव था। उस कार ने मेरा बहुत साथ दिया। मैं अपनी कार को में अपनी मॉम को लेकर एक लॉन्ग ड्राइव पर गई थी। हमने बहुत यादगार वक्त बिताया था, जो आज भी मेरी यादों में ताजा है।’

सोमी अली को 16 साल की उम्र में मिल गई थी पहली कार


ऐक्ट्रेस बताती हैं, ‘उस वक्त मैं टीनेज में थी। 16 साल की रही होऊंगी, जब मुझे मुझे मेरी पहली कार मिली थी। मेरी पहली कार लाल रंग की केमेरो थी। वह एक सेकंड हैंड कार थी, मगर मेरी अब तक की सबसे अच्छी कार थी। यह कार मेरी मां ने मेरे लिए खरीदी थी। मुझे इसे चलाने का ज्यादा मौका नहीं मिला, क्योंकि खरीदने के कुछ महीने बाद ही मैं मुंबई आ गई थी। मेरे पास कोई तस्वीर भी नहीं है उस कार की, जिसका मुझे हमेशा अफसोस रहेगा।’

जब हंसा सिंह ने रखा था कार का नाम “धन्नो’


ऐक्ट्रेस बताती हैं, ‘सच कहूं तो मेरी पहली कार का मामला, ‘चट मंगानी पट ब्याह’ जैसा था, बुकिंग के 15 दिनों के भीतर मुझे मेरी नई कार मिल गयी थी। अपनी कार देखकर मेरी आंखों में खुशी के आंसूं आ गए थे। यह सच है या नहीं यह जानने के लिए खुद को चिमटी काट रही थी। अपनी कार का नाम मैंने ‘धन्नो’ रखा है, क्योंकि यह मेरा दूसरा घर है। मेरे पास हमेशा से कार रही है। लेकिन मुंबई में पिछले 5 साल से मेरे पास कोई कार नहीं थी। जिंदगी ऑटो और उबर में कट रही थी। अब धन्नो मेरे साथ है।’

पहले ऑटो से ट्रैवल करते थे प्रणव मिश्रा


ऐक्टर बताते हैं, ‘मैंने अपनी पहली कार को कोई नाम नहीं दिया था, लेकिन अभी भी वह पल अच्छे से याद है। जब मैंने अपनी पहली कार खरीदी थी। 2013 की बात है। बारिश का मौसम था, मैं अपनी कार में बैठा था और बारिश की पहली बूंद मेरी कार के सामने के शीशे पर गिर गई और बड़ा सुहाना-सा लगा था, क्योंकि मुझे याद आया कि उस साल से पहले की बारिश के दौरान मुझे ऑटो रिक्शा से ट्रैवल करना पड़ता था और बारिश में दूसरे वाहनों की छींटाकशी से अक्सर मेरे कपड़े खराब हो जाया करते थे।’

अंगद हसीजा ने तोहफे में दी थी मां को मर्सडीज


ऐक्टर ने बताया, ‘भगवान की कृपा से मेरे पास हमेशा से एक कार रही है, लेकिन यह एक खास पल था। मुझे याद है जब मेरे जन्मदिन पर मेरी मां ने मुझे एक कार उपहार में दी थी। ऐसा हुआ कि जैसे ही मैं अपने पैकअप के बाद घर वापस आया। दरवाजे की घंटी बजती है। मैं दरवाजा खोलता हूं और मैं अपने भाई को देखता हूं मैं बहुत हैरान हो जाता हूं, क्योंकि मेरा भाई चंडीगढ़ में रहता था। वह मुझे बिल्डिंग के नीचे ले गया और मुझे वह कार दिखाई जो मेरी मां ने मुझे जन्मदिन के तोहफे के तौर पर भेजी थी, वह भी एक ‘मर्सिडीज’ वह कभी न भूलने वाला पल था, क्योंकि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे कोई कार गिफ्ट करेगा, वो भी ‘मर्सिडीज।’

चारूल मलिक ने का नाम रखा था अल्लुरिंग सिल्वर


ऐक्ट्रेस बताती हैं, ‘ मैंने अपने लिए एक कार खरीदी और मैंने उसका नाम अल्लुरिंग सिल्वर रखा। यह एक ऑटोमैटिक कार है। मुझे वास्तव में कारें बहुत पसंद हैं। यह एक ऑडी है। इसकी छत बहुत सुंदर है जब आप इसे खोलते हैं, तो आप बाहर का नजारा देख सकते हैं और लोग आपको देख सकते हैं, इसलिए यह वास्तव में कई बार मजेदार होता है। स्पीड बहुत अच्छी होती है, क्योंकि यह ऑटोमैटिक है। ड्राइव करने में मजा आता है, हालांकि मेरे पास एक ड्राइवर है, मैं खुद ज्यादा ड्राइव नहीं करती हूं, लेकिन हां कभी-कभी जब मैं जब आराम में होती हूं तो ड्राइविंग इंजॉय करती हूं।’

राहुल भाटिया ने ली थी किस्तों पर पहली कार


राहुल बताते हैं, ‘ हमारी पहली कार मारुति सुजुकी ऑल्टो थी, वह लाल रंग की थी। उस कार को खरीदना बहुत ही जज्बाती पल था। उस समय मेरे पास इतने पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने उसे लोन पर लिया। उसकी किस्त मुझे अभी भी याद है। वह लगभग 2200 रुपये प्रति माह थी। ऑल्टो सबसे सस्ती कार थी और यही वजह थी कि मैंने वो खरीदी थी। टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक मेरे लिए बहुत बड़ा अपग्रेड था। मेरे पिता स्कूटर चलाते थे और हम 4 लोग थे जिनमें मेरी बहन, मेरी मां और मेरे पिता शामिल थे। हम चारों स्कूटर से जाया करते थे और कार खरीदने के बाद हम सभी बहुत खुश थे। पहली बार जब हम कार में अपनी-अपनी सीटों पर बैठे थे, उस समय सभी की आंखें नम थीं।’

सिर्फ 7 दिनों की ट्रेनिंग में सानंद वर्मा ने ड्राइविंग की


ऐक्टर बताते हैं, ‘मेरी पहली कार मारुति 800 थी। यह 2001 की बात है। एक सेकेंड हैंड कार थी, लेकिन मैं बहुत खुश था। कहानी यह है कि जब मैंने अपनी पहली कार खरीदी, तो मुझे नहीं पता था कि कैसे ड्राइव करना है क्योंकि उस समय मैं एक मोटर ट्रेनिंग स्कूल में सिर्फ 7 दिनों की ट्रेनिंग ले पाया था। मैंने आत्मविश्वास के सहारे कार खरीद ली। कार विक्रेता ने मेरे घर पर कार लाकर छोड़ भी दी। मैं अगले दिन ट्रेनिंग स्कूल गया ताकि जो लड़का मुझे सीखा रहा था उसको अपने साथ ले जाकर अपनी कार उसके साथ एक बार चला लूं। मैं वहां पहुंचा, तो वो नहीं मिला। तब मैं खुद ही अंधेरी से मीरा रोड तक गया और खुद ड्राइव किया था मैंने।’

खुद से ड्राइव करना पसंद करती हैं अलीशा पंवार


ऐक्ट्रेस ने बताया, ‘मैं मानती हूं कि अपनी खुद की गाढ़ी कमाई से अपनी कार खरीदना एक बहुत अच्छा अहसास होता है। जब मुझे मेरी पहली कार मिली तो मैं ‘इश्क में मरजावां’ शो कर रही थी। यह सिल्वर सियाज थी। मुझे यह रंग बहुत पसंद था। कार खरीदने की खुशी में मैंने अपने परिवार के साथ केक काटा। एक छोटी-सी पूजा भी की। मैं ड्राइव करने के लिए बहुत उत्सुक थी, लेकिन उस समय मैं गाड़ी चलाना नहीं जानती थी इसलिए मेरे ड्राइवर या मेरे पिताजी कार चलाते थे। मैंने जल्द से जल्द ड्राइविंग सीखी और आखिरकार कुछ महीनों के बाद जब मुझे अपनी कार चलाने का मौका मिला। खुद ड्राइव करना एक बेहद अलग अनुभव साबित हुआ मेरे लिए।’





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