सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन तेल कीमतेों में सुधार

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सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन तेल कीमतेों में सुधार

सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन तेल कीमतेों में सुधार

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात का कोटा निर्धारित किये जाने के बाद बाकी आयात का काम लगभग रुक जाने की वजह से कम आपूर्ति की स्थिति पैदा होने के कारण दिल्ली तेल- तिलहन बाजार में शुक्रवार को कच्चे पामतेल (सीपीओ), पामोलीन के साथ-साथ सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला। जबकि विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज 2.25 प्रतिशत तेज था जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात तीन प्रतिशत तेज बंद हुआ था। फिलहाल शिकॉगो एक्सचेंज में आधा प्रतिशत की गिरावट है। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी का रुख होने के बावजूद इनके दाम घरेलू तेल-तिलहनों के मुकाबले बहुत कम हैं।

सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेल प्रसंस्करणकर्ताओं को प्रतिवर्ष (अगले दो साल तक के लिए) 20-20 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का शुल्कमुक्त आयात करने की छूट दिये जाने के बाद आयातकों को सात प्रतिशत के शुल्क के साथ बाकी आयात की छूट दी गई थी। लेकिन सस्ते आयातित तेल के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के महंगा और गैरप्रतिस्पर्धी होने के कारण आयातक नये सौदे करने से बच रहे हैं जिसके कारण खाद्य तेलों के कम आपूर्ति की स्थिति पैदा हुई है और लगभग सभी खाद्य तेल सस्ता होने के बजाय महंगे हो गये हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार को तत्काल इस फैसले पर विचार करते हुए कोई उचित फैसला करना होगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को इन आयातित तेलों पर फिर से 20-30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये और आयात की कोटा व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिये। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, किसानों की फसल बाजार में खपेगी और आयात बढ़ने की वजह से खाद्य तेल सस्ते होंगे जिससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों के दाम तेज होने के बाद भी देशी तेलों से कहीं सस्ते हैं। चार-पांच महीने पूर्व सूरजमुखी तेल का भाव लगभग 2,450 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 1,300 डॉलर रह गया है। इसी तरह चार पांच माह पूर्व पामोलीन तेल का भाव 2,150 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 850 डॉलर रह गया है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा आयात शुल्क लगाने से किसानों को भी फायदा होगा क्योंकि उनकी उपज बाजार में खपेंगी। जब आयातित सीपीओ तेल का भाव 78 रुपये किलो हो तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अपेक्षित वृद्धि के बाद सरसों तेल का भाव 125-130 रुपये लीटर होगा। ऐसी स्थिति में सरसों कौन खरीदेगा? इस साल जब आयातित तेल से सरसों 20-30 रुपये लीटर सस्ता था, लेकिन फिर भी पूरे के पूरे सरसों की खपत नहीं हो पाई ऐसे में इसके आयातित तेलों से लगभग 40 रुपये लीटर महंगा होने के बाद इसका खपना और दूभर हो जायेगा। सरकार को बड़ी कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी करने की व्यवस्था करनी चाहिये।

शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,660-6,690 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली -6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,075-2,205 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,145-2,260 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,760 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,850 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 4,500-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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