सिर्फ प्यार नहीं पैसा बचाने के लिए भी लिव-इन में रह रहे हैं युवा | why craze of live-in is increasing among the youth | Patrika News
उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज, विश्व हिंदू परिषद नेता साध्वी प्राची जैसे नेताओं ने इसे हिन्दू मुसलमान से जोड़ते हुए बयान दिए हैं। इस केस के बाद लिव-इन रिश्ते पर भी खूब बात हो रही है। श्रद्धा क्योंकि लिव-इन में रहती थी। ऐसे में लोग लिव-इन को एक खराब परिपाटी बताते हुए इस पर रोक की मांग भी कर रहे हैं।
लोगो के मन में ये सवाल भी है कि आखिर बीते कुछ सालों में लिव-इन का चलन इतना कैसे बढ़ गया है। बड़े शहरों से होते हुए ये क्यों लिव-इन छोटे शहरों तक पहुंच गया है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
बढ़ रही है लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में युवा लड़के लड़कियों के बीच लिव-इन रिश्ते की लोकप्रियता खूब बढ़ी है। बीपीओ और सॉफ्टवेयर कंपनियों में काम करने वाले युवाओं को यह खूब पंसद आ रहा है। दिल्ली में रहने वाली सुरभि (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि खुद इस रिश्ते में नहीं रह पाई हैं, लेकिन उनके ऑफिस में काम करने वाले कई लोग लिव-इन में रह रहे हैं।
सुरभि ने बताया कि लिव-इन में रहने वाली लड़कियां कई बार धोखे का शिकार होती हैं। कई बार लड़कों के साथ भी गलत हो जाता है। सुरभि कहती है कि उनकी ही जानकारी के एक लड़के की लिव-इन पार्टनर ने उनको धोखा देकर सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली।
सिर्फ प्यार की भूमिका ही नहीं बल्कि आर्थिक कारण भी जिम्मेदार IIMC DELHI में पढ़ चुके कई छात्रों का मानना है कि इस रिश्ते की बढ़ती लोकप्रियता में सिर्फ प्यार की भूमिका ही नहीं बल्कि आर्थिक कारणों की भी भूमिका है। IIMC दिल्ली के हर्ष (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि जब दो लड़के एक साथ रह सकते हैं और अपनी चीज़े शेयर कर सकते हैं तो लड़कियों के साथ रहने में क्या बुराई है।
दिल्ली के संदीप ये कहते हैं कि “लिव इन को प्यार या शादी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।” उनके मुताबिक यह रिश्ता आपसी सहमति के जरिये सेक्स और दूसरी जरूरतों को पूरा करता है। खासतौर से साथ में रहने से खर्च बंट जाता है, ये भी इस रिश्ते की लोकप्रियता की बड़ी वजह है।
लिव -इन रिलेशन लड़कियों के लिए कितना अच्छा उतराखंड ओपन यूनिवर्सिटी में वाइस चॉन्सलर फैक्लिटी मेंबर रह चुके प्रोफेसर सुभाष धुलिया बताते हैं कि लिव-इन रिलेशन सामाजिक और नैतिक रूप से गलत तो नहीं है। हालांकि कई बार यह रिश्ता महिलाओं का शोषण करने वाला साबित होता है। जैसा की श्रद्धा के साथ हुआ।
बैंगलोर में लिव-इन जोड़े सबसे ज्यादा देश में सबसे ज्यादा लिव-इन जोड़े बैंगलोर में रहते हैं। सॉफ्टवेयर हब के रूप में अपनी पहचान बना चुके इस शहर में देश के अलग-अलग जगहों से आकर नौकरी करने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या काफी ज्यादा है। घरों से दूर रह रहे इन युवाओं के बीच प्यार का पनपना और फिर साथ रहना नॉर्मल बात है। वैसे बैंगलोर ही वह शहर है जहां लिव इन रिलेशन के नाम पर धोखे के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं।
80 प्रतिशत से ज्यादा लोग लिव-इन रिलेशनशिप को सही बताते हैं आंकड़े बताते हैं कि देश के 80% से ज्यादा लोग लिव-इन रिलेशनशिप को स्वीकार कर रहे हैं लेकिन आधे प्रतिशत से भी कम लोग लिव- इन में रहते हैं।
हिंसा का सामना करने वाली ज्यादातर महिलाओं की उम्र 18-49 साल श्रद्धा की मौत की वजह अभी तक उनका लिव-इन में रहना माना जा रहा है। सवाल ये भी है कि आफताब अगर उससे शादी कर लेता तो क्या गारंटी दी जा सकती है कि श्रद्धा की हत्या नहीं होती? ऐसा भी नहीं है कि शादीशुदा महिलाएं पति के हाथों प्रताड़ित नहीं होतीं या फिर लिव-इन में रहने वाली खुश नहीं हैं।
National Family Health Survey यानी NFHS के अनुसार 3 में से एक भारतीय महिला को शादीशुदा जिंदगी में दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। लगभग 6 प्रतिशत ने यौन हिंसा का सामना किया है, इनकी उम्र 18-49 साल के बीच है।
एक्सपर्ट की राय डॉक्टर अंजली लखनऊ में मेंटल वेलनेस क्लीनिक की हेड हैं। वह बताती हैं कि अगर आपका पार्टनर जरूरत से ज्यादा मिठास भरी बातें करता है, आपकी हर एक बात को आसानी से मान रहा है, फेमिनिज्म को सपोर्ट कर रहा है तो यहां आप ‘रेड जोन’ में हैं।
लड़कियों को उठाना पड़ता है नुकसान डॉक्टर अंजली बताती हैं कि डेटिंग ऐप की वजह से भी कई बार लड़कियों फेक रिश्तों का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में लड़कियों को अपना पार्टनर चुनने के लिए कई सावधानियां बरतनी होगी। अपनी आजादी का मतलब यह नहीं होता है कि अपना नुकसान करें।
उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज, विश्व हिंदू परिषद नेता साध्वी प्राची जैसे नेताओं ने इसे हिन्दू मुसलमान से जोड़ते हुए बयान दिए हैं। इस केस के बाद लिव-इन रिश्ते पर भी खूब बात हो रही है। श्रद्धा क्योंकि लिव-इन में रहती थी। ऐसे में लोग लिव-इन को एक खराब परिपाटी बताते हुए इस पर रोक की मांग भी कर रहे हैं।
लोगो के मन में ये सवाल भी है कि आखिर बीते कुछ सालों में लिव-इन का चलन इतना कैसे बढ़ गया है। बड़े शहरों से होते हुए ये क्यों लिव-इन छोटे शहरों तक पहुंच गया है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
बढ़ रही है लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में युवा लड़के लड़कियों के बीच लिव-इन रिश्ते की लोकप्रियता खूब बढ़ी है। बीपीओ और सॉफ्टवेयर कंपनियों में काम करने वाले युवाओं को यह खूब पंसद आ रहा है। दिल्ली में रहने वाली सुरभि (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि खुद इस रिश्ते में नहीं रह पाई हैं, लेकिन उनके ऑफिस में काम करने वाले कई लोग लिव-इन में रह रहे हैं।
सुरभि ने बताया कि लिव-इन में रहने वाली लड़कियां कई बार धोखे का शिकार होती हैं। कई बार लड़कों के साथ भी गलत हो जाता है। सुरभि कहती है कि उनकी ही जानकारी के एक लड़के की लिव-इन पार्टनर ने उनको धोखा देकर सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली।
सिर्फ प्यार की भूमिका ही नहीं बल्कि आर्थिक कारण भी जिम्मेदार IIMC DELHI में पढ़ चुके कई छात्रों का मानना है कि इस रिश्ते की बढ़ती लोकप्रियता में सिर्फ प्यार की भूमिका ही नहीं बल्कि आर्थिक कारणों की भी भूमिका है। IIMC दिल्ली के हर्ष (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि जब दो लड़के एक साथ रह सकते हैं और अपनी चीज़े शेयर कर सकते हैं तो लड़कियों के साथ रहने में क्या बुराई है।
दिल्ली के संदीप ये कहते हैं कि “लिव इन को प्यार या शादी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।” उनके मुताबिक यह रिश्ता आपसी सहमति के जरिये सेक्स और दूसरी जरूरतों को पूरा करता है। खासतौर से साथ में रहने से खर्च बंट जाता है, ये भी इस रिश्ते की लोकप्रियता की बड़ी वजह है।
लिव -इन रिलेशन लड़कियों के लिए कितना अच्छा उतराखंड ओपन यूनिवर्सिटी में वाइस चॉन्सलर फैक्लिटी मेंबर रह चुके प्रोफेसर सुभाष धुलिया बताते हैं कि लिव-इन रिलेशन सामाजिक और नैतिक रूप से गलत तो नहीं है। हालांकि कई बार यह रिश्ता महिलाओं का शोषण करने वाला साबित होता है। जैसा की श्रद्धा के साथ हुआ।
80 प्रतिशत से ज्यादा लोग लिव-इन रिलेशनशिप को सही बताते हैं आंकड़े बताते हैं कि देश के 80% से ज्यादा लोग लिव-इन रिलेशनशिप को स्वीकार कर रहे हैं लेकिन आधे प्रतिशत से भी कम लोग लिव- इन में रहते हैं।
हिंसा का सामना करने वाली ज्यादातर महिलाओं की उम्र 18-49 साल श्रद्धा की मौत की वजह अभी तक उनका लिव-इन में रहना माना जा रहा है। सवाल ये भी है कि आफताब अगर उससे शादी कर लेता तो क्या गारंटी दी जा सकती है कि श्रद्धा की हत्या नहीं होती? ऐसा भी नहीं है कि शादीशुदा महिलाएं पति के हाथों प्रताड़ित नहीं होतीं या फिर लिव-इन में रहने वाली खुश नहीं हैं।
National Family Health Survey यानी NFHS के अनुसार 3 में से एक भारतीय महिला को शादीशुदा जिंदगी में दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। लगभग 6 प्रतिशत ने यौन हिंसा का सामना किया है, इनकी उम्र 18-49 साल के बीच है।
एक्सपर्ट की राय डॉक्टर अंजली लखनऊ में मेंटल वेलनेस क्लीनिक की हेड हैं। वह बताती हैं कि अगर आपका पार्टनर जरूरत से ज्यादा मिठास भरी बातें करता है, आपकी हर एक बात को आसानी से मान रहा है, फेमिनिज्म को सपोर्ट कर रहा है तो यहां आप ‘रेड जोन’ में हैं।
लड़कियों को उठाना पड़ता है नुकसान डॉक्टर अंजली बताती हैं कि डेटिंग ऐप की वजह से भी कई बार लड़कियों फेक रिश्तों का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में लड़कियों को अपना पार्टनर चुनने के लिए कई सावधानियां बरतनी होगी। अपनी आजादी का मतलब यह नहीं होता है कि अपना नुकसान करें।