सियासी पैतरा..टिकैत बंधुओं गढ़ में गठवाला खाप को साधने के लिए केपी मलिक को बनाया वजीर?

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सियासी पैतरा..टिकैत बंधुओं गढ़ में गठवाला खाप को साधने के लिए केपी मलिक को बनाया वजीर?

शादाब रिजवी,मेरठ:किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत (Naresh Tikait) और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की बालियान खाप और मलिक समाज की गठवाला खाप में आई दरार किसी से छिपी नहीं रही। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने भी अपने मंत्रिमंडल के जरिये इसी दरार के मद्देनजर कदम उठाने की रणनीति अपनाई है।

2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में जिस तरहजाट समाज का समर्थन भाजपा को मिला, वही समर्थन आगे 2024 और अन्य चुनाव में भी मिले, इस को ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल में गठवाला खाप से जुड़े केपी मलिक को मंत्री बनाया है। केपी मलिक शामली के रहने वाले है और बागपत में रहकर बड़ौत से विधायक बने हैं।

दरअसल किसान आंदोलन के दौरान नाराजगी के चलते जाटों का एक बड़ा वर्ग भाजपा से नाराजगी जता रहा था, हालांकि विधानसभा चुनाव में जितना नुकसान राजनीतिक जानकार और भाजपा थिंक टैंक जाट बेल्ट में मानकर चल रहा था उतना नहीं हुआ। इससे भाजपा नेसुकून महसूस किया लेकिन आगे भी साथ बना रहा इसके लिए जाट समाज की गठवाला खाप हो साधने की कोशिश की गई है।

पहले बागपत के विधायक योगेश धामा को जाट समाज से मंत्री बनाने की बात चली थी लेकिन बाद में बड़ौत से विधायक केपी मलिक को शामिल किया गया। केपी मलिक आरएलडी में रहकर एक बार एमएलसी बन चुके हैं। वह खुद और उनकी पत्नी नगर पालिका के चेयरमैन रहे हैं। अब दूसरी बार भाजपा से विधायक चुने गए।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी का मानना है की गठवाला खाप के मलिक को मंत्री बनाने के बाद बीजेपी से लगाओ बढ़ना तय है।जबकि भाकियू नेता नरेशटिकैत और राकेश टिकैत की बालियान खाप में पहले ही मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान को केंद्र मंत्री बनाकर सम्मान दिया हुआ है, उसके बल पर वह बालियान खाप के एक हिस्से का समर्थन पाकर कमल खिला चुकी हैं।

जिस समाज से मंत्री हटे, उसी समाज के दिया प्रतिनिधित्व
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में वेस्ट यूपी से जातिगत समीकरण साधते हुए जिस समाज के मंत्री हटे उसी समाज के नए चेहरे को मंत्रिमंडल मेंशामिल किया। सहारनपुर से मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे, चुनाव लड़े और हार गए, उनकी जगह सहारनपुर के जसवंत सैनी को मंत्री बनाया गया है। हालांकि जसवंत किसी भी सदन के सदस्य नहीं है लेकिन पुराने भाजपाई हैं।

शामली से ठाकुर चेहरे सुरेश राणा चुनाव हार गए, वह गन्ना मंत्री थे। उनकी जगह सहारनपुर के देवबंद से ठाकुर बृजेश सिंह को शामिल किया गया है। बिजनौर के रहने वाले परिवहन मंत्री रहे अशोक कटारिया एमएलसी हैं। गुर्जर नेता हैं। उनको मंत्री पद में जगह नहीं दी गई है। उनकी जगह मेरठ से गुर्जर विधायक डॉक्टर सोमेंद्र तोमरको मंत्री बनाया है।दिनेश खटीक मेरठ के हस्तिनापुर से विधायक हैंऔर गुलाबो देवी संभल से विधायक हैं। दोनों दलित हैं। दोनों मंत्री थे, उनको फिर मंत्री बनाकर दलितों को साधा है। मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल पहले भी मंत्री थे और वैश्य समाज को साधते हुए इस बार भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। गाजियाबाद के रहने वाले एमएलसी नरेश कश्यप को पिछड़ो को साधने के लिए मंत्री बनाया है।

ब्राह्मण समाज में जरूर थोड़ी कसक..
वेस्ट यूपी में ब्राह्मण समाज में जरूर थोड़ी कसक देखी जा रही है। अभी तक बुलंदशहर से अनिल शर्मा मंत्री थे लेकिन इस बार उन्हें मंत्रीनहीं बनाया गया है, उनकी जगह साहिबाबाद से यूपी में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले सुनील शर्मा, अनूपशहर से संजय शर्मा के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी कतार में थे, लेकिन मायूसी हाथ लगी। भाजपा पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष मोहित बेनीवाल का कहना है की जातीय समीकरण के तहत 14 जिलों में से तीन जाट, एक वैश्य, एक जाटव,दो पिछड़े, एक ठाकुर, एक गूजर और एक खटीक को मंत्री बनाया है।

योगी से पिछड़े अखिलेश और माया
भारतीय जनता पार्टी पश्चिम क्षेत्र के प्रवक्ता गजेंद्र शर्मा का कहना है कि वेस्ट यूपी के 14 जिलों में से 2007 में बसपा की सरकार में मायावती ने तीन मंत्री बनाए थे। 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में अखिलेश ने पांच मंत्री बनाए थे। लेकिन 2017 में योगी सरकार में 12 मंत्री बनाए थे और अब 2022 में योगी सरकार में फिर से 10 मंत्री बने हैं।

जीत में अव्वल, पद पाने में फिसड्डी…

वेस्ट यूपी में विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले भाजपा के विधायक मंत्री बनने से चूक गए है।यूपी में साहिबाबाद से विधायकसुनील शर्मा 2 लाख 14 हजार 835 वोट से जीते। गौतम बुध नगर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह 1 लाख 81 हजार 513 मतों से जीते और मेरठ की कैंट सीट से अमित अग्रवाल 1 लाख 18 हजार 072 वोटों से जीते है, लेकिन मंत्री नहीं बन सके।



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