‘सात जन्मों में भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे CM नीतीश’, RCP सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच JDU से दिया इस्तीफा

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‘सात जन्मों में भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे CM नीतीश’, RCP सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच JDU से दिया इस्तीफा

‘सात जन्मों में भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे CM नीतीश’, RCP सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच JDU से दिया इस्तीफा

नालंदा: साल 2011 से 22 तक पत्नी और पुत्री के नाम से खरीदे गए जमीन के आरोप प्रत्यारोप के बाद के बाद शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया। शनिवार की देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने यह फैसला लिया। हालांकि वे अभी किस पार्टी में जाएंगे, इसका निर्णय साथियों की राय के बाद लेने की बात कही है। आरोप के बाद से ही उनके चाहने वालो की भीड़ उनके गांव मुस्तफापुर में देखने को मिली। हालांकि उन्होंने दिन भर किसी भी मीडियाकर्मियों से बात करने से इनकार कर दिया। देर शाम उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जदयू से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि जदयू डूबती हुई नैया है, सात जन्म में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन सकेंगे।


प्रखंड अध्यक्ष के आरोपों पर RCP सिंह ने मांगा गया संपत्ति का ब्यौरा
कभी मुख्यमंत्री नीतीश के दाहिने हाथ व पार्टी के कर्ताधर्ता माने जाने वाले आरसीपी सिंह पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की कमान संभाल चुके हैं। एक वक्त ऐसा था कि इनके इशारे के बिना जदयू में एक पत्ता तक इधर से उधर नहीं होता था। मगर जब से वे केंद्र में मंत्री बने उसी वक्त से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘आंख में किरकिरी’ बन गए थे। नालंदा के एक प्रखंड अध्यक्ष की ओर से उनपर जब आरोप लगाया गया तो प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी संपत्ति का ब्यौरा मांग लिया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।

खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी और बेटियों के नाम
खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी (गिरजा सिंह) और दोनों पुत्रियों (लिपि सिंह, लता सिंह) के नाम पर हैं। एक आरोप यह भी है कि आरसीपी ने खासकर 2016 के अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है। 4 सितंबर 2014 और 15 सितंबर 2014 को सिलाव (नालंदा) के बिशेश्वर साव ने 2 प्लॉट खरीदे। इसके 3 दिन बाद यानी 18 सितंबर को ये दोनों प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दिए गए। ऐसे 2 और मामले हैं, जिसमें 6 दिन और 8 महीने में दूसरे से खरीदी गई जमीनों को खरीदने वाले ने गिरजा सिंह, लता सिंह और लिपि सिंह को जमीन बेच दी। कुल 35 पन्नों में जमीन की खरीद और इससे जुड़े दूसरे विवरण हैं। इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए। यह खरीद 2013 से 2016 के दौरान हुई। ये प्लॉट लिपि सिंह व लता सिंह के नाम पर खरीदे गए। 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी। बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह व लता सिंह के नाम बेच दी।

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अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉटजदयू के दस्तावेज के अनुसार, अस्थावां के शेरपुर मालती मौजा में 33 प्लॉट की खरीद हुई। इनमें 4 प्लॉट 2011 व 2013 में लता सिंह व लिपि सिंह के नाम पर खरीदे गए। पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है। बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए। महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया। 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 तथा 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए।

जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष ने आरसीपी सिंह से पूछे ये सवाल
जदयू सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी को पत्र भी लिखा है- ‘नालंदा जिला जदयू के दो साथियों का साक्ष्य के साथ परिवाद पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें उल्लेख है कि अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, आपके और आपके परिवार के नाम से वर्ष 2013 से 2022 तक अकूत संपत्ति निबंधित कराई गई है। आप लंबे समय तक दल के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के साथ अधिकारी एवं राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं। आपको, हमारे माननीय नेता ने दो बार राज्यसभा का सदस्य, पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव (संगठन), राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्र में मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर, पूर्ण विश्वास एवं भरोसा के साथ दिया।’

रिपोर्ट- प्रणय राज

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