सात अस्पताल तो एक जनसंख्या आधारित रजिस्ट्री के भरोसे ‘कैंसर’ की मॉनीटरिंग और रिकार्ड, 90 फीसदी से अधिक आबादी अधर में | cancer registry in mp | Patrika News
भोपालPublished: Jan 19, 2023 08:19:49 pm
-प्रदेश में भोपाल नगरीय निकाय क्षेत्र में इलाज के लिए आने वाले कैंसर मरीजों की पुख्ता जानकारी दर्ज हो रही रजिस्ट्री में
-मप्र में अस्पताल आधारित सात रजिस्ट्री भी रखती हैं कैंसर मरीजों का रिकॉर्ड
-मप्र में तंबाकू और अनियमिति दिनचर्या-खानपान बन रहा बीमारी की वजह
सात अस्पताल तो एक जनसंख्या आधारित रजिस्ट्री के भरोसे ‘कैंसर’ की मॉनीटरिंग और रिकार्ड, 90 फीसदी से अधिक आबादी अधर में
मनीष कुशवाह
भोपाल. असाध्य रोगों में शुमार कैंसर से पीडि़त मरीजों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी चिंता की वजह है, वहीं दूसरी ओर इस बीमारी से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी परेशानी बढ़ा रहा है। मप्र में वर्ष 2022 में इस बीमारी से मरने वालों की अनुमानित संख्या 45 हजार से अधिक हो गई है। वहीं मरीजों की संख्या 81901 तक पहुंच चुकी है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के ये आंकड़े वे हैं, जो प्रदेश की एकमात्र जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री भोपाल और प्रदेश के अलग-अलग शहरों में मौजूद सात अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री द्वारा इक_ा किए गए हैं। इसके जरिये प्रदेश की कुल आबादी का बमुश्किल दस फीसदी ही कवर किया जा रहा है, जबकि 90 फीसदी आबादी और क्षेत्रों के साथ ही यहां के कैंसर मरीजों की न तो मॉनीटरिंग और न ही रिकॉर्ड दर्ज हो रहा है नतीजतन प्रदेश में कैंसर मरीजों और इस बीमारी से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या ही सामने आ रही है। इधर, आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2021 में कैंसर मरीजों की संख्या 79871 थी, जो वर्ष 2022 में बढकऱ 81901 हो गई है। कैंसर के मरीजों और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा पूरे देश में बढ़ा है। वर्ष 2021 में देशभर में कैंसर मरीजों की अनुमानित संख्या 14 लाख 26 हजार 447 थी, वहीं इस साल इस बीमारी से 7 लाख 89 हजार 202 मरीजों ने जान गंवाई थी। वर्ष 2022 में कैंसर मरीजों की संख्या 14 लाख 61 हजार 427 तो इस साल इस बीमारी से 8 लाख 8 हजार 558 मरीजों ने जिंदगी गंवाई है।
ऐसे काम करती है रजिस्ट्री
देशभर में कैंसर के मरीजों की जानकारी इक_ा करने के साथ ही उन्हें दिए जा रहे उपचार की मॉनीटरिंग और डाटा इक_ा करने के लिए देशभर में 39 जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री काम कर रही हैं। मप्र में गांंधी मेडिकल कॉलेज में रजिस्ट्री काम कर रही है। यहां बता दें, इसका कार्यक्षेत्र भोपाल नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले कैंसर के मरीज हैं। इन मरीजों की संपूर्ण जानकारी सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा जांच केंद्रों से इक_ा की जाती है। यहां से मिले आंकड़ों को नेशनल कैंसर रजिस्ट्री में साझा किया जाता है। इसके आधार पर कैंसर की रोकथाम के लिए आगामी योजनाओं का निर्धारण होता है। इसके अलावा देशभर में हॉस्पिटल बेस्ड 25 कैंसर रजिस्ट्री हैं, जिनमें से सात मप्र में कार्यरत हैं। राजधानी में दो, ग्वालियर में दो, जबलपुर में एक और इंदौर में दो हॉस्पिटल बेस्ड रजिस्ट्री है। यहां से मरीजों की जानकारी इक_ा होती है। स्टेट कैंसर नोडल अधिकारी डॉ. अतुल श्रीवास्तव के मुताबिक जल्द ही प्रदेश के अन्य शासकीय अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में कैंसर रजिस्ट्री शुरू की जाएगी।
मप्र: तंबाकू और अनियमित दिनचर्या कैंसर की मुख्य वजह
कैंसर रजिस्ट्री के शोध में खुलासा हुआ है कि मप्र में कैंसर की मुख्य वजह तंबाकू का सेवन और अनियमित दिनचर्या और खान-पान है। राजधानी और इससे सटे जिलों के अलावा बुंदेलखंड में धू्रमपान और तंबाकू के सेवन से मुंह और लंग्स का कैंसर सबसे अधिक होता है। इसके अलावा मालवा क्षेत्र में अनियमित खान-पान के कारण पेट से संबंधित कैंसर के मामले बढ़े हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक 15 से 19 वर्ष के बच्चों में से 0.3 प्रतिशत लडक़े और लड़कियां हृदय रोग के अलावा कैंसर, मधुमेह और हाई वीपी के शिकार हो रहे हैं। तंबाकू के सेवन से कैंसर के 3.1 प्रतिशत तो शराब की लत से 1.3 मामले कैंसर के सामने आए हैं। अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के कारण 25.3 प्रतिशत मामले गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों के हैं। महिलाओं में कैंसर के मामलों की बात करें तो बे्रस्ट कैंसर के केस सबसे अधिक सामने आए हैं।