साइड रोल निभाने वाला ‘हीरो’ शफी ईनामदार, जिसकी एक्टिंग ने छोड़ी छाप, पर आखिर में रुला गए
शफी ईनामदार। एक बहुत ही मंझे हुए एक्टर। स्क्रीन पर इनकी मौजूदगी, इनकी आवाज और अभिनय का दमखम देखते ही बनता था। इनकी कॉमिक टाइमिंग और संजीदा अंदाज आज भी लोग भुला नहीं पाए हैं। इन्हें स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी, लेकिन देखते ही देखते ये दिलचस्पी जुनून में बदल गई थी। वो स्कूल में प्ले करते थे और फिर ये कारवां कॉलेज के दिनों में भी ऐसे ही चलता रहा। बहुत जल्द उन्होंने इसी फील्ड में अपना करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने थियेटर की दुनिया में खूब नाम कमाया और फिर कई शानदार फिल्मों में नजर आए। लेकिन उन्हें दूरदर्शन के सीरियल ‘ये जो है जिंदगी’ से घर-घर में पहचान बनाने का मौका मिला। उनकी लाइफ में सबकुछ सही चल रहा था। वो करियर में एकदम पीक पर थे, लेकिन एक अनहोनी हुई और सबकुछ खत्म हो गया। किसी ने भी नहीं सोचा था कि क्रिकेट मैच देखते हुए शफी इस दुनिया को अलविदा कह देंगे। उनकी मौत का गम आज भी लोगों को कचोटता है। आइये आज सेटरडे सुपरस्टार में जानिए इस बेहतरीन कलाकार के बारे में खास बातें।
शफी ईनामदार (Shafi Inamdar Biography) का जन्म 23 अक्टूबर 1945 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। उन्होंने Pangari Dapoli, रत्नागिरी और मुंबई से अपनी पढ़ाई की। उन्होंने 1958 में SSC का एग्जाम पास कर लिया था। इसके बाद 1963 में उन्होंने बीएससी किया। उन्हें स्कूल के दिनों से ही नाटकों में बहुत दिलचस्पी थी और वे स्कूल के प्ले में एक्टिंग किया करते थे। वो भाषण प्रतियोगिता और डिबेट में भी हिस्सा लेते थे। ये उनके कॉलेज के दिनों तक चलता रहा और फिर उन्होंने एक्टर बनने का फैसला किया।
करीब 30 नाटकों में की एक्टिंग, किया डायरेक्शन
Shafi Inamdar ने गुजराती थियेटर में मशहूर शख्सियत प्रवीण जोशी की देखरेख में बतौर एक्टर और डायरेक्टर अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1973 से लेकर 1978 तक हिंदी, गुजराती, मराठी और इंग्लिश में करीब 30 नाटकों का निर्देशन किया और एक्टिंग भी की। इसके बाद उन्होंने इंडियन नेशनल थियेटर और इंडियन पीपुल्स एसोसिएशन ज्वॉइन कर लिया। उन्होंने बलराज साहनी और इंडियन थियेटर के अन्य सदस्यों से मुलाकात और अपने हुनर को और निखारा।
शफी की लाइफ का टर्निंग प्वॉइंट
इस्मत चुगताई का नाटक ‘नीला कमरा’ शफी के करियर का टर्निंग प्वॉइंट रहा। उन्होंने हिंदी में अपने पहले कमर्शियल प्रोडक्शन का निर्माण किया। 70 के दशक में जब पृथ्वी थियेटर शुरू हुआ, तब शफी को कई हिंदी नाटकों का निर्माण करने का मौका मिला, जिसने उन्हें थियेटर की दुनिया में स्थापित होने में बहुत मदद की। साल 1982 में उन्होंने थिएटर ग्रुप ‘हम’ की स्थापना दी और कई नाटकों का डायरेक्शन किया। कई नाटक बनाए और एक्टिंग भी की।
घर-घर में हो गए थे फेमस
साल 1984 में वो ‘ये जो है जिंदगी’ में एक्टिंग करने के बाद वो घर-घर में फेमस हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कई टीवी सीरियल्स में काम किया था। जैसे- ‘आधा सच आधा झूठ’, ‘मिर्जा गालिब’ और ‘तेरी भी चुप मेरी भी चुप’। स्क्रीन पर उनकी पहली अपीयरेंस की बात करें तो वो शशि कपूर द्वारा प्रोड्यूस और गोविंद निहलानी के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘विजेता’ में नजर आए थे, लेकिन ‘अर्ध सत्य’ से उन्हें पहचान मिली थी। उन्होंने बीआर चोपड़ा की फिल्में ‘आज की आवाज’, ‘आवाम’ और ‘दहलीज’ जैसी फिल्मों में काम किया था।
कॉमन मैन का निभाते थे किरदार
शफी ने ज्यादातर फिल्मों में कॉमन मैन का किरदार निभाया था। उन्होंने कई टीवी शोज में काम किया। वो उस जमाने में सबसे फेमस सीरियल ‘ये जो है जिंदगी’ का हिस्सा रहे, जो 80 के दशक में दूरदर्शन पर टेलिकास्ट होता था और घर-घर में पॉप्युलर था। ये शो इतना फेमस हुआ था कि फिल्मों के बिजनस पर इसका असर पड़ने लगा था, क्योंकि ये फ्राइडे नाइट को ऑनएयर होता था। ये टीवी सीरियल इतना हिट हुआ कि ये 61 एपिसोड तक चला, जबकि आमतौर पर एक सीरियल ज्यादातर 25 हफ्ते तक ही चलते थे। टीवी पर उनका आखिरी परफॉर्मेंस सीरियल Teri Bhi Chup Meri Bhi Chup में था।
नाना पाटेकर-ऋषि कपूर को किया डायरेक्ट
शफी ने हिंदी फिल्म ‘यशवंत’ में एक वकील का किरदार निभाया था, जो उनकी मौत के बाद रिलीज हुआ था। वो रमेश सिप्पी की मूवी ‘सागर’ में नजर आए थे। शफी ने नाना पाटेकर, ऋषि कपूर और पूजा भट्ट स्टारर ‘हम दोनों’ का डायरेक्शन भी किया था। फिल्म हिट रही और उन्हें एक अच्छा डायरेक्टर माना जाता था।
शफी की मौत ने झकझोर दिया था
पर्सनल वाइफ की बात करें तो उन्होंने भक्ति बरवे से शादी की थी। शफी जब अपने करियर के पीक पर थे, तब कुछ ऐसा हुआ, जिसे सुनकर पूरे देश का दिल दहल गया था। 13 मार्च 1996 को शफी की मौत हो गई। ऐसा बताया जाता है कि वो इंडिया और श्रीलंका के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का मैच देख रहे थे और उसी समय उन्हें हार्ट अटैक आ गया था। उनकी उम्र 50 साल थी। उस समय वो कॉमेडी शो ‘तेरी भी चुप मेरी भी चुप’ में एक्टिंग कर रहे थे। ये शो उनकी मौत के बाद बंद हो गया था। शफी की मौत के बाद उनकी वाइफ भक्ति बरवे की भी दर्दनाक मौत हुई थी। 12 फरवरी 2001 को एक रोड एक्सीडेंट में उनकी जान चली गई थी।
शफी ईनामदार (Shafi Inamdar Biography) का जन्म 23 अक्टूबर 1945 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। उन्होंने Pangari Dapoli, रत्नागिरी और मुंबई से अपनी पढ़ाई की। उन्होंने 1958 में SSC का एग्जाम पास कर लिया था। इसके बाद 1963 में उन्होंने बीएससी किया। उन्हें स्कूल के दिनों से ही नाटकों में बहुत दिलचस्पी थी और वे स्कूल के प्ले में एक्टिंग किया करते थे। वो भाषण प्रतियोगिता और डिबेट में भी हिस्सा लेते थे। ये उनके कॉलेज के दिनों तक चलता रहा और फिर उन्होंने एक्टर बनने का फैसला किया।
करीब 30 नाटकों में की एक्टिंग, किया डायरेक्शन
Shafi Inamdar ने गुजराती थियेटर में मशहूर शख्सियत प्रवीण जोशी की देखरेख में बतौर एक्टर और डायरेक्टर अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1973 से लेकर 1978 तक हिंदी, गुजराती, मराठी और इंग्लिश में करीब 30 नाटकों का निर्देशन किया और एक्टिंग भी की। इसके बाद उन्होंने इंडियन नेशनल थियेटर और इंडियन पीपुल्स एसोसिएशन ज्वॉइन कर लिया। उन्होंने बलराज साहनी और इंडियन थियेटर के अन्य सदस्यों से मुलाकात और अपने हुनर को और निखारा।
शफी की लाइफ का टर्निंग प्वॉइंट
इस्मत चुगताई का नाटक ‘नीला कमरा’ शफी के करियर का टर्निंग प्वॉइंट रहा। उन्होंने हिंदी में अपने पहले कमर्शियल प्रोडक्शन का निर्माण किया। 70 के दशक में जब पृथ्वी थियेटर शुरू हुआ, तब शफी को कई हिंदी नाटकों का निर्माण करने का मौका मिला, जिसने उन्हें थियेटर की दुनिया में स्थापित होने में बहुत मदद की। साल 1982 में उन्होंने थिएटर ग्रुप ‘हम’ की स्थापना दी और कई नाटकों का डायरेक्शन किया। कई नाटक बनाए और एक्टिंग भी की।
घर-घर में हो गए थे फेमस
साल 1984 में वो ‘ये जो है जिंदगी’ में एक्टिंग करने के बाद वो घर-घर में फेमस हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कई टीवी सीरियल्स में काम किया था। जैसे- ‘आधा सच आधा झूठ’, ‘मिर्जा गालिब’ और ‘तेरी भी चुप मेरी भी चुप’। स्क्रीन पर उनकी पहली अपीयरेंस की बात करें तो वो शशि कपूर द्वारा प्रोड्यूस और गोविंद निहलानी के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘विजेता’ में नजर आए थे, लेकिन ‘अर्ध सत्य’ से उन्हें पहचान मिली थी। उन्होंने बीआर चोपड़ा की फिल्में ‘आज की आवाज’, ‘आवाम’ और ‘दहलीज’ जैसी फिल्मों में काम किया था।
कॉमन मैन का निभाते थे किरदार
शफी ने ज्यादातर फिल्मों में कॉमन मैन का किरदार निभाया था। उन्होंने कई टीवी शोज में काम किया। वो उस जमाने में सबसे फेमस सीरियल ‘ये जो है जिंदगी’ का हिस्सा रहे, जो 80 के दशक में दूरदर्शन पर टेलिकास्ट होता था और घर-घर में पॉप्युलर था। ये शो इतना फेमस हुआ था कि फिल्मों के बिजनस पर इसका असर पड़ने लगा था, क्योंकि ये फ्राइडे नाइट को ऑनएयर होता था। ये टीवी सीरियल इतना हिट हुआ कि ये 61 एपिसोड तक चला, जबकि आमतौर पर एक सीरियल ज्यादातर 25 हफ्ते तक ही चलते थे। टीवी पर उनका आखिरी परफॉर्मेंस सीरियल Teri Bhi Chup Meri Bhi Chup में था।
नाना पाटेकर-ऋषि कपूर को किया डायरेक्ट
शफी ने हिंदी फिल्म ‘यशवंत’ में एक वकील का किरदार निभाया था, जो उनकी मौत के बाद रिलीज हुआ था। वो रमेश सिप्पी की मूवी ‘सागर’ में नजर आए थे। शफी ने नाना पाटेकर, ऋषि कपूर और पूजा भट्ट स्टारर ‘हम दोनों’ का डायरेक्शन भी किया था। फिल्म हिट रही और उन्हें एक अच्छा डायरेक्टर माना जाता था।
शफी की मौत ने झकझोर दिया था
पर्सनल वाइफ की बात करें तो उन्होंने भक्ति बरवे से शादी की थी। शफी जब अपने करियर के पीक पर थे, तब कुछ ऐसा हुआ, जिसे सुनकर पूरे देश का दिल दहल गया था। 13 मार्च 1996 को शफी की मौत हो गई। ऐसा बताया जाता है कि वो इंडिया और श्रीलंका के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का मैच देख रहे थे और उसी समय उन्हें हार्ट अटैक आ गया था। उनकी उम्र 50 साल थी। उस समय वो कॉमेडी शो ‘तेरी भी चुप मेरी भी चुप’ में एक्टिंग कर रहे थे। ये शो उनकी मौत के बाद बंद हो गया था। शफी की मौत के बाद उनकी वाइफ भक्ति बरवे की भी दर्दनाक मौत हुई थी। 12 फरवरी 2001 को एक रोड एक्सीडेंट में उनकी जान चली गई थी।