सवालों में उलझी एमपी की सियासत, चुनाव से पहले एक-दूसरे से जवाब मांग रहे Shivraj Singh Chouhan और Kamalnath

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सवालों में उलझी एमपी की सियासत, चुनाव से पहले एक-दूसरे से जवाब मांग रहे Shivraj Singh Chouhan और Kamalnath

सवालों में उलझी एमपी की सियासत, चुनाव से पहले एक-दूसरे से जवाब मांग रहे Shivraj Singh Chouhan और Kamalnath


एमपी की राजनीति में इन दिनों सवालों का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ रोज एक-दूसरे पर सवालों की बौछार कर रहे हैं। साल के अंत में होने वाले चुनावों से पहले ये सवाल सियासी माहौल में गरमाहट तो ला रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा।

 

हाइलाइट्स

  • सीएम शिवराज ने कमलनाथ से फिर पूछे सवाल
  • फसल बीमा योजना को लेकर लगाया झूठ बोलने का आरोप
  • कमलनाथ का पलटवार- जनता आप पर हंस रही है
भोपाल: मध्य प्रदेश का सियासी पारा सवालों से गरमाने लगा है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भले ही आठ माह से ज्यादा का वक्त हो, मगर विदा होती सर्दी के साथ सियासी पारा भी उछाल मारने लगा है। राजनीतिक दलों में सवालों की सियासत शुरू हो गई है। दोनों ही दल एक-दूसरे से सवाल तो कर रहे हैं, मगर जवाब किसी के पास नहीं है।

सवालों से चुनाव की तैयारी

राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। दोनों ही राजनीतिक दल मुकाबले के लिए तैयार हैं। दोनों को ही अंदाजा है कि इस बार चुनाव किसी के लिए आसान नहीं है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने एक तरफ जहां जमीनी जमावट पुख्ता करने की दिशा में कदम बढाए हैं तो वहीं बेहतर उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी भी जोरों पर है। पिछले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई जरूर थी मगर 15 माह बाद ही दल बदल के चलते सत्ता हाथ से निकल गई। नगरीय निकाय के महापौर के चुनाव में जो नतीजे आए, उन्होंने दोनों ही राजनीतिक दलों के सामने सवाल तो खड़े किए हैं। मुकाबला बराबरी का दिख रहा है। अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनमें भी नतीजे एकतरफा नहीं आए हैं।

रोज एक-दूसरे से पूछ रहे सवाल

दोनों राजनीतिक दलों की तैयारी को इस बात से भी समझा जा सकता है कि प्रमुख नेताओं के दौरे लगातार बढ़ रहे हैं तो वहीं अब दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता सवाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ एक दूसरे पर सवालों की बौछार कर रहे हैं। यह सिलसिला बीते दो दिनों से चल रहा है और बुधवार को तीसरा दिन है। दोनों ही नेता एक दूसरे को किसान, महिला और जनविरोधी बताने की कोशिश में जुटे हैं।

शिवराज ने कमलनाथ को बताया झूठा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ से फिर सवाल किया है और पूछा, मैं हरि भजन की बात करता हूं, वह कपास ओटने लगते हैं। अब तक एक भी सवाल का जवाब उन्होंने जनता को नहीं दिया। मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूं क्योंकि वह झूठ बोलते हैं।

वादे पूरे नहीं करने का आरोप

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, पहले उन्होंने जो झूठे वादे किए वह पूरे हुए नहीं। अब कई वादे फिर करने लगे हैं, इसलिए सच्चाई जनता के सामने होनी चाहिए। कल मैंने झूठ का पुलिंदा सामने फहराया था। उसी में से आज मेरा फिर एक सवाल है। उन्होंने अपने वचन पत्र में कहा था कांग्रेस नवीन फसल बीमा योजना लाएगी। फसल बीमा की इकाई खेत रहेगा और फसल बीमा योजना में, जो किसान पृथक रहना चाहेंगे, उन्हें अनुमति रहेगी। बीमा कंपनियों द्वारा किसानों को बीमा पॉलिसी एवं प्रीमियम की राशि देना सुनिश्चित किया जाएगा। कृषकों का जीवन और स्वास्थ्य भी फसल बीमा से जोडेंगे।

फसल बीमा योजना पर घेरा

चौहान ने आरेाप लगाया कि नवीन फसल बीमा योजना लाना तो दूर, उन्होंने पुरानी का ही प्रीमियम नहीं भरा। इसके कारण किसानों को कांग्रेस की सरकार में फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला था। मुख्यमंत्री बनते ही मैंने सबसे पहला काम फसल बीमा योजना के प्रीमियम की राशि देना था, वह 2200 करोड़ रुपये मैंने जमा किया। उसके कारण किसानों को फसल बीमा योजना के 3000 करोड़ रुपये मिले थे। जिन्होंने पुरानी फसल बीमा योजना का ही प्रीमियम नहीं भरा, किसानों को धोखा दिया। पुरानी फसल बीमा का पैसा क्यों नहीं भरा और नई क्यों नहीं लाए, यह सवाल है मेरा। जवाब तो देना होगा।

शिवराज पर जिम्मेदारी से भागने का आरोप

वहीं कमलनाथ का कहना है, लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर गद्दी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान जब कागज की पर्चियां लेकर मुझसे सवाल करते हैं तो मध्य प्रदेश की जनता हंसती है कि देखो, 18 साल से कुर्सी पर बैठा मुख्यमंत्री जिम्मेदारी से भाग रहा है। कमलनाथ ने कहा, शिवराज आप मध्य प्रदेश की जनता के सवालों से भाग नहीं सकते। आपने दृष्टि पत्र में घोषणा की थी कि किसी भी अप्रत्याशित नुकसान पर किसानों को अविलंब मुआवजा देने के लिए व्यवस्था की जाएगी। क्या आपने किसानों को अविलंब मुआवजा दिया? 2020 में कीट व्याधि और बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे की तीसरी किस्त आज तक किसानों को क्यों नहीं मिली?

सियासी माहौल बनाए रखने की कोशिश

दोनों राजनीतिक दलों की ओर से पूछे जा रहे सवालों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ताधारी दल को जवाब देना होगा कि आखिर वर्तमान प्रदेश की स्थितियां क्या हैं, मगर वह सवाल पूछ रही है। दूसरी ओर विरोधी दल कांग्रेस को सरकार को घेरने की कोशिश करना चाहिए लेकिन वह सिर्फ सवाल पूछने पर आकर ठहर गई है। आज जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस जनता की लड़ाई लड़े, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। कुल जमा दोनों ही राजनैतिक दल सियासी माहौल बनाए रखना चाहते हैं। यही कारण है कि सियासत सवालों की हो रही है।

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