सर्दियों की छुट्टियों में घूमने की प्लानिंग, तो जरूर पढि़ए ये खबर और चुन लीजिए Tourist Spot | Winter vacation in mp, best tourist places of MP | Patrika News
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अपर लेक, भोपाल
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसे तो कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां घूमने जाना आपको रोमांच और जोश से भर देता है। भोपाल मुख्य रूप से झीलों के लिए जाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में शहर के हर हिस्से में कोई न कोई झील आपको जरूर मिल जाएगी। यही कारण है कि इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। भोपाल की सभी झीलों में से सबसे महत्वपूर्ण झील है अपर लेक। इसे बड़ा तालाब भी कहा जाता है।
राजा भोज ने करवाया था निर्माण
इस विशाल झील का निर्माण राजा भोज ने 10वीं शताब्दी में किया था। साल 2011 में राजा भोज की प्रतिमा स्थापित कर इसे भोजताल का नाम दिया गया। यह एशिया की सबसे बड़ी व प्राचीन मानव निर्मित झील है। झील के पूर्वी किनारे पर, बोट क्लब की स्थापना की गई है, जिसमें आप बोटिंग का मजा ले सकते हैं। इसके पास ही शहर का वन अभयारण्य वन विहार है, जहां आप जंगली जानवरों की अठखेलियां भी देख सकते है।
सांची, रायसेन
भोपाल शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सांची। एक प्रसिद्ध प्राचीन स्थल। समृद्धशाली अतीत का गवाह यह टूरिस्ट स्पॉट देश का प्रमुख बौद्ध स्थल भी है। यहां दूर-दूर से पर्यटक आते है। माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यह स्थल अस्तित्व में आया था। यहां सांची का स्तूप है। इस इमारत का निर्माण मौर्य वंश के महान शासक अशोक के शासनकाल में किया गया था और यह भारत में सबसे असाधारण बौद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है।
सजावटी और धनुषाकार प्रवेश द्वार
सांची का स्तूप मठों और तोरणों से घिरा हुआ है जो सभी यात्रियों को एक सुखद और शांतिमय आध्यात्मिक अनुभव कराता है। यहां छोटे-बड़े कई स्तूप बने हुए हैं। कुछ स्तूपों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि उनका निर्माण अधूरा रह गया हो। निश्चित ही एक दिन की छुट्टी बिताने के लिए यह बढिय़ा स्थान है।
धुआंधार जलप्रपात, जबलपुर
जबलपुर के पास भेड़ाघाट में लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ नर्मदा नदी का निर्मल जल छोटी-छोटी बूंदों के रूप में हवा में धुआं जैसा नजर आता है। इसलिए यह स्थान धुंआधार के नाम से ही मशहूर हो गया। यह जलप्रपात जबलपुर क्षेत्र में प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। संगमरमर की घाटी से बहता नर्मदा का पवित्र जल आपकी आंखों को तर कर देता है।
नौका विहार का आनंद
यहां आप संगमरमर की ऊंची चट्टानों के बीच नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। इस स्थान को मध्यप्रदेश पर्यटन ने बेहद खूबसूरती के साथ सुसज्जित किया है। यहां रोप वे की सुविधा भी उपलब्ध है। रोप वे से यहां के नजारों को देखना अपने आप में ही सुखद एहसास देता है।
ग्वालियर का किला
ऐतिहासिक शहरों की लिस्ट में शामिल ग्वालियर अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। ग्वालियर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र यहाँ का किला है। एक ऐसा अभेद्य किला जो देश में दूसरा सबसे बड़ा किला है। लगभग 300 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर बना यह किला शहर के किसी भी हिस्से से देखा जा सकता है। तोमर साम्राज्य से लेकर अंग्रेज और सिंधिया राजघराने का इस किले पर आधिपत्य रहा है। किले की वास्तुकला ऐसी छटा बिखेरती है कि टूरिस्ट आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते।
एक हजार साल से भी पुराना इतिहास
इस किले का इतिहास 1000 साल से भी अधिक पुराना है। सर्दियों के दिनों में यहां घूमना आपकी यात्रा को यादगार बना देगा। ग्वालियर में किले के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण स्थान है जैसे, सिंधिया महल, तानसेन का मकबरा, कटोरा ताल आदि। इन्हें देखना न भूलें।
ओरछा
बेतवा नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक स्थल है ओरछा। निवाड़ी जिले में इसकी स्थापना 1501 में महाराजा रुद्रा प्रताप सिंह द्वारा की गई थी। ओरछा का शाब्दिक अर्थ है छिपी हुई जगह। जैसा इसका नाम वैसा ही लगता भी है। क्योंकि आज भी ओरछा ऐसा ऐतिहासिक और खूबसूरत स्थान है, जिसके बारे में लाग कम ही जानते हैं।
प्राचीन मंदिर और महल है आकर्षण का केंद्र
यह प्राचीन शहर समय के साथ आज भी जमा हुआ है। यहां के कई स्मारक आज भी अपनी मूल भव्यता को बरकरार रखे हुए हैं। यहां आपको कई प्राचीन मंदिर और महल मिलेंगे जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। ओरछा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है रामराजा दरबार, यहाँ जाकर भगवान राम के दर्शन कर आशीर्वाद लेना ना भूले।
खजुराहो, छतरपुर
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो एक प्राचीन शहर जो, मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह भव्य मंदिर और जटिल वास्तु कला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। मध्यकालीन शताब्दी में चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित, ‘खजुराहो समूह के स्मारकों’ की यूनेस्को साइट अपनी नागर-शैली की वास्तु कला और नायकों और देवताओं की सुंदर मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इन मूर्तियों की भव्यता एक टूरिस्ट को बेहद पसंद आती है। खजुराहो एक लोकप्रिय स्थल है, यह लगभग 20 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।
शिल्प कौशल के लिए है प्रसिद्ध
चंदेल राजवंश द्वारा 950-1050 ईस्वी के बीच निर्मित यह मंदिर अपनी शिल्प कला के माध्यम से ध्यान, आध्यात्मिक शिक्षा, संबंध जैसे विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर अपने इसी शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें बेहतरीन मूर्तियों और असाधारण स्थापत्य कौशल के शानदार प्रदर्शन शामिल हैं। यही कारण है कि यह भारत में सबसे आश्चर्यजनक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। इन मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है। एक पूर्वी दूसरा, पश्चिमी और तीसरा दक्षिणी। सुंदर, विस्तृत और अभिव्यंजक, खजुराहो मंदिरों की मूर्तियां आपको विस्मयमें छोड़ देती हैं।
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग देश के बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रमुख माना जाता है। विभिन्न प्राचीन पुराणों में महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का विशद वर्णन किया गया है। कालिदास से प्रारंभ होकर अनेक संस्कृत कवियों ने भावपूर्ण दृष्टि से इस मंदिर की स्तुति की है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए कंेद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन के विशिष्ट पीठासीन देवता के रूप में माना जाता था।
एक बार दर्शन से नहीं होती अकाल मृत्यु
भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल में ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू (स्वयं से पैदा हुआ) माना जाता है, जो कि अन्य छवियों और लिंगों के मुकाबले शक्ति की धाराओं को प्राप्त करता है, जो कि अनुष्ठान रूप से स्थापित और मंत्र के साथ निवेशित होते हैं, शक्ति महाकालेश्वर की मूर्ति दक्षिणामूर्ति के रूप में जानी जाती है, जिसका मुख दक्षिण दिशा में है। कहा जाता है की महाकालेश्वर दर्शन मात्र से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
भीमबेटका, रायसेन
भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर भीमबेटका स्थल है। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच घूमने का मजा आपको रोमांच से भर देगा। यहां की गुफाओ में सदियों पुरानी मानव सभ्यता के प्रमाण मौजूद है। संभवत: यह स्थान दुनिया के किसी अन्य भूभाग में पाए जाने वाले मानव प्रमाणिकता से भी पुराने है। यहां की गुफाओ में बने शैलचित्र लगभग 30000 वर्ष से पुराने हैं। इन शैलचित्रों में यहां रहने वाले इंसानों की जीविका को दर्शाया गया है। भीमबेटिका में सदियों पुराने रॉक शेल्टर देखे जा सकते है जो कभी इस स्थान पर रहने वाले इंसानों के घर हुआ करते थे।
सैकड़ों रॉक शेल्टर हैं यहां
भीमबेटका में लगभग 243 रॉक शेल्टर हैं और उन्हें यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में स्थान दिया गया है। यहां के शैल आश्रयों में पाए जाने वाले चित्र ऑस्ट्रेलिया के काकाडू राष्ट्रीय उद्यान में खोजे गए चित्रों के समान हैं। इस स्थान को देखने के बाद लगता है की इतिहास का भी इतिहास होता है। हो गए न आप आप खुश
मांडू, धार
इंदौर शहर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडवगढ़ या मांडू एक ऐसा शहर है जो महलों और उनकी खूबसूरती के लिए टूरिस्ट के बीच चर्चा का केंद्र रहता है। यह ऐतिहासिक स्थान हरे-भरे जंगल के बीच एक बड़ी पहाड़ी पर बसा हुआ है। मांडू हिन्दू, इस्लामिक और अफगानी वास्तुकला की अनूठा मिसाल है। यहां कई मंदिर, मकबरे और महल बने हुए हैं।
जहाज महल और रूपमती मंडप है खास
यहां के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट्स में रानी रूपमती मंडप, जहाज महल, होशंग शाह का मकबरा, बाज बहादुर पैलेस जैसे विरासत स्थल है, जो टूरिस्ट को यहां खींच लाते हैं। इसे मध्य प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। मांडू की सैर का सबसे अच्छा समय मानसून का माना जाता है, लेकिन सर्दियो के दिनों में घूमने के लिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
अमरकंटक
विंध्याचल पर्वत शृंखला के अंतर्गत आने वाला स्थान अमरकंटक एक प्राकृतिक और धार्मिक स्थल है। अमरकंटक ही नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। नर्मदा नदी सबसे प्राचीन नदियों में से एक है इसका अस्तित्व लाखो सालों से है। इस नदी का वर्णन पौराणिक कथाओ में मिलता है। यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 1065 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस स्थान को तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ है तीर्थ स्थलों का राजा।
धार्मिक पर्यटन स्थल
संस्कृत में अमरकंटक का अर्थ है ‘शाश्वत स्रोत’, जो पवित्र नदी नर्मदा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो भारत की सबसे पवित्र और अनोखी नदियों में से एक है। इस टूरिस्ट स्पॉट पर हर साल धार्मिक और प्रकृति से नजदीकियां पसंद करने वाले टूरिस्ट पहुंचते हैं।
पचमढ़ी, होशंगाबाद
प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन पचमढ़ी। इसे ‘सतपुड़ा की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप नेचर के करीब जाना चाहते हैं, तो यह स्थल आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। प्रकृति, वन्य जीवन, धर्म और पौराणिक कथाओं का मिश्रण यह स्थल टूरिस्ट को बेहद भाता है। राजसी पहाडिय़ों, हरी-भरी वादियों, बहते झरनों, मंदिरों और घने वनस्पतियों और जीवों से भरपूर है। अंग्रेजो के जमाने से ही यहां टूरिस्ट का आना-जाना है। शहरी वातावरण से दूर ताजी हवा और शांत स्थान के रूप में यह टूरिस्ट स्पॉट आपके मन को भी जरूर भा जाएगा।
नाम से ही हो जाते हैं इम्प्रेस
पचमढ़ी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही टूरिस्ट इम्प्रेस हो जाते है। यह शब्द दो हिंदी शब्दों पंच और मढ़ी से बना है। इन दो शब्दों अर्थ है पंच यानि पांच और मढ़ी यानी गुफा। यह स्थान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह सतपुड़ा रेंज घाटी में 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक पठार है। यदि पचमढ़ी जाएं तो यहाँ का सनसेट जरूर देखे। यह इतना खूबसूरत होगा कि आप कभी भूल ही नहीं पाएंगे।
अपर लेक, भोपाल
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसे तो कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां घूमने जाना आपको रोमांच और जोश से भर देता है। भोपाल मुख्य रूप से झीलों के लिए जाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में शहर के हर हिस्से में कोई न कोई झील आपको जरूर मिल जाएगी। यही कारण है कि इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। भोपाल की सभी झीलों में से सबसे महत्वपूर्ण झील है अपर लेक। इसे बड़ा तालाब भी कहा जाता है।
राजा भोज ने करवाया था निर्माण
इस विशाल झील का निर्माण राजा भोज ने 10वीं शताब्दी में किया था। साल 2011 में राजा भोज की प्रतिमा स्थापित कर इसे भोजताल का नाम दिया गया। यह एशिया की सबसे बड़ी व प्राचीन मानव निर्मित झील है। झील के पूर्वी किनारे पर, बोट क्लब की स्थापना की गई है, जिसमें आप बोटिंग का मजा ले सकते हैं। इसके पास ही शहर का वन अभयारण्य वन विहार है, जहां आप जंगली जानवरों की अठखेलियां भी देख सकते है।
सांची, रायसेन
भोपाल शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सांची। एक प्रसिद्ध प्राचीन स्थल। समृद्धशाली अतीत का गवाह यह टूरिस्ट स्पॉट देश का प्रमुख बौद्ध स्थल भी है। यहां दूर-दूर से पर्यटक आते है। माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यह स्थल अस्तित्व में आया था। यहां सांची का स्तूप है। इस इमारत का निर्माण मौर्य वंश के महान शासक अशोक के शासनकाल में किया गया था और यह भारत में सबसे असाधारण बौद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है।
सजावटी और धनुषाकार प्रवेश द्वार
सांची का स्तूप मठों और तोरणों से घिरा हुआ है जो सभी यात्रियों को एक सुखद और शांतिमय आध्यात्मिक अनुभव कराता है। यहां छोटे-बड़े कई स्तूप बने हुए हैं। कुछ स्तूपों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि उनका निर्माण अधूरा रह गया हो। निश्चित ही एक दिन की छुट्टी बिताने के लिए यह बढिय़ा स्थान है।
धुआंधार जलप्रपात, जबलपुर
जबलपुर के पास भेड़ाघाट में लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ नर्मदा नदी का निर्मल जल छोटी-छोटी बूंदों के रूप में हवा में धुआं जैसा नजर आता है। इसलिए यह स्थान धुंआधार के नाम से ही मशहूर हो गया। यह जलप्रपात जबलपुर क्षेत्र में प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। संगमरमर की घाटी से बहता नर्मदा का पवित्र जल आपकी आंखों को तर कर देता है।
नौका विहार का आनंद
यहां आप संगमरमर की ऊंची चट्टानों के बीच नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। इस स्थान को मध्यप्रदेश पर्यटन ने बेहद खूबसूरती के साथ सुसज्जित किया है। यहां रोप वे की सुविधा भी उपलब्ध है। रोप वे से यहां के नजारों को देखना अपने आप में ही सुखद एहसास देता है।
ग्वालियर का किला
ऐतिहासिक शहरों की लिस्ट में शामिल ग्वालियर अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। ग्वालियर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र यहाँ का किला है। एक ऐसा अभेद्य किला जो देश में दूसरा सबसे बड़ा किला है। लगभग 300 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर बना यह किला शहर के किसी भी हिस्से से देखा जा सकता है। तोमर साम्राज्य से लेकर अंग्रेज और सिंधिया राजघराने का इस किले पर आधिपत्य रहा है। किले की वास्तुकला ऐसी छटा बिखेरती है कि टूरिस्ट आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते।
एक हजार साल से भी पुराना इतिहास
इस किले का इतिहास 1000 साल से भी अधिक पुराना है। सर्दियों के दिनों में यहां घूमना आपकी यात्रा को यादगार बना देगा। ग्वालियर में किले के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण स्थान है जैसे, सिंधिया महल, तानसेन का मकबरा, कटोरा ताल आदि। इन्हें देखना न भूलें।
ओरछा
बेतवा नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक स्थल है ओरछा। निवाड़ी जिले में इसकी स्थापना 1501 में महाराजा रुद्रा प्रताप सिंह द्वारा की गई थी। ओरछा का शाब्दिक अर्थ है छिपी हुई जगह। जैसा इसका नाम वैसा ही लगता भी है। क्योंकि आज भी ओरछा ऐसा ऐतिहासिक और खूबसूरत स्थान है, जिसके बारे में लाग कम ही जानते हैं।
प्राचीन मंदिर और महल है आकर्षण का केंद्र
यह प्राचीन शहर समय के साथ आज भी जमा हुआ है। यहां के कई स्मारक आज भी अपनी मूल भव्यता को बरकरार रखे हुए हैं। यहां आपको कई प्राचीन मंदिर और महल मिलेंगे जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। ओरछा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है रामराजा दरबार, यहाँ जाकर भगवान राम के दर्शन कर आशीर्वाद लेना ना भूले।
खजुराहो, छतरपुर
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो एक प्राचीन शहर जो, मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह भव्य मंदिर और जटिल वास्तु कला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। मध्यकालीन शताब्दी में चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित, ‘खजुराहो समूह के स्मारकों’ की यूनेस्को साइट अपनी नागर-शैली की वास्तु कला और नायकों और देवताओं की सुंदर मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इन मूर्तियों की भव्यता एक टूरिस्ट को बेहद पसंद आती है। खजुराहो एक लोकप्रिय स्थल है, यह लगभग 20 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।
शिल्प कौशल के लिए है प्रसिद्ध
चंदेल राजवंश द्वारा 950-1050 ईस्वी के बीच निर्मित यह मंदिर अपनी शिल्प कला के माध्यम से ध्यान, आध्यात्मिक शिक्षा, संबंध जैसे विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर अपने इसी शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें बेहतरीन मूर्तियों और असाधारण स्थापत्य कौशल के शानदार प्रदर्शन शामिल हैं। यही कारण है कि यह भारत में सबसे आश्चर्यजनक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। इन मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है। एक पूर्वी दूसरा, पश्चिमी और तीसरा दक्षिणी। सुंदर, विस्तृत और अभिव्यंजक, खजुराहो मंदिरों की मूर्तियां आपको विस्मयमें छोड़ देती हैं।
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग देश के बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रमुख माना जाता है। विभिन्न प्राचीन पुराणों में महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का विशद वर्णन किया गया है। कालिदास से प्रारंभ होकर अनेक संस्कृत कवियों ने भावपूर्ण दृष्टि से इस मंदिर की स्तुति की है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए कंेद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन के विशिष्ट पीठासीन देवता के रूप में माना जाता था।
एक बार दर्शन से नहीं होती अकाल मृत्यु
भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल में ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू (स्वयं से पैदा हुआ) माना जाता है, जो कि अन्य छवियों और लिंगों के मुकाबले शक्ति की धाराओं को प्राप्त करता है, जो कि अनुष्ठान रूप से स्थापित और मंत्र के साथ निवेशित होते हैं, शक्ति महाकालेश्वर की मूर्ति दक्षिणामूर्ति के रूप में जानी जाती है, जिसका मुख दक्षिण दिशा में है। कहा जाता है की महाकालेश्वर दर्शन मात्र से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
भीमबेटका, रायसेन
भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर भीमबेटका स्थल है। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच घूमने का मजा आपको रोमांच से भर देगा। यहां की गुफाओ में सदियों पुरानी मानव सभ्यता के प्रमाण मौजूद है। संभवत: यह स्थान दुनिया के किसी अन्य भूभाग में पाए जाने वाले मानव प्रमाणिकता से भी पुराने है। यहां की गुफाओ में बने शैलचित्र लगभग 30000 वर्ष से पुराने हैं। इन शैलचित्रों में यहां रहने वाले इंसानों की जीविका को दर्शाया गया है। भीमबेटिका में सदियों पुराने रॉक शेल्टर देखे जा सकते है जो कभी इस स्थान पर रहने वाले इंसानों के घर हुआ करते थे।
सैकड़ों रॉक शेल्टर हैं यहां
भीमबेटका में लगभग 243 रॉक शेल्टर हैं और उन्हें यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में स्थान दिया गया है। यहां के शैल आश्रयों में पाए जाने वाले चित्र ऑस्ट्रेलिया के काकाडू राष्ट्रीय उद्यान में खोजे गए चित्रों के समान हैं। इस स्थान को देखने के बाद लगता है की इतिहास का भी इतिहास होता है। हो गए न आप आप खुश
मांडू, धार
इंदौर शहर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडवगढ़ या मांडू एक ऐसा शहर है जो महलों और उनकी खूबसूरती के लिए टूरिस्ट के बीच चर्चा का केंद्र रहता है। यह ऐतिहासिक स्थान हरे-भरे जंगल के बीच एक बड़ी पहाड़ी पर बसा हुआ है। मांडू हिन्दू, इस्लामिक और अफगानी वास्तुकला की अनूठा मिसाल है। यहां कई मंदिर, मकबरे और महल बने हुए हैं।
जहाज महल और रूपमती मंडप है खास
यहां के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट्स में रानी रूपमती मंडप, जहाज महल, होशंग शाह का मकबरा, बाज बहादुर पैलेस जैसे विरासत स्थल है, जो टूरिस्ट को यहां खींच लाते हैं। इसे मध्य प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। मांडू की सैर का सबसे अच्छा समय मानसून का माना जाता है, लेकिन सर्दियो के दिनों में घूमने के लिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
अमरकंटक
विंध्याचल पर्वत शृंखला के अंतर्गत आने वाला स्थान अमरकंटक एक प्राकृतिक और धार्मिक स्थल है। अमरकंटक ही नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। नर्मदा नदी सबसे प्राचीन नदियों में से एक है इसका अस्तित्व लाखो सालों से है। इस नदी का वर्णन पौराणिक कथाओ में मिलता है। यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 1065 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस स्थान को तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ है तीर्थ स्थलों का राजा।
धार्मिक पर्यटन स्थल
संस्कृत में अमरकंटक का अर्थ है ‘शाश्वत स्रोत’, जो पवित्र नदी नर्मदा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो भारत की सबसे पवित्र और अनोखी नदियों में से एक है। इस टूरिस्ट स्पॉट पर हर साल धार्मिक और प्रकृति से नजदीकियां पसंद करने वाले टूरिस्ट पहुंचते हैं।
पचमढ़ी, होशंगाबाद
प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन पचमढ़ी। इसे ‘सतपुड़ा की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप नेचर के करीब जाना चाहते हैं, तो यह स्थल आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। प्रकृति, वन्य जीवन, धर्म और पौराणिक कथाओं का मिश्रण यह स्थल टूरिस्ट को बेहद भाता है। राजसी पहाडिय़ों, हरी-भरी वादियों, बहते झरनों, मंदिरों और घने वनस्पतियों और जीवों से भरपूर है। अंग्रेजो के जमाने से ही यहां टूरिस्ट का आना-जाना है। शहरी वातावरण से दूर ताजी हवा और शांत स्थान के रूप में यह टूरिस्ट स्पॉट आपके मन को भी जरूर भा जाएगा।
नाम से ही हो जाते हैं इम्प्रेस
पचमढ़ी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही टूरिस्ट इम्प्रेस हो जाते है। यह शब्द दो हिंदी शब्दों पंच और मढ़ी से बना है। इन दो शब्दों अर्थ है पंच यानि पांच और मढ़ी यानी गुफा। यह स्थान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह सतपुड़ा रेंज घाटी में 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक पठार है। यदि पचमढ़ी जाएं तो यहाँ का सनसेट जरूर देखे। यह इतना खूबसूरत होगा कि आप कभी भूल ही नहीं पाएंगे।