सरकार-जनता दोनों सुस्त, इसीलिए हर साल लग रही 15 करोड़ की चपत | 15 crore loss to the government every year due to e-stamp | Patrika News

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सरकार-जनता दोनों सुस्त, इसीलिए हर साल लग रही 15 करोड़ की चपत | 15 crore loss to the government every year due to e-stamp | Patrika News

सरकार-जनता दोनों सुस्त, इसीलिए हर साल लग रही 15 करोड़ की चपत | 15 crore loss to the government every year due to e-stamp | Patrika News

यों होती है मकानों की रजिस्ट्री
– आमजन मकानों की खरीद-बेचान पर पंजीयन व मुद्रांक विभाग में रजिस्ट्री करवानी होती है। इसके एवज में निश्चित शुल्क लिया जाता है। सरकार इसे तीन प्रकार से लेती है। 1. फिजिकल स्टांप 2. ई-स्टांप 3. ई-ग्रास।
– फिजिकल स्टांप : स्टांप वेंडर्स से लिया जा सकता है। वेंडर सरकार से सीधे इनकी खरीद करते हैं और लोगों को बेचान करते हैं। जितने शुल्क की रजिस्ट्री होती है, उतने पैसे के स्टांप व्यक्ति को खरीदने होते हैं।
– ई-स्टांप : स्टांप वेंडर्स के माध्यम से ऑनलाइन पैसा जमा करवाकर लिया जा सकता है। ई-स्टांप का क्रय वेंडर सरकार के बजाए स्टॉक होल्डिंग कम्पनी से करते हैं। पैसा जमा करवाकर वेंडर खास प्रकार के कागज पर स्टांप प्रिंट कर सकते हैं।
– ई-ग्रास : सरकार के ई-ग्रास पोर्टल पर आमजन सीधे पैसे जमा करवाकर स्वयं रजिस्ट्री करवा सकते हैं।

आंकड़ों से समझें रजिस्ट्री से होने वाली आय
– राज्य में हर साल रजिस्ट्री से सरकार को मिल रहा राजस्व : 6000 करोड़
– इसमें ई-स्टांप का हिस्सा : 2400 करोड़
– फिजिकल स्टांप की भागीदारी : 1800 करोड़
– ई-ग्रास की भागीदारी : 1800 करोड़

इसीलिए ई-स्टांप पर दिया जा रहा 15 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कमीशन
सरकार फिजिकल स्टांप पर स्टांप वेंडर को प्रति एक लाख पर एक प्रतिशत कमीशन देती है। वहीं ई-स्टांप पर वेंडर को दिए जाने वाले एक प्रतिशत कमीशन के अतिरिक्त स्टॉक होल्डिंग कम्पनी को 650 रुपए कमीशन के दिए जाते हैं। यानी की 2400 करोड़ के ई-स्टांप पर सालाना 15 करोड़ से अधिक का कमीशन स्टॉक होल्डिंग कंपनी को दिया जा रहा है।

ई-रजिस्ट्री की सुविधा मौजूद मगर प्रक्रिया बेहद कठिन
पंजीयन व मुद्रांक विभाग के अधिकारियों के अनुसार ई-रजिस्ट्री की सुविधा भी मौजूद है। कोई भी व्यक्ति ई-रजिस्ट्री पोर्टल पर डीएलसी दर देखकर रजिस्ट्री करवा सकता है लेकिन यह प्रक्रिया इतनी कठिन है कि लोग इससे बचते हैं। वहीं सरकार भी प्रक्रिया को सरल करने व लोगों में जागरुकता बढ़ाने पर कोई काम नहीं कर रहा है। उन्होंने भी पोर्टल व एप बनाकर इतिश्री कर ली है। अनभिज्ञता के कारण लोग स्टांप वेंडर, डीड राइटर को ही पकड़ रहे हैं। वहीं ई-ग्रास से भी स्टांप वेंडर या डीड राइटर अपने खाते से पैसा जमा करते हैं।

चंद आसान चरण से आप घर बैठे कर सकते हैं रजिस्ट्री
ई-रजिस्ट्री वेबसाइट ओपन कर प्रॉपर्टी वेल्यूएशन फॉर सिटीजन पर क्लिक करे। यहां जिले का चयन करने के बाद करने के बाद मोबाइल नंबर से सत्यापन होगा। इसके बाद ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की भूमि का वेल्यूवेशन किया जा सकता है। इसमें उपलब्O विकल्पों का चयन करते हुए खसरा नंबर तक चयन करना होगा। क्रेता व विक्रेता के पैन कार्ड नंबर, आधार नंबर सहित अन्य कई प्रकार की जानकारी देनी होगी। उसके बाद रजिस्ट्री की पूरी वेल्यूवेशन आ जाएगी। आगे भुगतान के विकल्प का चयन करना होगा। ई-ग्रास, डीडी, ई-स्टांप, स्टांप आदि। इसमें ई-ग्रास का विकल्प का चयन कर सकते हैं। इसके बाद ई-ग्रास पोर्टल ओपन कर उस जीआरएन नंबर को डाल भुगतान करना होगा। भुगतान पर जीआरएन नंबर जनेरेट होगा। जिसे ई-रजिस्ट्री पर डालना होगा। बाद में सभी कागजों के प्रिंट लेकर संबंधित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में जाना होगा। वहां फिजिकल सत्यापन के लिए क्रेता, विक्रेता व गवाहों का अंगूठा लगवाया जाएगा और फोटो क्लिक होगी। इसके साथ ही ई रजिस्ट्री पोर्टल पर भूखंड नामंतरण प्रक्रिया का 14 मिनट का वीडियो मौजूद है। जिसे देखकर भी इसे समझा जा सकता है।

15 करोड़ से हो सकते हैं जनता के ये काम
– 50 बसें हर साल आ सकती हैं, जिससे सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ेगी।
– सरकारी स्कूल-कॉलेज में बालिकाओं की संपूर्ण शिक्षा नि:शुल्क हो सकती है।
– सड़के बन सकती हैं, पेयजल लाइन डाली जा सकती हैं।
– स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ सकती हैं।

1. ई-स्टांप से अतिरिक्त कमीशन दिया जा रहा है, ऐसा क्यों?
– ई-स्टांप एक खास प्रकार के कागज पर प्रिंट होता है। इसके लिए अतिरिक्त सुरक्षा की जरुरत होती है। वह सुरक्षा फीचर संबंधित कम्पनी दे रही है।
2. ई-ग्रास का विकल्प मौजूद है तो उससे लोग पैसा जमा क्यों नहीं करवा रहे हैं?
– ई-ग्रास से भी पैसा जमा हो रहा है। लोगों को जानकारी कम है। लोग चाहे तो ई-रजिस्ट्री से रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया भी स्वयं कर सकते हैं।
3. लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
– जागरुकता के लिए हम विज्ञापन देते हैं लेकिन रजिस्ट्री का काम लोगों को रोज-रोज नहीं पड़ता। इसीलिए जागरुकता कम है।
– शरद मेहरा, महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग



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