सरकार और रेजिडेंट डॉक्टर्स अब आमने सामने,मरीज हुए परेशान | Government and resident doctors are now face to face, patients upset | Patrika News

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सरकार और रेजिडेंट डॉक्टर्स अब आमने सामने,मरीज हुए परेशान | Government and resident doctors are now face to face, patients upset | Patrika News

सरकार और रेजिडेंट डॉक्टर्स अब आमने सामने,मरीज हुए परेशान | Government and resident doctors are now face to face, patients upset | Patrika News

जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े सरकारी अस्पतालों सहित उदयपुर व अजमेर के रेजिटेंड डॉक्टर्स हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं हैं। निदेशालय चिकित्सा शिक्षा आयुक्त डॉ.घनश्याम ने आदेश जारी किए है कि केवल 12 अक्टूबर तक रेजिडेंट्स के अवकाश का समायोजन किया जाएगा।

इसके बाद से कार्य बहिष्कार करने वाले रेजिडेंट्स् डॉक्टर्स अगर अस्पतालों में अपने कार्यस्थल पर उपस्थिति नहीं देते है तो उन्हें अवकाश देय नहीं होगा। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और नियंत्रक को सरकार ने पत्र लिखकर अब काम पर नहीं लौटने वाले रेजिडेंट्स डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा हैं।

सरकार ने डॉक्टर्स की मांगे मानी
रेजिडेंट डॉक्टर्स और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों में हुई वार्ता के बाद सरकार का दावा हैं कि उन्होंने रेजिडेंट्स की बात को मान ली है। बॉन्ड नीति का विरोध कर रहे रेजिडेंट्स के साथ हुई बातचीत में तय किया गया है कि सर्विस बॉन्ड प्रवेश बैच 2021 22 के लिए एक बार शिथिलता प्रदान करते हुए बॉन्ड राशि को 25 लाख से घटाकर 10 लाख रुपए करने और सेवा अवधि 5 साल से घटाकर 2 साल करने पर सहमति हुई हैं।
वहीं पीजी सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के बाद बॉन्ड की शर्तों के अनुसार राज्य सरकार की संविदा सेवाओं के संबंध में उच्च न्यायलय में लंबित याचिकाओं के बाद विचार किए जाने पर सहमति हुई है। उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद 7 से 10 कार्य दिवस में प्रवेश बैच 2020-21 एवं 22 के लिए रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्षों से चर्चा और सहमति के बाद ही एसआरशिप के चयन की प्रणाली निर्धारित की जाएगी। जिसमें सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स को एसआरशिप के समान अवसर मिले यह तय किया जाएगा। वहीं कोविड-19 में कॉन्फ्रेंस नहीं होने के कारण बैच 2020 के लिए पेपर/ पोस्टर एवं थिसिस में शिथिलता हेतु संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्य स्तर पर प्रस्ताव एनएमसी और आरयूएचएस को भिजवाया जाएगा।

सरकार के भरोसे के बाद भी क्यों जारी है डॉक्टरों की हड़ताल ?
रेजिडेंट डॉक्टर्स की बॉन्ड नीति सहित विभिन्न मांगो को लेकर आंदोलन का आज 10वां दिन हैं। जिसमें लगातार दूसरे दिन इमरजेंसी व ओपीडी सेवाओं सहित पूर्णतया कार्य बहिष्कार व छह दिन तक रूटीन कार्यों का बहिष्कार शामिल हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि रेजिडेंट की मांग के अनुसार सरकार ने बांड नीति में छूट दी है।

अब जार्ड (JARD) की मांग है कि सरकार रेजिडेंट के 2021 में हुए समझौते को पूरा करें। जिसको लेकर जार्ड अध्यक्ष डॉ. नीरज डामोर का कहना है कि सरकार 5 हजार डॉक्टर्स की भर्ती की घोषणा करें।

सुपर स्पेशलिटी में लैटरल एंट्री नहीं होनी चाहिए, आरपीएससी द्वारा भर्ती सहित लंबित मांगों को पूरा करें। वहीं सरकार जार्ड के खिलाफ साजिश रचना बंद करें। जिसमें उन्होंने जार्ड के दो धड़े बना दिए हैं और कार्रवाई के नाम पर रेजिडेंट्स का धमकाना व डराना बंद करेंं

अब आगे क्या
अस्पतालों में मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसके लिए सेवारत रेजिडेंट काम पर लौट सकते हैं!साथ ही चिकित्सा विभाग द्वारा भी ओर अधिक अतिरिक्त डॉक्टर्स को लगाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा हैं।

अभी रूटीन ओपीडी के साथ इमरजेंसी ,ट्रॉमा सेंटर, लेबर रूम एवं आइसीयू सेवाएं भी रेजिडेंट्स ने बंद कर रखी हैं। इस कारण अस्पातालों में मरीजों को परेशानी होेना तय हैं।

अभी सीनियर डॉक्टर्स,फैकल्टी मेंबर्स,प्रशासनिक कामकाज देख रहे डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ के भरोसे व्यवस्थाएं बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।



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