समीरा रेड्डी बोलीं- अब ऐक्ट्रेस को ट्रीट करने के तरीका बदला, उन्हें पहले से ज्यादा इज्जत मिलने लगी

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समीरा रेड्डी बोलीं- अब ऐक्ट्रेस को ट्रीट करने के तरीका बदला, उन्हें पहले से ज्यादा इज्जत मिलने लगी

समीरा रेड्डी बोलीं- अब ऐक्ट्रेस को ट्रीट करने के तरीका बदला, उन्हें पहले से ज्यादा इज्जत मिलने लगी

समीरा रेड्डी ने अपने करियर में लगभग हर फिल्म इंडस्ट्री में काम किया है। हालांकि, एक मां की ममता के आगे उन्होंने कुछ समय के लिए अपने इस पैशन को भी दरकिनार कर दिया था, लेकिन अब एक बार फिर वह वापसी के लिए तैयार हैं। करीब एक दशक पहले नॉर्थ और साउथ इंडस्ट्री में फर्क महसूस करने वाली अदाकारा का मानना है कि साउथ इंडस्ट्री में कलाकारों को बराबरी का दर्जा दिया जाता है। बीते दिनों एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने लखनऊ आईं समीरा ने हमसे खास मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने करियर, परिवार, सोशल मीडिया, लखनऊ सहित कई अन्य चीजों के बारे में यश दीक्षित से खुलकर बातें कीं।

Sameera Reddy ने कहा अगले साल से करूंगी वापसी
मेरे दो बच्चे हैं। एक सात साल का बेटा है और दूसरी तीन साल की बेटी। मैं अब भी दुविधा में हूं कि मुझे काम करना चाहिए या नहीं। अपने बच्चों को एक दिन के लिए भी अकेला छोड़ना मुझे बहुत अजीब लगता है। हालांकि, ऑफर्स बहुत आ रहे हैं, जिसमें कई ओटीटी के प्रोजेक्ट्स भी हैं। फिलहाल, मैंने तय किया है कि अगले साल से वापसी करूंगी।


अब ऐक्ट्रेस को पहले से ज्यादा इज्जत मिलती है
अब कहानी कहने का तरीका बदल चुका है। कलाकारों के पास तमाम मौके हैं, जो पहले नहीं हुआ करते थे। अब ऐक्ट्रेस को ट्रीट करने के तरीके में भी बदलाव आया है। अब उन्हें पहले से ज्यादा इज्जत मिलने लगी है। मुंबई में पहले जो मेल ऐक्टर्स को फीस मिलती थी, वो मुझे नहीं मिलती थी। मैंने साउथ इंडस्ट्री में भी काम किया है। वहां काफी हद तक बराबरी का दर्जा मिलता था। 10 साल पहले ही मुझे नॉर्थ और साउथ इंडस्ट्री में बहुत बड़ा फर्क दिख गया था।

महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम करना है
सोशल मीडिया एक ऐसा प्लैटफॉर्म है, जिसने मुझे असली समीरा रेड्डी को दिखाने का मौका दिया। आज के समय में मेरे लिए महिला सशक्तीकरण बहुत बड़ी बात है। मैं आज भी सोशल मीडिया पर महिलाओं के लिए इंस्पिरेशनल और मोटिवेशनल पोस्ट शेयर करती हूं। इसी तरह के किरदार अब मैं पर्दे पर भी निभाना चाहती हूं, जिससे महिलाओं को बढ़ावा मिल सके।

दर्शकों को बदलनी पड़ेगी मानसिकता
मैं कहूं तो दुर्भाग्यवश सोशल मीडिया पर वो रील्स ज्यादा पसंद की जाती हैं, जिसमें महिलाओं को कमजोर और पुरुषों को ताकतवर दिखाया जाता है। ये रील्स इसलिए ज्यादा वायरल होती हैं क्योंकि लोगों ने ऐसी छवि बना रखी है। यही हाल फिल्म इंडस्ट्री का भी है। दर्शक जैसी कहानी चाहेंगे, मेकर्स वैसा ही कॉन्टेंट तैयार करेंगे। अच्छी बात है कि अब लोग कह रहे हैं कि फिल्म मेकर्स को परिवर्तन लाना चाहिए लेकिन मेरा मानना है यह तभी संभव होगा, जब हम खुद भी अपनी मानसिकता बदलेंगे।

अभिनेत्रियों से अपनी तुलना ना करें
मैंने देखा है कि इंडस्ट्री की वजह से बहुत सी यंग लड़कियों को एंजाइटी, फिलिमिया, लो सेल्फ स्टीम डिप्रेशन हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अनरियलिस्टिक स्टैंडर्ड फॉलो कर रहे हैं। कुछ लोग बच्चे होने के एक महीने बाद ही जीरो साइज बनने की कोशिश में लग जाते हैं। ऐक्टर्स के पीछे इतने सारे जो लोग काम कर रहे हैं, मेकअप आर्टिस्ट, ड्रेस डिजाइनर ये सिर्फ परफेक्ट इमेज दिखाते हैं। इस वजह से लड़कियों को लगता है कि ऐसा ही होना चाहिए। मैं ये नहीं कह रही कि ग्लैमर अच्छी बात नहीं है लेकिन उम्र और शरीर का पड़ाव एक नेचुरल प्रोसेस है। बच्चे होने के बाद वजन बढ़ता ही रहता है। बालों में तो हम सब डाई लगाते ही हैं। आप जैसी हैं खुद को उस रूप में स्वीकार करें।

बॉलिवुड में स्क्रिप्ट पर कम ध्यान देते हैं
मुझे हिंदी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, बंगाली अलग-अलग इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिला। मेरे हिसाब से बॉलिवुड में पैकजिंग पर ज्यादा ध्यान देते हैं और स्क्रिप्ट पर कम। यहां ऐक्टर्स की फीस और प्रमोशन पर ज्यादा फोकस किया जाता है, जबकि साउथ इंडस्ट्री में स्क्रिप्ट मेन पार्ट रहता है। इस बार दीपावली धूमधाम से मनाई जाएगी। मैं गोवा में अपने पूरे परिवार के साथ रहती हूं। कोविड के बाद इस साल स्थिति सामान्य हो रही हैं तो इस बार ज्यादा मजा आने वाला है।