सपा विधायकों को विधानसभा में घुसने से कौन रोक रहा है? अखिलेश यादव की पार्टी की पीड़ा तो सुनिए

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सपा विधायकों को विधानसभा में घुसने से कौन रोक रहा है? अखिलेश यादव की पार्टी की पीड़ा तो सुनिए

सपा विधायकों को विधानसभा में घुसने से कौन रोक रहा है? अखिलेश यादव की पार्टी की पीड़ा तो सुनिए

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायकों ने स्पीकर सतीश महाना के सामने मुद्दा उठाते हुए गंभीर आरोप लगाया। सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय और लालजी वर्मा ने विधायकों को सदन में घुसने से रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में घुसने से पहले ही पुलिस अधिकारियों ने रोक लिया और परिचय पत्र दिखाने के बावजूद भी अंदर नहीं जाने दिया।

सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय ने कहा, ‘महोदय, हम सभी लोग कल पैदल मार्च के बाद पार्टी ऑफिस में चले गए। उसके बाद हम सभी लोग सत्र में भाग लेने आ रहे थे। ठीक उसी समय सड़क पर भारी पुलिस बल लगाकर हमें रोका गया। वहां पर लगभग 400 कॉन्स्टेबल के साथ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। बैरिकेडिंग लगाकर रास्ते को रोक रखा था। हमारे सभी विधायक सत्र में भाग लेने आ रहे थे। वहां अधिकारियों ने हमें रोका।’

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उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘हम लोगों ने विधानसभा से प्राप्त परिचय पत्र दिखाया और सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए जा रहे थे। लेकिन विधानसभा सत्र में भाग लेने जा रहे विधायकों को जबरन रोका गया। अधिकारियों ने कहा कि आपके पास परिचय पत्र होगा, आप विधायक होंगे। मैं यह सब नहीं जानता। लेकिन हम आपको विधानसभा में नहीं जाने देंगे। बलपूर्वक की गई यह कार्रवाई यह लोकतंत्र की हत्या है। सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन भी किया गया है। विधायकों को जबरन रोके जाने के मामले में विशेषाधिकार के हनन और अवमानना के अंतर्गत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई और निर्देश देने की कृपा करें।’

इसके बाद विधायक लालजी वर्मा ने कहा, ‘पुलिस अधिकारी पीयूष मोर्डिया के नेतृत्व में पुलिस बल मौके पर मौजूद था। अपनी बात कहने से रोका गया। यह विशेषाधिकार का हनन है। यह तो हमारा अधिकार है कि पैदल चलें, साइकल से चलें, गाड़ी से आएं। 1980 तक के समय में तो लगभग सारे विधायक पैदल ही आते थे। 1985 तक 90 प्रतिशत विधायक पैदल आते थे। महोदय, परिचय पत्र होने के बावजूद भी सदन में नहीं आने देना तो अवमानना का विषय है।’

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लालजी वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी मोर्डिया के नेतृत्व में जो पुलिस बल था, उन्हें सदन को अदालत के तौर पर परिवर्तित करके साक्ष्य के तौर पर पेश करने का निर्देश दें। जिससे फिर कोई किसी विधायक को रोकने की कोशिश ना कर सकें। 110-115 विधायकों को रोक लेना औचित्य का विषय है।

भाजपा के सीनियर नेता और शाहजहांपुर विधायक सुरेश खन्ना ने इस आरोप पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, ‘सबसे पहले तो विधायकों को सच बोलना चाहिए। किसी भी माननीय सदस्य को विधानसभा में आने से रोका नहीं गया। स्कूल, अस्पताल, हाई सिक्यॉरिटी जोन में बिना अनुमति के जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है। सदन में विपक्षी दल के 3 लोग आए थे, वे कैसे आए थे। जुलूस की शक्ल में लोग आए थे, उनके साथ भीड़ में असामाजिक लोग भी आ सकते थे। अगर सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील इलाके में बिना अनुमति के आएंगे, तो यह उचित नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘लोकदल के सहयोगी विधायकों को तो सदन में नहीं रोका गया। गेट पर किसी ने नहीं रोका। सपा का तो पॉलिटिकल एजेंडा था कि रोका जाए। क्यों आपने अनुमति नहीं ली। कभी किसी विधायक को ऐसे नहीं रोका गया। वैकल्पिक रास्ता सुझाया गया तो उसे स्वीकार नहीं किया।’

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