‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है’, बिहार की सियासत में तीसरी कसम फिल्म के इस गाने की चर्चा क्यों?

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‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है’, बिहार की सियासत में तीसरी कसम फिल्म के इस गाने की चर्चा क्यों?

‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है’, बिहार की सियासत में तीसरी कसम फिल्म के इस गाने की चर्चा क्यों?


पटना: एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कसम खाकर बिहार की राजनीति की दिशा ही मोड़ डाली है। राजनीति की कयासबाजी में भाजपा मुक्त बिहार सरकार के साथ कहीं-कहीं भाजपा और जदयू माइनस सरकार की भी बात चल निकली थी। जिसका नेतृत्व तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को करने की बात कही जा रही थी। लेकिन नीतीश कुमार की इस कसम की रस्म अदायगी ने तत्काल महागठबंधन की नींव को मजबूत कर डाला है।

कसम-कसम का ‘खेल’ समझिए

जी हां, बिहार की राजनीति इन दिनों स्कूली जीवन की याद दिला रही है। तब होता ये था कि जिसकी मां इस दुनिया में नहीं है, वो आसानी से मां कसम खा लेता था। जिसका विद्या से मतलब नहीं, वो विद्या कसम खा लेता था। बिहार की राजनीति में इन दिनों नीतीश कुमार का भी किस्सा कुछ फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी पर बनी फिल्म तीसरी कसम से मिलता-जुलता है।

तीसरी कसम के नायक हिरामन भी तीन कसमें खाता है। पहला यह कि अपने बैलगाड़ी पर बांस नहीं लोड करेंगे। दूसरी कसम किसी पतुरिया (नाचने-गाने वाली) को बैलगाड़ी पर नहीं बिठाएंगे और तीसरी कसम ये कि तस्करी का सामान नहीं ले जायेंगे।

बिहार की राजनीति में भी इन दिनों नीतीश कुमार के तीन कसम की चर्चा है। नीतीश कुमार ने पहली कसम खाई थी, मिट्टी में मिल जाएंगे, भाजपा में नहीं जाएंगे। दूसरी कसम उन्होंने खाई कि संघ (आरएसएस) मुक्त भारत बनाएंगे। सोमवार को उन्होंने तीसरी कसम भी खा ली कि मर जायेंगे पर भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे।

दिलचस्प ये भी हैं कि तीसरी कसम फिल्म का ही गाना है कि ‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है।’ तो राजनीति के दावपेंच में नीतीश जी के दो कसम तो टूट चुके हैं। अब राजनीतिक गलियारों में इस तीसरी कसम का मतलब निकाला जा रहा है।

बयान का तोड़, नीतीश का बयान

राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये बयान कि मर जायेंगे पर भाजपा में नहीं जाएंगे, भाजपा की चाल का काट है। दरअसल, भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने बयान दिया था कि नीतीश के साथ किसी भी हाल में हाथ नहीं मिलाएंगे। इसका अर्थ राजनीतिक गलियारों में ये लगाया जा रहा था कि ये संदेश राजद के लिए था। उसके भीतर समाए उस डर को समाप्त करने के लिए था कि जिसके कारण वे अकेले दम पर सरकार बनाने की सोच नहीं पा रहे थी।

अब भाजपा ने संकेतों में कह डाला कि आप चाहो तो माइनस नीतीश सरकार बनाओ, मैं किसी भी हाल में नीतीश के साथ सरकार नहीं बनाऊंगा।
भाजपा की राजनीति की संभावना पर विराम लगाने के लिए ये संदेश दिया कि महागठबंधन मजबूत है। यही वजह भी है कि कांग्रेस नेता नीतीश कुमार के साथ खड़े नजर आते हैं।

नीतीश के कसम को बीजेपी पूरा करेगी

बिहार बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह कहते हैं कि इससे भी बड़ी-बड़ी कसमें नीतीश जी खाए हैं और तोड़े भी हैं। इस बार भाजपा पहले से ही मेंटली प्रिपेयर है कि वो नीतीश का हाथ नहीं थामेंगे। लेकिन नीतीश कुमार का वही भविष्य है, जो संघ के चिंतन में हैं। वे अब राम-नाम का जाप करेंगे और गौ सेवा करेंगे। ये भाजपा की दृढ़ता के कारण उनका वचन नहीं टूटने जा रहा है।

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जो व्यक्ति नीति और सिद्धांतविहीन राजनीति की ओर चल रहे हैं, उससे बचने की जरूरत राजद को है। जो व्यक्ति बड़ी चालाकी से तेजस्वी की ताजपोशी को 2025 तक खींच ले गया है, उसके किसी भी वादे का ऐतवार नहीं किया जा सकता है।

नीतीश की कसम पर विशेषज्ञ ने क्या कहा?

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय कहते हैं कि इस बार नीतीश कुमार के दिए गए बयान से इतना तो तय लगता हैं कि 2024 तक महागठबंधन की राजनीति आरोप-प्रत्यारोप के बीच चलती रहेगी। लोकसभा चुनाव के समय कोई राजनीतिक परिवर्तन हो तो हो।

जिस अंदाज में भाजपा ने नीतीश कुमार को एनडीए की राजनीति से अलग किया है, उससे तो यही लगता है कि महागठबंधन के साथ हर हाल में रहना मजबूरी होगी। ये विपक्षी एकता की मुहिम के लिए भी जरूरी है।

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