संस्कारधानी सनातनी धरा है, नर्मदा पुत्रों से मिलता है अपार स्नेह, नकली किन्नर कर रहे अद्र्धनारीश्वर को बदनाम | Sanskardhani is the eternal place | Patrika News

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संस्कारधानी सनातनी धरा है, नर्मदा पुत्रों से मिलता है अपार स्नेह, नकली किन्नर कर रहे अद्र्धनारीश्वर को बदनाम | Sanskardhani is the eternal place | Patrika News

संस्कारधानी सनातनी धरा है, नर्मदा पुत्रों से मिलता है अपार स्नेह, नकली किन्नर कर रहे अद्र्धनारीश्वर को बदनाम | Sanskardhani is the eternal place | Patrika News

सवाल-संस्कारधानी में आपका आना-जाना है। फिर भी मठ-आश्रम के सान्न्ध्यि में क्यों नहीं रहतीं?
जवाब-मां नर्मदा का किनारा बहुत भाता है। यहां के लोगों में सनातनी भाव है। वे धर्मध्वजा के सच्चे वाहक हैं। लेकिन, यहां के संतों ने हमें महत्व नहीं दिया। मेरे एक शिष्य के अनुरोध पर यहां हुए गोकुम्भ में स्वामी नरसिंहदास की ओर से आमंत्रण मिला था। मैं उसमें शामिल हुई। उसके बाद से किसी संत-महात्मा ने हाल-चाल लेना भी जरूरी नहीं समझा। मैं तो यही चाहती हूं कि संतों का आशीर्वाद सब पर बना रहे।

सवाल-संत महात्माओं को राजनीतिक खेमेबाजी के चक्कर में पडऩा चाहिए क्या?
जवाब-संत-महात्मा भी समाज के हिस्से हैं। नेता उनके पास जाते हैं। इसी तरह संत-महात्मा भी राजनीति में जाएं, तो गलत क्या है? हां, यह ध्यान जरूर रखना चाहिए कि राजनीति के पचड़े में सनातन को कोई कोई नुकसान नहीं होने पाए। संत समाज के सभी हिस्सों के लिए एक बराबर हैं। इसलिए संतों को राष्ट्रवादी विचारधारा का पोषक होना चाहिए। राष्ट्रवाद में भी कोई वैचारिक मतभेद नहीं होना चाहिए।

सवाल-कुछ संतों का आरोप है कि आप बनारस में जलाभिषेक के मुद्दे से चर्चा में आना चाहती हैं?
जवाब- हमें चर्चा में आकर क्या मिलेगा? फिर भी जो लोग आरोप लगा रहे हैं, मैं उन्हें कुछ नहीं कहूंगा। मेरी तो सिर्फ एक इच्छा है कि नर्मदा जल से बनारस के विश्वेश्वर महादेव का जलाभिषेक करूं। बाकी महादेव की मर्जी है। मेरे इस कदम से संस्कारधानी और शिव की नगर काशी का धार्मिक संगम होगा। मैं यह भी कोशिश करूंगी कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसी धर्मसंकट का सामना ना करना पड़े।

भगवान शिव की मंत्र पूजा ही बड़ी बात है

किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी के जलाभिषेक के मुद्दे पर बोले स्वामी अखिलेश्वरानंद

किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी के बनारस में जलाभिषेक के मुद्दे पर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि इस मामले में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उनका मानना है कि विश्वेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने की उत्कंठा हर हिंदू की है। हिंमांगी बहन ने भी यह फैसला किया है, तो अच्छी बात है। लेकिन, मामला कोर्ट में है। यथास्थिति रखने की बात कोर्ट ने कही है, तो मुझे लगता है कि अभी इंतजार कर लेना चाहिए। वैसे भी भगवान शिव की पूजा कहीं से भी की जा सकती है। वे तो मंत्र पूजन से ही खुश हो जाते हैं। हिमांगी बहन बनारस में ही जलाभिषेक करना चाहती हैं, तो वे जिला प्रशासन से अनुमति लें। यदि दोनों पक्षों को समझाते हुए जिला प्रशासन अनुमति देता है, तभी वहां जाना चाहिए। यदि किसी भी तरह का विवाद है, तो धर्मभाव से भगवान को याद करें। असल उद्देश्य भगवान की आराधना है। उसे किसी भी रूप में कर लिया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमान जी को लंका में मां सीता का पता लगाना था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हनुमान जी ने किसी तरह का ढिंढोरा नहीं पिटवाया। उद्देश्य की पूर्ति के लिए मच्छर का रूप धारण करना पड़ा तो किया। किसी को नुकसान पहुंचाए बिना उन्होंने सिर्फ राम का काज पूरा किया।



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