संध्या मृदुल ने कहा- पेज 3 के बाद मैं डिप्रेशन में आ गई थीं, पैसे खत्म हुए तो जूलरी बेचकर चलाया काम

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संध्या मृदुल ने कहा- पेज 3 के बाद मैं डिप्रेशन में आ गई थीं, पैसे खत्म हुए तो जूलरी बेचकर चलाया काम

संध्या मृदुल ने कहा- पेज 3 के बाद मैं डिप्रेशन में आ गई थीं, पैसे खत्म हुए तो जूलरी बेचकर चलाया काम

इन दिनों वेब सीरीज ‘ताज: डिवाइडेड बाय ब्लड’ को लेकर चर्चा में हैं संध्या मृदुल । इस शो में 47 की संध्या मृदुल ने जोधा का किरदार निभाया है जबकि अकबर की भूमिका में हैं 72 साल के नसीरुद्दीन शाह। अपने इसी शो और करियर को लेकर संध्या मृदुल ने नवभारत टाइम्स के रिपोर्टर संजय मिश्रा से बात की। इस एक्सक्लूसिव बातचीत में उनका वो दर्द भी छलका जो बुरे दौर से गुजरने की वजह से उन्होंने झेला है। उन्होंने कहा – ‘पेज 3’ के बाद मैं डिप्रेशन में आ गई थी, जूलरी बेची, लेकिन ईमान नहीं।

संध्या मृदुल ने एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने कमबैक और बीते दिनों डिप्रेशन को लेकर कुछ बातें कहीं। उन्होंने कहा, ‘अब तो थोड़ी सी आदत सी हो गई और मैंने खुद को संभाला, लेकिन फिल्म पेज 3 के बाद में वाकई डिप्रेशन में चली गई थी। समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। और वो ऐसा दौर था जब लोग कहने लगे थे कि अरे ये लड़की तो अब ऊपर जाएगी और ये लड़की ऊपर जाने की जगह नीचे आई। क्योंकि पेज 3 के बाद इतनी स्टीरीयोटाइप हो गई कि उसी टाइप के रोल और मैं मना करती गई इस उम्मीद में कि अब कुछ अलग आएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और फिर मैं काम नहीं कर पाई।

मैंने निश्चय किया है कि बेचूंगी नहीं अपने आपको: संध्या मृदुल

संध्या ने आगे कहा, ‘मुझे बड़ी तकलीफ हुई, मैं एकदम लॉस्ट हो गई। मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं। मैं सोचने लगी कि मैं वहीं लड़की हूं जिसने साथिया किया है, मैं वही हूं जिसने पेज 3 किया है…ये सब अलग लड़कियां थीं। आप क्यों मुझे स्टीरियोटाइप कर रहे। मुझे पेज 3 की पर्ल ही क्यों देख रहे हो हमेशा, क्यों भूल गए कि मैं वो लड़कियां भी रह चुकी हूं। बहुत अंदर से तकलीफ हुई काम न करके। साल दो साल, तीन साल भी निकल गए कभी तो। बहुत मुश्किल था, लेकिन मैं अड़ी रही। मैं डटी रही। मैंने कहा कि मैंने निश्चय किया है कि बेचूंगी नहीं अपने आपको। हर बार ऐसा कुछ करूंगी जिसमें है कुछ करने के लिए।बहुत टाइम तो ऐसा हुआ कि मेरे दोस्त काफी परेशान हो गए कि तुम्हारे पास पैसे नहीं है, काम नहीं हैं, तुम क्या करोगी? टीवी भी मुझे बुलाता रहा लेकिन कुछ था नहीं ऐसा करने को।’

कहा- बहुत बड़ी नौकरी छोड़ के एक्टर बनी हूं मैं

उन्होंने कहा, ‘बहुत बड़ी नौकरी छोड़ के एक्टर बनी हूं मैं। क्योंकि मुझे नौकरी ही नहीं करनी थी। मुझे एक्टिंग से चीटिंग करनी नहीं आती, इसलिए गैप आ जाता है। अब ओटीटी आ गई है तो अब ये गैप कम होंगे क्योंकि इस बार यहां आप दो बार बड़े इंटरेस्टिंग रोल में देख लेंगे मुझे। तीसरी भी अगर तैयार हो गई तो इस साल के अंत तक देखेंगे।’

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संध्या ने कहा- बहुत सारी जूलरी थी जो मैं पहनती नहीं थी वो मैंने बेच दिए

संध्या ने बताया कि जब काम नहीं होने की वजह से उनके पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने कैसे मैनेज किया। उन्होंने कहा, ‘पैसे खत्म होने पर मैंने अपनी जूलरी बेच दी। बहुत सारी जूलरी थी जो मैं पहनती नहीं थी वो मैंने बेच दिए और चलती रही आगे। लेकिन काम नहीं किया मैंने जब तक मेरे पसंद का नहीं आया। मुश्किल था वो वक्त, मैंने अपना खर्चा कम कर दिया, बाहर जाना कम कर दिया। सबकुछ मुमकिन है।’

कैंटीन से डेढ़ रुपये की प्लेट खाती थी, मलाबार हिल तक पैदल जाती थी

संध्या मृदुल ने अपने बीते दौर की कहानी सुनाते हुए कहा, ‘मैंने अपना करियर शुरू किया था एक पब्लिकेशन हाउस में नौकरी करके। मुझे ढाई हजार रुपये मिलते थे और 2100 रुपये मैं पेइंग गेस्ट में रहने के लिए रेंट देती थी। 400 रुपये में मैं अपना महीना गुजारती थी, खाना-पीना सबकुछ। मैं हमेशा अपने आपको कहती थी कि अगर तुमने वो किया है तो ये भी कर सकती हो। टेलिविजन में काफी पैसा कमाया था, जो चल रहा था और फिर वो खत्म होने लगा। फिर डर लगने लगा, घबराहट होने लगी। लेकिन मैं अपने आपको वो दिन याद दिलाने लगी जब मैं वीटी से मलाबार हिल तक चल के जाती थी क्योंकि मुझे टैक्सी में पैसे खर्च नहीं करने थे। जब मैं लंच में कैंटीन से डेढ़ रुपये की प्लेट खाती थी और बाहर निकलते समय बाहर जो भैया होते थे वो चना, प्याज, धनिया और हरी मिर्च डालकर बड़ा सा बनाकर देते थे, वो खाती हुई मैं चलती हुई जाती थी वीटी से मालाबार हिल। मैंने बोला कि तुम वही इंसान हो जिसने वो देखा है तो तुम ये कर सकती हो।’